कैसे पीलीभीत के बांसुरी उद्योग और टाइगर रिजर्व में बदलाव की बयार के लिए संघर्षरत है ये अधिकारी, मिलिए डीएम पुलकित खरे से!
- Pallavi Priya
- Published on 27 Oct 2021, 6:10 pm IST
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हाइलाइट्स
- इंडियन मास्टरमाइंड्स को दिए गए इस वीडियो इंटरव्यू में, पीलीभीत के जिलाधिकारी पुलकित खरे जिले में सकारात्मक बदलाव लाने की अपनी योजनाओं के बारे में बात करते हैं।
- साथ ही वो सुषुप्तावस्था में जा चुके पीलीभीत के प्रसिद्ध बांसुरी उद्योग को पुनर्जीवित करने की अपनी योजनाओं को साझा करते हैं।
- वहीं, कैसे वो मुख्य रूप से वन्यजीव पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करके, जिले को एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कर रहा हैं, इस पर भी खुलासा करते हैं।
बहुत पुरानी बात नहीं है, जब पीलीभीत को ‘बांसुरी के शहर’ के रूप में जाना जाता था। यह शहर देश में बनाई जाने वाली कुछ बेहतरीन लकड़ी की बांसुरी के लिए प्रसिद्ध था। लेकिन, वे दिन अब जाने को हैं। साल 2014 में ‘पीलीभीत टाइगर रिजर्व’ बनने के बाद से इस शहर को बाघों का नया बसेरा कहा जाने लगा।
एक तरफ, जहां टाइगर रिजर्व ने पर्यटन के क्षेत्र में नए अवसर पैदा किए, वहीं दूसरी तरफ यह अपने साथ मानव-वन्य जीव संघर्ष के भीषण खतरों को भी लेकर आया। और इसका सीधा असर बांसुरी बनाने वाले उद्योग पर पड़ा। इस व्यवसाय से जुड़े लोगों ने धीरे-धीरे इस पेशे को छोड़ दिया, क्योंकि यह उनके लिए अब लाभदायक नहीं रह गया था।
इस सबके बावजूद पीलीभीत के जिला कलेक्टर पुलकित खरे को इस क्षेत्र में सकारात्मक विकास की बहुत सी संभावनाएं दिखती हैं। 2010 बैच के आईएएस अधिकारी खरे ने जिले को एक नया चेहरा देने के लिए कई पहले की हैं।
इस वीडियो इंटरव्यू में, वह वर्तमान में बांसुरी उद्योग के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में बात करते हैं। साथ ही, इस उद्योग से जुड़े लोग इस पेशे को क्यों छोड़ रहे हैं, इस बारे में बताते हैं। इस उद्योग को बनाए रखने और इससे अधिकतम लाभ अर्जित करने के उपायों को लेकर, उन्होंने अपनी रणनीति भी साझा की। साथ ही, उन्होंने पीलीभीत टाइगर रिजर्व को वन्यजीव पर्यटन केंद्र के रूप में बढ़ावा देने और वहां के समुदायों के सदस्यों की मदद से मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्या को दूर करने की अपनी योजनाओं का भी खुलासा किया।
नीचे देखिए आईएएस पुलकित खरे का विडियो इंटरव्यू-
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