क्या 3 मौतों से महत्वाकांक्षी चीता प्रोजेक्ट को झटका लगा है?
- Muskan Khandelwal
- Published on 22 Jun 2023, 1:13 pm IST
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हाइलाइट्स
- कूनो नेशनल पार्क में मार्च, अप्रैल और मई में तीन चीतों की हो चुकी है मौत
- सियाया से 24 मार्च को पैदा हुए चार शावक अब ठीक हैं
- हाई-मास्ट कैमरे, रेडियो कॉलर और सैटेलाइट से हो रही है निगरानी
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों में से तीसरी की मौत ने वन्यजीव प्रेमियों को चिंता में डाल दिया है। ऐसा वहां चार स्वस्थ चीता शावकों के पलने के बावजूद है। बता दें कि भारत में 70 साल पहले समाप्त हो गई चीता की आबादी को पुनर्जीवित करना मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य रहा है।
साशा की मौत जहां मार्च में हो गई थी, वहीं अप्रैल में उदय और मई में दक्षा की भी मृत्यु हो गई। इंडियन मास्टरमाइंड्स ने इस मसले पर कूनो नेशनल पार्क के आईएफएस अधिकारी डीएफओ प्रकाश वर्मा से संपर्क किया। ताकि इन हालिया मौतों और प्रोजेक्ट को कैसे आकार दिया जा रहा है, इस बारे में जानकारी ली जा सके।
मौत की गुत्थीः
पिछले साल सितंबर में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों में से एक पांच साल की मादा साशा की 27 मार्च, 2023 को किडनी की बीमारी से मौत हो गई थी। उसकी तबीयत आने के बाद से ही ठीक नहीं थी। श्री वर्मा ने कहा, “विशेषज्ञों ने हमें पहले ही बता दिया था कि उसे बचाना असंभव है। हमने अफ्रीकी अधिकारियों से भी सवाल किया कि अगर वह पहले से ही बीमार थी, तो उसे क्यों भेजा गया।”
दूसरी ओर, छह वर्षीय उदय के शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसकी मृत्यु पल्मोनरी कार्डियक अरेस्ट के कारण हुई। उदय फरवरी में दक्षिण अफ्रीका के 11 और चीतों के साथ भारत आया था। अधिकारी ने कहा कि अनुभवी भारतीय पशु चिकित्सकों की टीम ने भी मौत का यही कारण बताया। हालांकि, हमें अभी तक रिपोर्ट नहीं मिली है।
उदय के साथ भारत आई दक्षा नाम की मादा चीता की 9 मई को एक बाड़े के अंदर दो नर चीतों से भिड़ंत हो गई थी, जिसमें उसकी मौत हो गई। इस तरह 43 दिनों में ही तीन चीतों की मौत हो गई है।
फैसला नहीं हो सकाः
तो क्या ये मौतें लापरवाही की ओर इशारा करती हैं? आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया भर में किए गए इसी तरह के कार्यक्रमों में 50% से अधिक मृत्यु दर दर्ज की गई है। दक्षिण अफ्रीका के वन, मछली और पर्यावरण विभाग ने कहा कि कूनो में दो चीतों की मौत इस तरह की परियोजना के लिए अपेक्षित मृत्यु दर ही है।
आईएफएस वर्मा ने यह भी बताया कि दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के डॉक्टरों ने पुष्टि की कि मौतें सामान्य घटना थीं। उन्होंने यह भी कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि शुरुआती दिनों में ट्रांसलोकेशन के दौरान कोई हताहत नहीं हुआ।
जांबिया में इसी तरह के एक प्रोजेक्ट के बारे में श्री वर्मा ने बताया कि 22 में से लगभग 9 चीतों ने वहां जगह परिवर्तन के बाद दम तोड़ दिया था।
निराशा के बीच 24 मार्च को सियाया ने चार स्वस्थ शावकों को जन्म दिया। पहले दो महीनों में उनकी मृत्यु दर आमतौर पर 95% होती है, लेकिन अधिकारी ने बताया कि नवजात शिशु ठीक थे।
करीब से निगरानीः
कूनो नेशनल पार्क के पास एक टीम है, जो चीतों की 24 घंटे निगरानी के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है। हाई-मास्ट कैमरों और रेडियो कॉलर से लेकर सैटेलाइट तक से निरंतर निगरानी की जा रही है।
जिस क्षेत्र में चीता का बाड़ा स्थित है, वहां अभी तक कोई पर्यटन गतिविधि शुरू नहीं की गई है। इसलिए कि इससे जानवरों का तनाव स्तर बढ़ सकता है। अधिकारी ने निष्कर्ष निकाला, “हम अभी भी प्रशिक्षण के चरण से गुजर रहे हैं। एक बार चीता आबादी स्थापित हो जाने के बाद हम पर्यटन शुरू कर देंगे।”
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