10 से अधिक सरकारी नौकरियां करने वाला आईपीएस अधिकारी जो कभी पटवारी था!
- Raghav Goyal
- Published on 21 Sep 2021, 12:29 am IST
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हाइलाइट्स
- यदि इंसान के पास धैर्य और सच्चा दृढ़-संकल्प हो, उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है, यहां तक कि आईपीएस की प्रतिष्ठित नौकरी भी नहीं।
- राजस्थान के एक गांव के पटवारी से शुरू हुई एक कहानी, जो 10 से अधिक सरकारी नौकरियों के साथ आईपीएस तक पहुंची गई।
- आईपीएस प्रेमसुख डेलु, अपने ऑफिस में
प्रसिद्ध राजनयिक और संयुक्त राज्य अमेरिका की पूर्व प्रथम महिला एलेनोर रूजवेल्ट ने एक बार कहा था कि ‘भविष्य उन लोगों का है जो अपने सपनों की सुंदरता में विश्वास करते हैं।’
राजस्थान के बीकानेर के प्रेमसुख डेलू ने इस बात को शब्दशः चरितार्थ करते हुए कई ऐसे नए मानक स्थापित किए हैं, जिनकी अब मिसाल दी जाती है। एक किसान परिवार से आने वाले प्रेमसुख डेलू ने पटवारी से लेकर एक आईपीएस अधिकारी तक का सफर तय किया है। जिस दौर में एक अदद सरकारी नौकरी पाने के लिए लोग सालों तक नाक रगड़ते रहते हैं, प्रेमसुख डेलू ने मात्र छह साल की अवधि में 10 से अधिक सरकारी नौकरियां पास कर नियुक्ति पा ली।
शुरुआत
हाड़-तोड़ प्रतिस्पर्धा के इस दौर में यह सफलता वास्तव में चकित करती है। लेकिन अपने सपनों की खूबसूरती में यकीन रखने वाले गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी प्रेमसुख डेलू की कहानी यह दिखाती है कि अगर आप वर्तमान स्थिति की परवाह किए बगैर अपने ख्वाबों का पीछा करते हुए पूरी लगन से कड़ी मेहनत करते हैं, तो हर सपने को पूरा कर सकते हैं।
प्रेमसुख डेलू का बचपन कभी आसान नहीं था। छात्र जीवन में भी उनपर कई अतिरिक्त जिम्मेदारियों का बोझ रहा। एक दुर्घटना में उनके दादा का निधन हो गया था, इसीलिए उनके परिवार का पालन-पोषण उनकी दादी ने किया। राजस्थान के एक पिछड़े इलाके से आने वाले उनके माता-पिता ने भी बहुत मुश्किलों में दिन गुजारे, बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए वे कभी किसान तो कभी एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में दिन-रात काम करते थे। उनके माता-पिता खुद कभी शिक्षा हासिल नहीं कर सके, लेकिन अपने बच्चों के लिए हमेशा बड़े सपने देखे।
एक ही लक्ष्य – सरकारी नौकरी
बचपन से ही अपने माता-पिता की परेशानियों को देखते हुए प्रेमसुख ने अपने शुरुआती जीवन में ही सरकारी नौकरी करने का फैसला कर लिया था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के एक सरकारी स्कूल से पूरी की, फिर बीकानेर के डूंगर कॉलेज से इतिहास में एमए किया। एक समर्पित छात्र की तरह उन्होंने एम.ए. इतिहास में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। एम.ए. पूरा करने के तुरंत बाद, वह 2010 में पटवारी (राजस्व अधिकारी) की परीक्षा पास कर सरकारी नौकरी में आ गए। तब से शुरू हुआ नौकरी पाने का यह सिलसिला अगले कई सालों तक अनवरत चलता रहा और मात्र छह साल की अवधि में ही उन्होंने 10 से अधिक सरकारी परीक्षाओं को पास कर लिया।
इंडियन मास्टरमाइंड्स की टीम से बात करते हुए प्रेमसुख कहते हैं, “जिस साल मैंने पटवारी की परीक्षा पास की थी, उसी साल मैंने ग्राम सेवक की परीक्षा भी पास की। साथ ही सहायक जेलर की परीक्षा में राज्य में प्रथम स्थान हासिल किया। अगले साल 2011 में, मैंने प्राथमिक शिक्षक की परीक्षा में सफलता हासिल की और माध्यमिक शिक्षक के लिए दो बार परीक्षा उत्तीर्ण की, क्योंकि मैंने दोनों रिक्तियों के लिए फॉर्म भरा था और दोनों में चुना गया। उसके बाद साल 2012 में मैंने नेट-जेआरएफ परीक्षा पास की।”
“इसी साल मैंने राजस्थान पुलिस में सब-इंस्पेक्टर और स्कूल लेक्चरर की दो परीक्षाओं को भी सफलतापूर्वक पास किया। साल 2012 में मुझे एक और बड़ी कामयाबी मिलते-मिलते रह गई। राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) में मैंने 107 वीं रैंक हासिल की, मैं पहली प्रतीक्षा सूची में भी था, लेकिन एक स्थान से चूक गया। हालांकि अगले ही साल 2013 में आरएएस की परीक्षा में मेरी 44 वीं रैंक आई। और इसी वर्ष मुझे कॉलेज लेक्चरर के रूप में भी चुना गया।”
यूपीएससी
सरकारी नौकरी में आने के बाद, प्रेमसुख को समाज को समझने का एक अलग नजरिया मिला। वो कहते हैं, “एक सहायक जेलर और सब-इंस्पेक्टर के रूप में काम करते हुए मुझे पुलिस कर्मियों से संबंधित मुद्दों पर एक बेहतर समझ मिली। वहीं राजस्व विभाग में रहते हुए मैंने सीखा कि जमीन और संपत्ति के विवादों को बेहतर ढंग से कैसे निपटाया जा सकता है। अपने शिक्षण के दिनों में मैंने समाज में अपराधों से निपटने का महत्व की समीक्षा की।”
साल 2015 में प्रेमसुख ने इतिहास विषय के साथ यूपीएससी की मुख्य परीक्षा हिंदी माध्यम से दी और अपनी उपलब्धियों में एक और हीरा जोड़ा। परीक्षा का जब अंतिम परिणाम निकला, तो उन्होंने देश में 170 वीं रैंक हासिल की और गुजरात कैडर के 2016 बैच के आईपीएस अधिकारी बने। शुरुआत में, वो अपने प्रशिक्षण के दौरान गुजरात के साबरकांठा जिले में एएसपी के रूप में तैनात रहे। फिर उन्हें अमरेली जिले में एएसपी पद पर पहली पोस्टिंग दी गई। वर्तमान में वह राज्य रिजर्व पुलिस बल (एसआरपीएफ), ग्रुप 21, गोंडल, गुजरात में कमांडेंट हैं।
गुजरात पुलिस का 2 बार प्रतिनिधित्व करना
अक्टूबर 2019 में, प्रेमसुख डेलू ने पहली बार परेड कमांडेंट के रूप में गुजरात पुलिस का प्रतिनिधित्व किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में उन्होंने सभी राज्यों की संयुक्त पुलिस को निर्देशित किया। उसी वर्ष 15 दिसंबर को उन्होंने गुजरात पुलिस अकादमी, करई में गुजरात पुलिस के एक अनौपचारिक समारोह का नेतृत्व किया। यहां भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने राज्य को ‘प्रेसिडेंट्स कलर’ से नवाजा। चूंकि प्रेमसुख कमांडेंट के रूप में राज्य पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, इसलिए उपराष्ट्रपति से उन्होंने ही ‘प्रेसिडेंट्स कलर’ को प्राप्त किया।
यह समारोह एक अन्य बेहद खूबसूरत कारण से प्रेमसुख के लिए यादगार बन गया। इसी ग्राउंड पर परेड के बाद वरिष्ठ अधिकारियों और परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में प्रेमसुख डेलू की मंगनी का समारोह आयोजित किया गया।
एक समय, प्रेमसुख भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी बनने की तैयारी भी कर रहे थे। लेकिन राज्य रिजर्व पुलिस बल (एसआरपीएफ), ग्रुप 21 के कमांडेंट के रूप में पदोन्नति के बाद उन्होंने अपनी कोशिशों को विराम दे दिया और अब वो अपनी वर्तमान स्थिति से पूरी तरह संतुष्ट हैं।
प्रेमसुख ने यूपीएससी के उम्मीदवारों के लिए एक छोटा सा संदेश भी साझा किया है। उनका कहना है कि जीवन में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत ही एकमात्र विकल्प है। कड़ी मेहनत के बिना कोई भी लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है, सिर्फ इसके बारे में सोचा जा सकता है। प्रेमसुख का पूरा जीवन भी इसी बात की गवाही देता है।
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