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क्लर्क से एसडीएम तक का कठिन सफर तय किया, अब यह पीसीएस अधिकारी डूबते आदमी को बचाने के लिए पंजाब में बाढ़ के पानी में कूद गया
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 25 Jul 2023, 11:04 am IST
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हाइलाइट्स
- फतेहगढ़ साहिब शहर में एक व्यक्ति को बचाने के लिए एसडीएम संजीव कुमार बाढ़ के पानी में कूद गए और 200 मीटर तक तैरकर पार किया
- जब तक वह वहां पहुंचे, तब तक पानी शख्स की गर्दन तक पहुंच चुका था
- संजीव कुमार 2018 बैच के पीसीएस अधिकारी हैं और अभी फतेहगढ़ साहिब जिले के खमानो के एसडीएम हैं
आखिरी बार उन्होंने तैराकी का आनंद पिछले साल नवंबर में लिया था। तब वह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में छुट्टियां मनाने गए थे। सात महीने के बाद वह एक बार फिर तैरे, मगर इस बार इसमें आनंद नहीं था। असल में यह बहुत खतरनाक था। उन्हें पंजाब की सबसे भीषण बाढ़ में तेज बहाव और तेजी से बढ़ते पानी में तैरना पड़ा। दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर। जवानी के दिनों में वासुदेव की भूमिका निभाने वाले एसडीएम संजीव कुमार ने दिखाया कि सच्चा साहस क्या होता है। यही कारण है कि वह लोकल हीरो बन चुके हैं। कलेक्टर से लेकर आम आदमी तक, हर कोई उनकी बहादुरी की तारीफ कर रहा है, क्योंकि उन्होंने 200 मीटर बाढ़ के पानी में तैरकर एक शख्स को बचाया।
जैसे ही उनकी इस वीरतापूर्ण कार्य का वीडियो वायरल हुआ, न केवल उनका शहर बल्कि पूरा पंजाब अब उन्हें एक हीरो के रूप में देख रहा है। हालांकि, यह पहली बार नहीं था जब पीसीएस अधिकारी संजीव कुमार को परेशानी का सामना करना पड़ा। 45 साल की उम्र में एक क्लर्क से एसडीएम तक की उनकी प्रेरणादायक यात्रा कठिनाइयों से भरी रही है। उन्होंने 2018 में 45 साल की उम्र में पीएचडी भी की। उनका जीवन कई ऐसे प्रेरणादायक पलों और परतों से बना है, जो किसी को भी प्रेरित करेंगा।
इंडियन मास्टरमाइंड्स ने खमानो के एसडीएम संजीव कुमार से उनकी वीरतापूर्ण उपलब्धि के बारे में विस्तार से जानने के लिए बात की।
भयानक घटना
जुलाई के दूसरे सप्ताह में पंजाब में अधिकांश जिलों में सबसे खराब बारिश और बाढ़ देखी गई। सभी अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति पर काबू पाने के लिए भरपूर प्रयास करते हुए राहत और बचाव अभियान चलाया।
10 जुलाई को फतेहगढ़ साहिब जिले के डिप्टी कमिश्नर ने फतेहगढ़ साहिब शहर में बाढ़ की स्थिति की निगरानी के लिए संजीव कुमार को बुलाया। कुमार सुबह 7.30 बजे शहर पहुंचे और वहां दो बचाव कार्यों में भाग लिया।
वह उस रोज को याद करते हुए कहते हैं, ‘उस दिन खमानो सुरक्षित था और वहां बाढ़ के पानी की कोई समस्या नहीं थी। इसलिए डीसी साहब ने मुझे फ़तेहपुर साहिब शहर पर नज़र रखने के लिए बुलाया क्योंकि मैं उस क्षेत्र के भूगोल से अच्छी तरह परिचित था। मैं 2018 से वहां जा रहा हूं।’
सुबह करीब नौ बजे संजीव को सूचना मिली कि गुरुद्वारा साहिब बिबनगढ़ के पास एक व्यक्ति पानी में फंसा हुआ है और पानी लगातार बढ़ रहा है। वह मौके पर पहुंचे और देखा कि वह आदमी डरा हुआ था, क्योंकि पानी उसकी गर्दन तक था। साथ ही जिस स्थान पर वह आदमी खड़ा था, वह सुरक्षित जमीन से बहुत दूर था। कुमार को यह भी खबर मिली कि एनडीआरएफ सुबह 10.30 बजे तक घटनास्थल पर पहुंचेगी। ऐसे में एनडीआरएफ का इंतजार करने का मतलब उस शख्स की जान को खतरे में डालना था। इसलिए, अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने तैरकर घटनास्थल की ओर जाने और उस व्यक्ति की जान बचाने का फैसला किया।
एक वायरल वीडियो में कुमार बाढ़ के पानी में तैरते हुए और युवक तक पहुंचने की कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं।आखिरकार वह उसकी जान बचाने में कामयाब रहे।
उन्होंने इंडियन मास्टरमाइंड्स को बताया, ‘इलाके में बाढ़ के पानी का स्तर तब तक लगभग 12 फीट तक पहुंच गया था। मैं दो पुलिसकर्मियों और अपने निजी सुरक्षा अधिकारी के साथ घटनास्थल पर पहुंचा। उनमें से कोई भी तैरना नहीं जानता था। फंसा हुआ आदमी मदद मांग रहा था। हवा में हाथ लहरा रहा था। इसलिए, मैंने अपने कुछ कपड़े उतारे और उसे सुरक्षित वापस लाने के लिए पानी में कूद गया।’
अधिकारी का सफर
50 वर्षीय संजीव कुमार 2018 बैच के पीसीएस अधिकारी हैं। वह पंजाब के मोहाली जिले के खरड़ कस्बे के रहने वाले हैं। वह पंजाब सरकार में एक क्लर्क के रूप में शामिल हुए। फिर कड़ी मेहनत और मजबूत इरादे के बलबूते एसडीएम के पद तक पहुंचे।
उन्होंने 2001 में क्लर्क के रूप में ज्वाइन किया। 2016 में उन्होंने पहली बार पीसीएस की विभागीय परीक्षा दी। वैकेंसी 25 थीं, लेकिन वह इंटरव्यू में सफल नहीं हो सके।
2017 में उन्होंने दोबारा पीसीएस की परीक्षा दी। उस वर्ष केवल पांच वैकेंसी थीं, लेकिन उन्होंने परीक्षा पास कर ली और पीसीएस अधिकारी बन गए। बाद में वह फतेहगढ़ साहिब में खमानों के एसडीएम के रूप में तैनात हुए।
अधिकारी ने इकोनोमिक्स, अंग्रेजी और पंजाबी भाषा में ट्रिपल एमए भी किया है। उन्होंने डॉक्टरेट की डिग्री भी हासिल कर ली है। उन्होंने 2018 में पंजाब यूनिवर्सिटी से ‘विभिन्न आत्मकथाओं के माध्यम से मनुष्य और समाज के बीच सामाजिक विरोधाभास‘ पर पीएचडी प्राप्त की।
वासुदेव भी बने
संजीव कुमार ने 1992 में अपने गांव के एक तालाब में तैरना सीखा। खरड़ में एक ऐतिहासिक अज्ज सरोवर है, जो भगवान राम के पूर्वजों से संबंधित माना जाता है। सरोवर लगभग 152 कनाल क्षेत्र में फैला हुआ है और इसका नाम भगवान राम के दादा महाराजा अज्ज के नाम पर रखा गया है।
प्रत्येक जन्माष्टमी पर इस प्रसिद्ध सरोवर के पानी में झांकी निकाली जाती है। अपने तैराकी कौशल के कारण कुमार 1993-94 के दौरान इस झांकी में वासुदेव (भगवान कृष्ण के पिता) की भूमिका निभाते थे और कृष्ण को अपने सिर पर रखकर यमुना नदी पार करने का दृश्य प्रस्तुत करते थे।
बेटा भी हैं एक बेहतरीन तैराक
जैसा कि पुरानी कहावत है, ‘जैसा पिता, वैसा बेटा।’ हालांकि कुमार कभी-कभार तैराकी करते हैं, लेकिन उनका 17 वर्षीय बेटा एक प्रोफेशनल तैराक है। कुमार को बचपन से तैराकी करते देख पुत्र पार्थ प्रेरित हुआ और राज्य स्तरीय तैराकी चैंपियन बन गया। वह अब तक राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर 60 से अधिक पदक जीत चुके हैं।
एक गौरवान्वित पिता संजीव कुमार ने कहा कि उन्हें अपने बेटे के साथ तैरना बहुत पसंद है और तैराकी का यह अभ्यास बाढ़ संकट के दौरान काम आया और अधिकारी एक व्यक्ति की जान बचाने के लिए स्थानीय नायक बन गया।
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