इंदिरा गांधी वन अकादमी की कहानी, इस आईएफएस अधिकारी की जुबानी
- Muskan Khandelwal
- Published on 27 May 2023, 1:02 pm IST
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हाइलाइट्स
- आईएफएस अधिकारी आरुषि मिश्रा ने राष्ट्रीय वन अकादमी में अपने 16 महीने के लंबे अनुभव के बारे में बताया
- 2020 बैच की अधिकारी अभी राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य, आगरा में हैं निदेशक और डीएफओ
- एक खास वीडियो साक्षात्कार में वह प्रोबेशनर्स आईएफएस के लिए महत्वपूर्ण संदेश देती हैं
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा चुने जाने के बाद भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारियों को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून में 16 महीने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे पहले हर नौकरशाह की तरह वे भी लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी में साढ़े तीन महीने का अनिवार्य प्रशिक्षण लेते हैं।
इंदिरा गांधी वन अकादमी में आईएफएस के प्रशिक्षुओं को कैसे प्रशिक्षण दिया जाता है, इसे जानने के लिए लोग आम तौर पर उत्सुक रहते हैं। इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ खास बातचीत में 2020 बैच की आईएफएस अधिकारी आरुषि मिश्रा ने वन अकादमी, देहरादून में अपने जीवन और अनुभव के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वह अभी राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य, आगरा की निदेशक और डीएफओ हैं। वह कहती हैं कि वन अकादमी में सीखी गई हर चीज को वर्तमान और भविष्य की समस्याओं को हल करते समय लागू करनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की रहने वालीं मिश्रा ने आईआईटी रूड़की से बी.टेक किया है। उन्होंने यूपीपीएससी-2019 में 16वीं रैंक हासिल किया था और भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में उन्हें 229वीं रैंक मिली थी। साथ ही उन्होंने साल 2018 में भारतीय वन सेवा की परीक्षा में देश भर में दूसरा स्थान प्राप्त किया था। इसलिए उनकी यह पसंद लाजिमी है।
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी में तीन महीने का अनिवार्य प्रशिक्षण करने के बाद उन्होंने देहरादून में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी में 16 महीने का प्रशिक्षण लिया है। वन अकादमी में कक्षा सत्र यानी क्लासरूम सेशन, खेल, पर्यटन और दौरे शामिल थे। यहां दौड़, पीटी और तैराकी सहित शारीरिक फिटनेस प्रशिक्षण का एक सख्त नियम था।
यात्रा
आईएफएस अधिकारी ने अपने प्रशिक्षण के दौरान किए गए छह दौरों के बारे में बताया। इसमें पूरे भारत में पांच विषयगत दौरे शामिल थे, जो इस बात पर निर्भर करता था कि उस समय कौन-सा बायोलॉजिकल हैबिटैट सक्रिय था। छात्रावास के रोमांचक दिनों के बारे में उन्होंने कहा कि परिसर के अंदर असंख्य सुविधाएं मिलती हैं।
एक सप्ताह की प्रशिक्षण अवधि के दौरान आईएफएस प्रशिक्षुओं को हथियार चलाना और घुड़सवारी सिखाई जाती है। उन्होंने कहा, ‘इन दो चीजों को भारतीय सैन्य अकादमी नियंत्रित करता है।’ वन्यजीव अपराध के बारे में जानने के लिए प्रशिक्षुओं को हैदराबाद में पुलिस अकादमी भी ले जाया जाता है। वहां उन्हें अपराधों, जांच और तकनीकों के बारे में जानकारी मिलती है।
बातचीत के आखिरी हिस्से में उन्होंने यह भी बताया कि कैसे अकादमी ‘ज्वलंत’ वन राजनीति से निपटने के लिए अपने अधिकारियों को तैयार करती है। मिश्रा ने आईएफएस प्रशिक्षुओं के लिए सुझाव भी दिया है। वह कहती हैं, ‘अकादमी में मिलने वाली सभी चीजों की एक हार्ड डिस्क तैयार कर लें, इससे आपको कुछ नए विचार और सलाह में मदद मिलेगी।’
पूरी बातचीत के लिए वीडियो यहां देखें-
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