हिंदी मीडियम वालों को यूपीएससी की तैयारी में कौन-सी गलतियों से बचना चाहिए, जानिए कांस्टेबल से नौकरशाह बनने वाले रामभजन से
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 5 Aug 2023, 10:18 am IST
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हाइलाइट्स
- दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रामभजन कुमार ने यूपीएससी सीएसई-2022 में सफलता हासिल की है
- उन्होंने हिंदी मीडियम से 8वें प्रयास में पाई सफलता, मिला आईआईएस
- इस वीडियो इंटरव्यू में वह बताते हैं कि हिंदी मीडियम वालों को यूपीएससी की तैयारी कैसे करनी चाहिए
पिछले महीने यानी जुलाई की 22 तारीख। इस दिन का दिल्ली पुलिस के एक हेड कांस्टेबल को बेसब्री से इंतजार था। इसलिए कि इस दिन भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने संघ लोक सेवा आयोग की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक- UPSC CSE 2022- में सफलता पाने वालों को सेवाएं अलॉट कीं। नौ साल की कड़ी तैयारी और 8 प्रयासों के बाद रामभजन कुमार को इस दिन सिविल सेवक बनने की उम्मीद थी। यूं तो उनके सपनों की सर्विस आईपीएस थी। अगर नहीं, तो कम से कम आईआरएस। लेकिन उन्हें आईआईएस (भारतीय सूचना सेवा) अलॉट किया गया। जिस इंसान को बचपन से इतना संघर्ष करना पड़ा, हो उसने इसे बड़ी शालीनता से स्वीकार कर लिया।हालांकि उन्हें वर्दी से काफी लगाव है, लेकिन वह दूसरी सेवा में जाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने इंडियन मास्टरमाइंड्स को एक वीडियो इंटरव्यू में बताया कि वह इस सेवा में पूरी लगन और निष्ठा से काम करेंगे, क्योंकि उन्होंने अब तक अपने जीवन में यही सीखा है। वैसे श्री भजन ने इस वर्ष भी यूपीएससी सीएसई में प्रयास किया था। यह उनका 9वां प्रयास था, लेकिन सीसैट के कठिन पेपर के कारण वह प्रीलिम्स-2023 क्रैक नहीं कर सके।उन्होंने हिंदी मीडियम से 8वें प्रयास में 667 की रैंक के साथ यूपीएससी सीएसई 2022 में सफलता पाई थी। वह उस समय दक्षिण जिले में दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट में नौकरी कर रहे थे।
यहां देखें वीडियो इंटरव्यू
बड़ों से मिली प्रेरणा
श्री भजन अपने गांव से सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने वाले इकलौते शख्स हैं। इतना ही नहीं, वह अपने परिवार में सरकारी नौकरी पाने वाले भी पहले व्यक्ति हैं। वह 2009 में कांस्टेबल के रूप में दिल्ली पुलिस में शामिल हुए और 2022 में हेड कांस्टेबल बने।दिल्ली पुलिस में शामिल होने के बाद वह सीनियर अधिकारियों को देखकर प्रेरित होते रहते थे। शायद इसी बात ने उन्हें सिविल सेवाओं के लिए प्रयास करने को प्रेरित किया।2012 से उन्होंने इस बारे में गंभीरता से सोचना शुरू किया। इसी बीच उन्होंने शादी भी कर ली और एक बच्चे के पिता भी बन गए।
नौकरी के साथ तैयारी
उन्होंने 2015 से यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया और मामा के साथ मिलकर तैयारी शुरू की।पुलिस की नौकरी के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करना आसान नहीं था। उन्होंने कहा, “यह मुश्किल है, लेकिन असंभव नहीं। अगर आप बड़े अधिकारी हैं, तो कई बार टाइम को मैनेज करना इतना मुश्किल नहीं होता। लेकिन एक कांस्टेबल के लिए एक रूटीन का पालन करना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए कि उसकी ड्यूटी बार-बार एक जगह से दूसरी जगह बदलती रहती है। ऐसे में 12 से 14 घंटे लगातार ड्यूटी करने के बाद मैं अपने कमरे में पढ़ाई करता था। हालांकि, सीनियर अधिकारियों ने मेरी बहुत मदद की।”अपनी कड़ी मेहनत के बावजूद वह लगातार तीन वर्षों तक प्रीलिम्स क्लियर नहीं कर सके। इसके बाद उन्होंने अपनी सभी कमजोरियों पर ध्यान देना शुरू किया। उन्होंने कहा, “हिंदी मीडियम के कैंडिडेट्स को लिखने की प्रैक्टिस पर अधिक ध्यान देना चाहिए। वरना मेन्स परीक्षा में प्रश्न छूट जाएंगे। साथ ही, हिंदी मीडियम वालों को अच्छे अंक पाने के लिए जवाब लिखने में थोड़ी क्रिएटिविटी दिखानी चाहिए। मैंने इसकी बहुत प्रैक्टिस की। 40 टेस्ट दिए, और जवाब लिखने की खूब प्रैक्टिस की। लगभग 2000 पेज।”
हिंदी मीडियम वालों को सलाह
उन्होंने स्वीकार किया कि हिंदी मीडियम वालों को पूरा गाइडेंस नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा, ”हिंदी मीडियम के लिए गाइडेंस की कमी है। जब 2018 में मैंने कुछ लोगों से बात करनी शुरू की, तब जाकर नोट्स बना सका कि क्या पढ़ना है और क्या नहीं। इसके अलावा, प्रत्येक अभ्यर्थी को अपना 100 प्रतिशत देना चाहिए।” वह उम्मीदवारों को तैयारी की शुरुआत से ही टेस्ट सीरीज और पीवाईक्यू अपनाने का सुझाव देते हैं। उन्होंने कहा, “हिंदी मीडियम के उम्मीदवारों के लिए टेस्ट सीरीज तैयारी का सबसे जरूरी हिस्सा है। यह आपके दिमाग को धार देता है और आपको परीक्षा के दबाव को संभालने की शक्ति देता है। टेस्ट सीरीज आपकी परीक्षा की तैयारी को 20 से 30 प्रतिशत बेहतर बना देती है।उन्होंने आगे कहा कि आईएएस की तैयारी का मतलब यह नहीं है कि हर क्षेत्र का ज्ञान होना जरूरी है। उन्होंने कहा, “उम्मीदवार सोचते हैं कि उन्हें सब कुछ पता होना चाहिए। यह गलत है। यही कारण है कि कई उम्मीदवारों के पास सामग्री की भरमार हो जाती है। वे कई रिसोर्स के साथ तैयारी करते हैं। यह ठीक नहीं है। शुरुआती वर्षों में मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। लेकिन, 2018 के आसपास समझ आया कि हमें केवल सिलेबस के साथ चलना चाहिए।”
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