कहानी उस आईएएस अधिकारी की, जिसका सपना सिस्टम में बदलाव लाने का था और अब वो वही कर रहा है
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 3 Jan 2022, 11:01 am IST
- 1 minute read
हाइलाइट्स
- आईएएस अधिकारी संतोष कुमार राय बचपन से ही समाज में बदलाव लाना चाहते थे और इसीलिए सिविल सेवा उनका सपना था
- साल 2013 में अपने तीसरे प्रयास में 107 वीं रैंक के साथ यूपीएससी पास करते हुए उन्होंने अपने ख्वाब को पूरा किया और अब वो एक आईएएस अधिकारी के रूप में जमीनी बदलाव ला रहे हैं
- संतोष बिहार नेशनल एसोसिएशन ऑफ सिविल सर्वेन्ट्स (एनएसीएस) के साथ मिलकर बहुत से यूपीएससी स्टूडेंट्स को गाइड भी कर रहे हैं
कुछ लोग बचपन से ही यूपीएससी पास करने के सपने देखते हैं, क्योंकि उनका लक्ष्य होता है कि सिविल सेवा में आकर समाज में बदलाव लाना। हालांकि कितने लोग वास्तव में सिविल सेवा में आकर समाज में बदलाव ला पाते हैं, ये नहीं कहा जा सकता। लेकिन कम से कुछ लोग जरूर ऐसे हैं जो वास्तव में जमीनी बदलाव ल रहे हैं। ऐसे ही एक अधिकारी हैं, 2014 बैच के एजीएमयूटी कैडर के आईएएस आईएएस संतोष कुमार राय। अरुणाचल प्रदेश स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड (एपीएसएसबी) के सचिव और परीक्षा नियंत्रक के रूप में उन्होंने बहुत से जमीनी बदलाव किए हैं। उनके नेतृत्व में बोर्ड ने पिछले 1 साल में 8 परीक्षाएं आयोजित की हैं और सभी के परिणाम मात्र कुछ घंटों में दिये हैं। साल 2013 में अपने तीसरे प्रयास में 107 वीं रैंक के साथ देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी परीक्षा पास कर आईएएस बने संतोष आज हर युवा के लिए एक प्रेरणा हैं।
संतोष इससे पहले भी साल 2012 में अपने दूसरे प्रयास में 665 वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास कर चुके थे, तब वो आईआरएस के लिए चुने गए थे। हालांकि, अपने पहले प्रयास में उन्होंने प्री परीक्षा तो पास कर ली थी, लेकिन मेंस परीक्षा नहीं पास कर पाए थे। बेहद ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले संतोष कुमार राय से इंडियन मास्टरमाइण्ड्स ने बातचीत की और उनकी प्रेरणादायक यात्रा के बारे में जाना।
शुरुआत
संतोष बिहार के समस्तीपुर जिले के ग्रामीण परिवेश से आते हैं। उनके पिता किसान हैं। उन्होंने बिहार बोर्ड से 10 वीं और 12 वीं विज्ञान संकाय में पास किया। उसके बाद दरभंगा की मिथिला यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइन्स में बीए किया। इसके बाद उन्होंने अधिकतर पढे-लिखे ग्रामीण युवा की तरह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी। इस बीच, 2007 में संतोष की शादी हो गई थी और उनके एक बेटी और बेटा है।
सफलता की शुरुआत
सबसे पहले साल 2010 में उन्होंने स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (एसएससी) की कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (सीजीएल) परीक्षा पास किया और किस्मत से उन्हें केंद्रीय सचिवालय, नई दिल्ली में पोस्टिंग मिल गयी। यह एक शानदार अवसर था अपने ख्वाबों को पूरा करने का।
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बात करते हुए संतोष कहते हैं, “ग्रामीण परिवेश से आने वाले किसी भी अन्य युवा की तरह, मेरा भी पहला उद्देश्य जीवन में सफलता हासिल कर स्थिरता पाना था और लगातार कड़ी मेहनत के बाद, मुझे मेरी पहली बड़ी सफलता मिल गई। फिर दिल्ली में पोस्टिंग मिलने के बाद, मैं नौकरी करता रहा और तैयारी भी शुरू कर दी। क्योंकि सिविल सेवा में जाने का मेरा हमेशा से मन था। हम बचपन से सुनते थे कि सिविल सेवा में आने के बाद हमारे पास सोसाइटी के लिए काम करने का बहुत स्कोप होता है। जिला कलेक्टर, जिले के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। इसलिए सिविल सेवा का ख्वाब हमेशा मेरे साथ रहा।” इस बीच संतोष ने एलडीसी की परीक्षा भी पास की। वहीं, उनका सिलेक्शन असिस्टेंट कमांडेंट के लिए भी हुआ था।
यूपीएससी
यूपीएससी की तैयारी के लिए संतोष ने अपनी बनाई रणनीतियों पर काम किया। सामान्य ज्ञान के लिए उन्होंने खुद से ही तैयारी की। जबकि अपने वैकल्पिक विषय के लिए उन्होंने कई लोगों की मदद ली। उनका वैकल्पिक विषय इतिहास था।
संतोष कहते हैं, “किसी भी परीक्षा के लिए कुछ पॉइंट बहुत जरूरी होते हैं, जैसे पुराने प्रश्न पत्रों को हल करना, सिलेबस कैसा है ये देखना, स्टैंडर्ड बुक्स कौन कौन सी हैं ये जानना। जब मैंने इन बिन्दुओं पर काम किया तो मुझे लगा कि ये सब मैं खुद से कर सकता हूं। उसी वक्त सी-सैट भी भी आ गया था। मेरी इंग्लिश पहले से ही ठीक थी। हालांकि अपनी परीक्षा हिन्दी मीडियम में दी थी। मुझे प्री को लेकर कभी दिक्कत नहीं हुई, जितनी कट ऑफ होती थी उससे 20-25 नंबर ज्यादा ही आते थे। इसलिए प्री को लेकर कभी कोई डर नहीं रहा। मेन परीक्षा को लेकर मैंने बहुत मेहनत की। खूब राइटिंग अभ्यास किया।”
यूपीएससी के लिए सलाह
अपना वक्त और ऊर्जा बर्बाद न करें। आपको अपने सामर्थ्य के हिसाब से जितनी पढ़ाई करनी चाहिए, उतनी पूरी मन लगा के कीजिए। यूपीएससी की यात्रा में आपका जुनून और लगातार मेहनत ही सफल होने का साधन है, क्योंकि बहुत बड़ा सिलेबस होता है और एक लंबी यात्रा तय करनी होती है। इसलिए आपका मोटिवेशन ही आपको आगे बढ़ाएगा। आपको बिना निराश हुए पूरे मन से लगातार मेहनत करते रहना है।
इंटरव्यू
मैंने अपनी पूरी परीक्षा हिन्दी में दी थी, लेकिन इंटरव्यू अंग्रेजी में दिया था। इंटरव्यू के लिए ईमानदारी सबसे जरूरी चीज है। जब आप बोर्ड के सामने जाएं तो ईमानदार रहें, क्योंकि आपका इंटरव्यू जो लोग रहे हैं उन्हें बहुत लंबा अनुभव होता है। उनके सामने आपका ज्ञान शायद उतना न हो। वो बस आपके व्यक्तित्व और आपकी क्षमता को परखना चाहते हैं। इसलिए पूरी ईमानदारी से अपना जवाब दें और सकारात्मक रहें। जो नहीं आता है, वो साफ मना कर दीजिए। इसके साथ ही अपना स्टैंड लीजिए, किसी भी विषय पर आपकी एक राय होनी चाहिए।
एनएसीएस
संतोष अब बिहार नेशनल एसोसिएशन ऑफ सिविल सर्वेन्ट्स (एनएसीएस) के साथ मिलकर बहुत से स्टूडेंट्स को गाइड करते हैं। वो कहते हैं, “बिहार और झारखंड ऐसे राज्य हैं जो विकास में पिछड़े हैं, इसलिए हम इस मंच के माध्यम से दोनों राज्यों के सिविल सेवा में आने के इच्छुक छात्रों का मार्गदर्शन करते हैं।”
END OF THE ARTICLE