प्रीलिम्स में पांच बार फेल हुईं, लेकिन जिद ऐसी कि आखिरी प्रयास में यूपीएससी क्रैक कर ही लिया
- Pallavi Priya
- Published on 14 Aug 2023, 12:14 am IST
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हाइलाइट्स
- आकृति सेठी ने आखिरी कोशिश में AIR 249 के साथ यूपीएससी सीएसई-2022 में पाई सफलता
- लगातार असफलताओं ने उन्हें चिंता में डाल दिया था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी
- उन्हें आईएएस अलॉट हुआ है, इस समय वह फाउंडेशन कोर्स में भाग ले रही हैं
कल्पना कीजिए कि आप नौकरशाह बनना चाहते हैं। इसके लिए एक के बाद एक प्रयास करते रहते हैं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगती। ऐसा पांचवें प्रयास तक चलता रहता है और यूपीएससी सीएसई को क्रैक करने का आखिरी मौका आ जाता है। इस समय तक परीक्षा देने वाली की मानसिक स्थिति क्या होगी? वह निराश हो सकती है, आत्मविश्वास डोल सकता है। सबसे बढ़कर यह कि वह खुद पर विश्वास खो सकती है। उसके पास एक बार फिर खड़े होने और पूरी प्रक्रिया से गुजरने की ताकत नहीं बची होगी।दरअसल, आकृति सेठी बिल्कुल इसी दौर से गुजरी थीं। वह पांच बार प्रीलिम्स में फेल हो गई थीं। छठी बार उनके मार्क्स अब तक के सबसे निचले स्तर पर थे। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरी प्रयास में जी-जान लगा दिया। इस तरह 249 वीं रैंक के साथ यूपीएससी सीएसई 2022 को क्रैक करने में सफल रहीं। यह उनका आखिरी प्रयास था। इस जीत ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। इसलिए वह अब कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं।यह यात्रा उनके लिए लंबी और कठिन थी। एक समय तो वह वास्तव में अपनी मानसिक संकट से जूझ रही थीं। यह उनका परिवार खासकर माता-पिता का प्यार और समर्थन था, जिसने उन्हें फिर से ट्रैक पर वापस आने में मदद की। इंडियन मास्टरमाइंड्स लेकर आया है ऐसी आकृति सेठी की कहानी, जिनकी यात्रा किसी योद्धा से कम नहीं है। वह फिलहाल LBSNAA में फाउंडेशन कोर्स में भाग ले रही हैं।
सिविल सर्विसेज की बात रिश्तेदार ने मन में भरी
अंबाला की रहने वाली सुश्री सेठी शहर के सबसे प्रतिभाशाली छात्रों में से एक थीं। माता-पिता को वास्तव में उन पर गर्व था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन और पीजी किया। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने अपने परिवार की मदद करने के मकसद से तीन साल से अधिक समय तक प्राइवेट नौकरी की। वह कहती हैं, ”माता-पिता को हमेशा विश्वास था कि मैं अपने जीवन में कुछ अच्छा करूंगी, लेकिन कभी सिविल सेवा की बात मन में नहीं आई। वह तो एक रिश्तेदार ने कहा था कि अगर मैं पढ़ाई में इतनी अच्छी हूं, तो मुझे सिविल सर्विसेज में जाना चाहिए।” यह बात उनके मन में घर कर गई। बावजूद इसके, परिवार की मदद करने के लिए उन्होंने नौकरी करने का फैसला किया। बहन की शादी के बाद उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी और 2017 में सीएसई की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने वह पहली बार परीक्षा में बैठीं, लेकिन प्रीलिम्स नहीं निकाल सकीं। 2019 में भी ऐसा ही रिजल्ट आया।
असफलता के डर ने बढ़ा दी चिंता
इन असफलताओं ने वास्तव में उन्हें प्रभावित किया। एक समय वह मेधावी छात्रा, जो स्कूल और कॉलेज में अव्वल रहती थी और खेल-कूद में भी उतनी ही अच्छी थी, अब उसकी जिंदगी में ठहराव आ गया था। वह प्रीलिम्स के फंदे में फंस गई थीं। 2019 के प्रयास से पहले ही उन्हें दोबारा फेल होने का डर सताने लगा था। परीक्षा का डर और तनाव उनके मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ रहा था। वह कहती हैं, “मैं किसी भी समय रो पड़ती थी। मैं ना तो सो पा रही थी और ना ही पढ़ाई कर पा रही थी। इससे माता-पिता बहुत चिंतित हो गए थे। वे अब यूपीएससी से कोई लेना-देना नहीं रखना चाहते थे। उनका जीवन मेरी भलाई और खुशी के इर्द-गिर्द घूमता है।” वह चिंता और मानसिक परेशानी से गुजर रही थीं, लेकिन माता-पिता के बिना शर्त प्यार और समर्थन के कारण वह इससे लड़ने में सक्षम हुईं। उन्होंने कहा कि उनकी मां ने यह सुनिश्चित किया कि उन्हें दवाइयां नहीं लेनी पड़े। इस तरह समय बीतने और देखभाल से वह ठीक हो गईं।
पीछे छूट जाने का डर
सुश्री सेठी अच्छी कमाई कर रही थीं, लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया। उनके दोस्त और चचेरे भाई सफलता और पैसे के मामले में जीवन में आगे बढ़ते जा रहे थे। ऐसे में उन्हें पीछे रह जाने का डर सताने लगा। उनका सामाजिक मेल-जोल मामूली रह गया था। वह अपने अधिकांश दोस्तों से बात तक नहीं कर रही थीं, क्योंकि वह अपने जीवन के बारे में जवाब नहीं दे पा रही थीं। उन्होंने कहा, “मेरे दिमाग में पिता का चेहरा आता रहता था। उन्होंने मुझ पर कभी किसी चीज के लिए दबाव नहीं डाला। अगर कोई मेरी शादी के बारे में पूछता भी तो वह उसे चुप करा देते। हर बार परीक्षा दिलाने के लिए वह मेरे साथ जाते थे। जब भी उनसे कहती थी कि मैं परीक्षा के बारे में निश्चित नहीं हूं, तो वह मुझे अगली बार बेहतर प्रदर्शन करने का विश्वास दिलाते थे।”जब वह इन सब से जूझ रही थीं, तब परिवार ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाने पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा दौर किसी के भी जीवन में आ सकता है। इसे पहचानना और खुद को ठीक होने के लिए समय देना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “अगर दिमाग स्वस्थ और फिट है, तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।”
सब संभव है
जब यूपीएससी सीएसई 2022 का रिजल्ट आया, तो परिवार के सभी सदस्य रो पड़े। वे खुशी के आंसू थे! उनके संघर्षों ने इस सफलता को पूरे परिवार के लिए और भी खास बना दिया है। इस सफलता के लिए उन्होंने माता-पिता और मेंटर एमके यादव को धन्यवाद दिया, जिन्होंने उनका मार्गदर्शन किया। उन्हें एहसास हुआ कि सही मार्गदर्शन कमी ही असफलताओं का कारण थी। उन्होंने कहा, “किसी ऐसे व्यक्ति का होना जरूरी होता है, जो आपको रास्ता दिखा सके। इसके अलावा, किसी को भी अपने आप पर विश्वास नहीं खोना चाहिए। ”अंत में उन्होंने यह कहकर निष्कर्ष निकाला कि हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही हमें मिलता भी है। इसके लिए हमेशा खुद से कहते रहना चाहिए कि हम कुछ भी कर सकते हैं!
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