पश्चिम बंगाल के UPSC टॉपर चैतन्य खेमानी की कहानी, चार घंटे भी मन से पढ़ने पर मिल सकता है मनचाहा फल
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 6 Jun 2023, 12:24 pm IST
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हाइलाइट्स
- UPSC CSE 2022 में सिलीगुड़ी के चैतन्य खेमानी ने पश्चिम बंगाल में टॉप किया है
- तीसरी कोशिश में हासिल की 158 रैंक, जाना चाहते हैं आईपीएस में
- प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हुए की यूपीएससी की तैयारी
चैतन्य खेमानी के परिवार में जश्न थमने का नाम नहीं ले रहा है। उन्होंने UPSC CSE 2022 में पश्चिम बंगाल में टॉप जो किया है। वह भी लगातार दो बार फेल होने के बाद। जैसा कि चैतन्य कहते हैं: “देशभर में हासिल यह 158 रैंक दरअसल लंबे संघर्ष का रिजल्ट है।”
परेशान नहीं हुए फेल होने सेः
सिलीगुड़ी के खलपारा के रहने वाले चैतन्य इससे पहले दो बार यूपीएससी सीएसई में बैठ चुके थे, लेकिन पास नहीं कर सके। इससे वह निराश नहीं हुए। उन्होंने कोशिश करते रहने का फैसला किया। उन्होंने कहा, “मुझे अपने परिवार का समर्थन मिला। इसलिए मैंने कोशिश जारी रखी।” फिर जैसा कि किस्मत में लिखा था- उन्होंने राज्य में पहला स्थान हासिल किया!
इसलिए अभी वह अपनी उपलब्धि का जश्न मना रहे हैं। इस अहसास को वह अविश्वसनीय कहते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि उन्होंने अपने परिवार को गौरवान्वित किया है, जो रिजल्ट आने के दिन से ही उत्सवी मूड में है।
परिवार का महत्वः
चैतन्य को आस-पड़ोस के विभिन्न संगठनों द्वारा सम्मानित किया जा रहा है। वह पुलिस अधिकारी बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “दो बार फेल होने के बाद मैं टूट सकता था। सिर्फ इसलिए नहीं टूटा, क्योंकि मेरे साथ चट्टान की तरह मां खड़ी थीं। उन्होंने मुझे हिम्मत दी। वह शुरू से ही हमेशा मेरे साथ रही हैं।”
वास्तव में, हर कदम पर परिवार के सभी सदस्य उनके साथ थे। यूपीएससी में दो बार फेल होने के बाद राज्य में पहले नंबर पर आना सोने पर सुहागा है। उन्होंने कहा, “मैं बहुत खुश हूं!”
चैतन्य की मां मधु खेमानी को टीवी पर बेटे के हर इंटरव्यू में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा, “मैं उम्मीद कर रही थी कि मेरा बेटा पास होगा। वह इसे दो बार नहीं कर सका। लेकिन, मैं उसका मनोबल बढ़ाने में लगी रही। हम इस सफलता से बहुत खुश हैं।”
आसान नहीं रहा रास्ताः
लगातार दो बार फेल होने के बावजूद उन्होंने कदम पीछे नहीं खींचने की ठान ली। इसका विश्लेषण किया कि आखिर उनसे कहां चूक हो रही है। अपनी कमियों को कैसे ठीक किया जा सकता है। उनका यही रवैया उन्हें मंजिल तक ले गया।
दरअसल वह एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे थे। इसलिए तैयारी करने के लिए समय निकालना आसान नहीं था। वह दिन में सिर्फ चार घंटे ही पढ़ाई कर पाते थे। हालांकि, चार घंटे ही मन लगाकर पढ़ने से उन्हें मनचाहा फल मिल गया।
सलाहः
इस कठिन परीक्षा में सफलता के बाद उन्होंने कहा, “कंपीटीशन बहुत अधिक है। इसलिए मैं सभी से कहूंगा कि करेंट अफेयर्स पर बारीकी से नजर रखें। अन्य विषयों को भी बहुत ध्यान से पढ़ना चाहिए।”
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