अश्वनी वैष्णव: आईएएस से लेकर उद्यमी, राजनेता और अब देश के सबसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी!
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 20 Oct 2021, 11:17 am IST
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हाइलाइट्स
- उनकी एक कर्मठ नौकरशाह की रही है, जिसके कई फैसले आम लोगों के लिए राहत भरे रहे हैं
- कभी उच्च शिक्षा के लिए अपनी आईएएस की नौकरी से छुट्टी लेने वाले वैष्णव अब बन चुके हैं राजनेता
- उनके सामने बड़ी चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं, लेकिन ऐसी ही चुनतियों से वो हमेशा लड़ते रहे हैं
- अश्विनी वैष्णव को रेल मंत्री बनाए जाने के बाद उन्हें बधाई देते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा
कुछ महीने पहले मोदी सरकार का कैबिनेट विस्तार हुआ। कई नए चेहरों को मोदी कैबिनेट में लाया गया। नए मंत्रियों के शपथ लेने के बाद जब विभागों का बंटवारा हुआ, तो देश के सबसे अहम मंत्रालयों में से एक रेलवे और आईटी मंत्रालय की जिम्मेदारी एक पूर्व नौकरशाह अश्विनी वैष्णव को दी गई। इस फैसले ने कई लोगों को चौंका दिया था।
लेकिन अगले दिन रेल मंत्रालय की कमान संभालते ही अश्विनी वैष्णव का एक विडियो वायरल हुआ, जिसमें वो एक मंत्रालय के अधिकारी से कह रहे हैं, ‘आओ-आओ गले लगते हैं।’ दरअसल अश्विनी ने राजस्थान के जोधपुर के एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई की है। यह अधिकारी भी उसी कॉलेज से पढ़े हुए थे और अश्विनी को जब यह बताया गया, तो उन्होंने बेहद खुशी में एक सहज मानवीय भाव दिखाते हुए उन्हे गले लगा लिया।
इसके अगले ही दिन अश्विनी वैष्णव ने एक बड़े बदलाव का एलान किया। अश्विनी ने रेलवे मंत्रालय के कामकाज में बड़ा बदलाव लाते हुए घोषणा कर दी कि अब मंत्रालय के कर्मचारी और अधिकारी दो शिफ्टों में काम करेंगे। पहली शिफ्ट सुबह 7 बजे से शुरू होगी और शाम 4 बजे तक चलेगी। जबकि दूसरी शिफ्ट दोपहर बाद 3 बजे से शुरू होकर देर रात 12 बजे तक चलेगी। इन दो घटनाओं से यह बात तो साफ है कि अश्विनी के आने बाद से उनके मंत्रालय में बदलाव की नई बयार बहेगी।
शिक्षा
अश्विन वैष्णव ओडिशा से राज्यसभा सांसद हैं और 15 साल से अधिक समय तक कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाल चुके हैं। मूलरूप से राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले अश्विनी का जन्म 1970 में जोधपुर के एक बैरागी परिवार में हुआ था। उन्होंने जोधपुर के मशहूर एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन में गोल्ड मेडल के साथ बीटेक पूरा किया और फिर प्रतिष्ठित आईआईटी कानपुर से एमटेक किया। साल 1994 में पूरे देश में 27 वीं रैंक के साथ वो आईएएस बने। लेकिन 2008 में पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए करने के लिए अमेरिका चले गए।
कैरियर
वैष्णव ने ओडिशा के बालासोर और कटक जिलों में कलेक्टर के रूप में कार्य किया। यहां उन्होंने भीषण चक्रवात के वक्त अपनी कुशल प्रशासनिक क्षमता का लोहा मनवाया। साल 1999 में ओडिशा के तटीय इलाकों में आए भीषण चक्रवात के समय उनकी सूचना के आधार पर सरकार ने कई कदम उठाए, जिससे बहुत सारे लोगों की जान बच सकी। यहीं से अश्विनी राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आए थे। वो साल 2003 तक ओडिशा में कार्यरत रहे और फिर उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पूर्व-प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में प्रधानमंत्री कार्यालय में उप-सचिव के रूप में नियुक्त किया गया।
पीएमओ में अपने छोटे से कार्यकाल में ही उन्होंने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) ढांचे को बनाने में योगदान दिया। बाद में जब 2004 में भाजपा के नेतृत्व वाल एनडीए को आम चुनावों में हार मिली, तो उन्हें वाजपेयी के निजी सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। साल 2006 में, वह मोरमुगाओ पोर्ट ट्रस्ट के उपाध्यक्ष बने, जहां उन्होंने अगले दो वर्षों तक काम किया। लेकिन 2008 में शैक्षिक ऋण लेकर व्हार्टन बिजनेस स्कूल से एमबीए करने चले गए।
कहते हैं कि जब उन्होंने महसूस किया कि शैक्षिक ऋण चुकाने में उन्हें वर्षों लगेंगे, तो उन्होंने निजी क्षेत्र में शामिल होने के लिए साल 2010 में सिविल सेवा छोड़ दी। उसके बाद उन्होंने जनरल इलेक्ट्रिक और साइमेंस जैसी कई प्रमुख वैश्विक कंपनियों में अहम भूमिका निभाई है। बाद में उन्होंने गुजरात में ऑटो उपकरण की विनिर्माण इकाइयां स्थापित कीं। इसी साल अप्रैल में उन्हें भारतीय प्रेस परिषद का सदस्य नामित किया गया था।
राजनीति में आना
अश्विनी जून, 2019 में बीजेपी में शामिल हुए और बीजेपी में आने के 6 दिनों बाद ही उन्हें राज्यसभा के लिए चुन लिया गया। ओडिशा से बीजेपी के टिकट पर राज्यसभा का चुनाव जीतना बड़ी बात थी, क्योंकि पार्टी के पास विधायकों की संख्या इतनी नहीं थी कि वह चुनाव जीत सकें। लेकिन वैष्णव ने राज्य के सत्तापक्ष यानी ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक का समर्थन हासिल कर लिया। अब रेलवे और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे अहम मंत्रालय देना प्रधानमंत्री मोदी के उन पर किए गए भरोसे की गवाही देता है। लेकिन अश्विनी ने यह भरोसा बरसों काम करके कमाया है।
वैष्णव कर ढांचे को कम करने या उसे युक्तिसंगत बनाने के पक्षधर हैं, उनका मानना है कि ऐसा करने से भारतीय उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और भारतीय उद्योग का पूंजी आधार भी विकसित होगा। उन्होंने राज्यसभा में कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2019 का भी समर्थन भी किया था।
वैष्णव के सामने निजी ट्रेन चलाने की चुनौती के साथ-साथ बुलेट ट्रेन समेत हाई स्पीड रेल कॉरिडोर को भी फास्ट ट्रैक पर लाने और रेलवे की खाली जमीन के व्यावसायिक विकास की भी चुनौती होगी। साथ ही उनके दूसरे मंत्रालय सूचना और प्रौद्योगिकी में नए आईटी नियमों को लेकर बड़ी कंपनियों के साथ समन्वय बिठाना भी अहम होगा। लेकिन नौकरशाही की बेहतर समझ रखने वाले वैष्णव के बारे में यह चर्चा आम है कि वह बड़े प्रशासनिक सुधार के साथ फिर से रेलवे को गति देंगे और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सभी विवादों को सुलझा लेंगे।
वैष्णव ने स्वदेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘Koo’ (कू) को भी ज्वाइन कर लिया है। यहां अपनी पहली ही पोस्ट में उन्होंने नए आईटी नियमों को सशक्त और यूजर्स को संरक्षित रखने वाला बताया। इंडियन मास्टरमाइण्ड्स उनके बेहतर भविष्य की कामना करता है और उम्मीद करता है कि उनके उठाए गए कदमों से देश के आम लोगों को राहत मिलेगी।
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