सरकारी स्कूल के हेडमास्टर का बेटा आमिर बना आईएएस अफसर, जामिया की आवासीय कोचिंग से की है तैयारी
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 1 Jun 2023, 3:00 pm IST
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हाइलाइट्स
- तीसरी कोशिश में आमिर खान को मिली UPSE CSE 2022 में कामयाबी
- कोविड के कारण लगे लॉकडाउन से पढ़ाई में आई रुकावटें, फिर भी मिली 154 रैंक
- यूपीएससी निकालने के लिए क्रिकेट के प्रति अपने जुनून को भी डाल दिया था ठंडे बस्ते में
उत्तर प्रदेश के बांदा में एक सरकारी स्कूल के हेडमास्टर के बेटे आमिर खान के लिए यह बहुत गर्व और खुशी के क्षण हैं। इसलिए कि उन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में शानदार 154वीं रैंक हासिल की है। इस रैंक के साथ उनका आईएएस अधिकारी बनना तय है। उसकी इस उपलब्धि से उनके पिता का अपने बेटे को देश की सेवा करते देखने का सपना पूरा हो गया है। पूरे परिवार में खुशी की तो बात ही अलग है। माता-पिता के अलावा आमिर के तीन भाई और चार बहनें हैं।
इंडियन मास्टरमाइंड्स ने इस शानदार पल को सहेजते हुए आमिर खान का एक वीडियो इंटरव्यू किया है, जिसमें उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली स्थित रेजिडेंशियल कोचिंग एकेडमी (आरसीए) के अपने अनुभव पर बात की है। उन्होंने यूपीएससी के लिए अपनी तैयारी की रणनीति के बारे में भी बताया। यह भी बताया कि कैसे आरसीए ने इस परीक्षा को पास करने में उनकी मदद की। उन्होंने भारत जैसे समाज में ऐसी पहलों के महत्व पर भी प्रकाश डाला। कहा कि इस तरह के कदमों से देश का भविष्य संवरता है।
20 साल पहले छोड़ा गांवः
आमिर के पिता रफाकत हुसैन हमेशा चाहते थे कि बेटा ऐसे रास्ते पर चले, जो देश की बेहतरी में काम आए। इसके लिए रफाकत ने 20 साल पहले अपने गांव को छोड़ दिया है। ताकि बच्चों को अच्छी पढ़ाई की सुविधा दिला सकें। बांदा जिले को आमिर की सफलता न केवल गौरव, बल्कि पहचान भी दिलाती है।
कोविड से आई बाधाः
साधारण बैकग्राउंड से आने के बावजूद आमिर के समर्पण और अटल इरादे ने उन्हें यह असाधारण कामयाबी दिलाई है। उन्होंने अपनी शैक्षणिक यात्रा के दौरान कई सम्मान और पुरस्कार हासिल किए हैं। आमिर ने अलीगढ़ से 12वीं करने और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बीटेक की डिग्री लेने से पहले अपनी हाई स्कूल की शिक्षा बांदा में पूरी की।
कोविड-19 महामारी ने आमिर की पढ़ाई को बाधित कर दिया। इससे यूपीएससी में उनका प्रदर्शन प्रभावित हुआ। हालांकि, वह पॉजिटिव बने रहे। इससे पिछली कोशिशों में नाकामी मिलने के बाद भी आमिर ने तीसरी और अंतिम कोशिश में 154वीं रैंक हासिल कर ली।
क्रिकेट के लिए जुनूनः
पढ़ाई-लिखाई के अलावा आमिर में क्रिकेट के लिए भी दीवानगी है। हालांकि, उन्होंने अपनी पढ़ाई से कभी समझौता नहीं किया और यूपीएससी के लिए रोजाना 14 से 16 घंटे पढ़ाई करते रहे। इसके अलावा, आमिर अपने भाई-बहनों को भी पढ़ाई में अच्छे मार्क्स लाने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी यह शानदार कामयाबी उनके परिवार और समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश में सिविल सेवा के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए मिसाल बनेगी।
चुनौतियों का सामना करने में आमिर का जुनून, जिद और लगन यकीनन बेमिसाल है। यह बदलाव की चाहत वाले हर शख्स को प्रेरित करेगा।
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