डॉक्टर बने आईएएस अधिकारी, आंध्र प्रदेश में जीवीएस पवनदत्त बने स्टेट टॉपर
- Bhakti Kothari
- Published on 7 Jun 2023, 4:58 pm IST
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हाइलाइट्स
- पवनदत्त ने पहली ही कोशिश में 22वीं रैंक के साथ UPSC CSE 2022 में पाई सफलता
- उन्होंने सिविल सेवाओं के लिए डॉक्टरी का अपना पेशा तक छोड़ दिया
- वह देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में करना चाहते हैं सुधार
जीवीएस पवनदत्त का पेशा पहले डॉक्टर का था, लेकिन अब वह जल्द ही आईएएस अधिकारी बनने वाले हैं। इसलिए कि उन्होंने 22 वीं रैंक के साथ UPSC CSE 2022 पास कर ली है। इतना ही नहीं, स्टेट टॉपर बनकर उन्होंने परिवार और अपने राज्य आंध्र प्रदेश को बहुत गौरवान्वित किया है। वह बच्चों के डॉक्टर थे, लेकिन कोविड-19 के प्रकोप ने जीवन के प्रति उनके नजरिये को ऐसे बदला कि उन्होंने एक नौकरशाह बनने का फैसला कर लिया।
इंडियन मास्टरमाइंड्स ने मेडिकल से सिविल सर्विसेज में शिफ्ट होने को लेकर उनसे विशेष बातचीत की।
बैकग्राउंडः
डॉ. पवनदत्त के पिता जी वेंकटेश्वर राव इस समय राजमपेट, अन्नमय्या जिले में एलआईसी के लिए काम करते हैं। मां एस. ललिता कुमारी कोडुरू में जिला परिषद हाई स्कूल में पढ़ाती हैं। तिरुपति के मूल निवासी पवनदत्त ने स्कूली शिक्षा गुडिवाडा में विश्व भारती हाई स्कूल में पूरी की। फिर इंटरमीडिएट हैदराबाद के नारायण कॉलेज से किया। इसके बाद तिरुपति में एसवी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया।
एमबीबीएस से आईएएस तकः
यह कोविड-19 का प्रकोप था, जिसने उनकी पूरी सोच को बदल कर रख दिया। उन्होंने उस दौरान अफसरों को जी-जान से सब कुछ मैनेज करते देखा था, जिसमें डॉक्टरों ने कंधे से कंधा मिला कर साथ दिया था। हालांकि, उनका मानना है कि एक आईएएस अधिकारी का प्रभाव डॉक्टर की तुलना में एक हजार गुना अधिक होता है। इसलिए कि वे लोगों के जीवन को बड़े पैमाने पर प्रभावित करते हैं। ऐसा करना डॉक्टर के लिए मुमकिन नहीं हो पाता।
उन्होंने कहा, “इससे मुझे आईएएस अफसर बनने की प्रेरणा मिली और मैंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया।”
तैयारीः
पवनदत्त ने एंथ्रोपोलॉजी को अपना ऑप्शनल बनाया। इसलिए कि यह स्कोरिंग सब्जेक्ट है। परीक्षा की तैयारी के लिए उनके पास केवल कुछ महीने थे। चूंकि मेडिकल साइंस का एरिया बहुत बड़ा होता है, इसलिए उन्होंने एंथ्रोपोलॉजी को ही चुना। उन्होंने अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट के लिए काफी मेहनत की, जिससे उन्हें बहुत अच्छे मार्क्स (294) मिले।
यूपीएससी की तैयारी के लिए उनकी कोई खास रणनीति नहीं थी। उन्होंने अपने लिए कुछ टारगेट सेट किए और उसी के अनुसार तैयारी की। वह बेसिक्स पर टिके रहे और हर सोर्स मटेरियल का रिवीजन किया। कई-कई बार। उन्होंने प्रीलिम्स के लिए कोई नोट्स नहीं बनाए और मेन्स के दौरान भी करेंट अफेयर्स के लिए बहुत छोटे-छोटे नोट्स बनाए।
इंडियन मास्टरमाइंड्स से उन्होंने कहा, “मेडिकल बैकग्राउंड से होने के कारण मुझे बहुत जल्दी लिखने की तैयारी करनी पड़ी थी। मैंने अपने ऑप्शनल के लिए कोचिंग ली और कुछ मॉक इंटरव्यू दिए।”
इंटरव्यू में पवन से पूछे गए 95% प्रश्न डॉक्टरी पेशे से संबंधित थे, जिनका उन्होंने संतोषजनक उत्तर दिया।
आगे जो करना हैः
जब उनकी भविष्य की योजनाओं के बारे में सवाल किया गया, तो पवन ने हंसते हुए संकेत दिया कि वह पहले कुछ महीनों तक आनंद उठना चाहेंगे। इसलिए कि उन्होंने अपनी सबसे बड़ी चुनौती को पार कर लिया है और उनके पास फिर से इतना खाली समय नहीं हो सकता है।
दूसरे, मेडिकल बैकग्राउंड से होने के कारण पवन देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहते हैं। इसलिए कि वह देश की हेल्थ सिस्टम को बहुत अच्छी तरह जानते हैं।
पवन को अपनी तैयारी के दौरान कई इमोशनल संकट का भी सामना करना पड़ा। लेकिन वह फीनिक्स की तरह उठे और अपनी सभी चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया। वह अपनी सफलता का क्रेडिट माता-पिता और विशेष रूप से अपने भाई को देते हैं। इसलिए कि उन्होंने तैयारी के दौरान न केवल मानसिक रूप से, बल्कि पैसे से भी उनकी मदद की।
सलाहः
जो यूपीएससी के लिए तैयार कर रहे हैं, उन सबसे पवन कहते हैं, “बुनियादी बातों यानी बेसिक्स पर टिके रहें। सरल बने रहें। परीक्षा को ज्यादा हाईप न करें और ज्यादा तनाव न लेने की कोशिश करें। जितनी हो सके, उतनी प्रैक्टिस करें। आप निश्चित रूप से कामयाब होंगे।”
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