नैनीताल: डीएम के प्रयासों से बनी हाइटेक नर्सरी, किसानों का होगा बड़ा फायदा
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 16 Nov 2021, 2:02 pm IST
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हाइलाइट्स
- 2009 बैच के आईएएस अधिकारी और नैनीताल के डीएम धीरज गर्बियाल ने हॉर्टिकल्चर पर्यटन की बदली सूरत
- बंजर जमीन पर खड़ी हुई 2500 से अधिक सेब के उन्नत किस्म के पौधों की नर्सरी, किसानों को होगा बड़ा फायदा
- सेब के पौधों की नर्सरी (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
नैनीताल जिले का रामगढ़ क्षेत्र फलों की पट्टी के रूप में पहचाना जाता है। सेब से लेकर कई मौसमी फलों की खूब पैदावार होती है। लेकिन हाल के कई सालों में, मौसम के बदलते चक्र के साथ फलों की खेती कमजोर हुई है। कई मौसमी बदलावों के कारण किसानों ने आड़ू और प्लम का उत्पादन शुरू कर दिया, तो कई किसानों ने फलों की खेती छोड़ कोई और धंधा अपना लिया। इसका असर कहीं न कहीं उद्यान और हॉर्टिकल्चर (बागबानी) पर्यटन पर भी पड़ा।
लेकिन नैनीताल के डीएम और 2009 बैच के आईएएस अधिकारी धीरज सिंह गर्बियाल के प्रयासों से अब सूरत बदल रही है। कभी पौड़ी-गढ़वाल जिले में स्थित पौड़ी शहर को विकास के नए आयाम दिलाकर सुर्खियां बटोरने वाले गर्बियाल के प्रयासों ने रामगढ़ की बंजर भूमि पर सेब की हाईटेक नर्सरी आबाद कर दी। इस नर्सरी में अब यूरोप से मंगाए गए स्पर प्रजाति वाले सेब की पौध मिलती है। किसानों को जो पौधे कभी औसतन 500 रुपए प्रति पौधे की दर से हिमाचल और शिमला से मंगाने पड़ते थे, वही पौधे अब स्थानीय स्तर पर ही औसतन 100 रुपए की दर से मिलने लगे हैं।
क्या थी योजना
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से एक खास बातचीत में धीरज सिंह गर्बियाल कहते हैं, “हम पहले पौढ़ी में ऐसा काम कर चुके थे। वहां भी किसानों को सस्ते पौधे उपलब्ध नहीं हो पाते थे। लेकिन जब तक आपके पास जिले के हॉर्टिकल्चर विभाग की या कोई और सरकारी नर्सरी नहीं होगी, तब तक किसानों को सस्ती दर पर पौधे कहां से मिलेंगे। फिर तो हमें हमेशा हिमाचल या कश्मीर पर ही निर्भर होना पड़ेगा। वही स्थिति यहां भी थी, इसीलिए हमने ये पहल की। बंजर जमीनों को सुधारने और बागबानी के काबिल बनाने के लिए मशीनों का सहारा लिया। फिर नर्सरी और हॉर्टिकल्चर के मॉडर्न फार्म की नींव डाली। यहां मॉडर्न फार्म से मतलब अधिक घनत्व वाले पौधों से है, जो छोटी हाइट के बेहद विविधता वाले होते हैं। हमने सेब की ये पौध यूरोपीय देश हालैंड से मंगाई है। इससे यह इलाका उन्नत किस्म के सेब की पैदावार वाले क्षेत्र के रूप में विकसित होने की तरफ बढ़ेगा।”
उद्देश्य
डीएम गर्बियाल का मुख्य मकसद नैनीताल क्षेत्र को हॉर्टिकल्चर पर्यटन के रूप में स्थापित करना है। उनका मानना है कि बागवानी को पर्यटन से जोड़कर क्षेत्रवासियों को किसानी से अधिक फायदा दिलाया जा सकता है। हॉर्टिकल्चर पर्यटन को लेकर प्रशासन की योजना है कि जिले में आने वाले पर्यटक सेब की नर्सरी का दीदार करें। इसीलिए आठ काटेज भी स्थापित करने की योजना है, जहां रुककर पर्यटक बागबानी पर्यटन के मजे ले सकें। साथ ही एक बेहतर पार्किंग व्यवस्था बनाए जाने की भी योजना है। इसके अलावा प्रवेश द्वार पर रेस्तरां कैफे भी बनाए जाएंगे।
गर्बियाल कहते हैं, “हॉर्टिकल्चर पर्यटन विकसित करने के लिए जिले में ये एक बड़ी सकारात्मक पहल है। हमारी योजना में सेब की उन्न्त किस्म की नर्सरी, एक उद्यान, किसानों के लिए ट्रेनिंग सेंटर और पर्यटन के उद्देश्य से कॉटेज और पार्किंग सहित सभी आधुनिक सुविधाओं युक्त कैफे की परिकल्पना थी। पहले हमने नर्सरी तैयार की, अब ट्रेनिंग सेंटर, कॉटेज और कैफे विकसित किया जा रहा है।”
क्रियान्वयन
प्रशासन ने लगभग 8 एकड़ की जमीन को शानदार तरीके से विकसित कर पर्यटन के नए दरवाजे खोल दिये हैं। नर्सरी में 2500 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं, जिसमें रेड डिलीशियस, ग्रेनी स्मिथ, गेल गाला, डेकारली, हनी क्रिस्प, किंग रोट, हेपके गाला, शिंचो रेड व जेरोममिन, एमएम7, एमएम111, एमएम106, स्कारलेट स्पर व डार्क बैरन आदि की पौध लगाई गई है। साथ ही सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई योजना के साथ-साथ 65 हजार लीटर का टैंक भी बनाया गया है। पौधों को सहारा देने के लिए ट्रेलिस लगाए गए हैं। जिला प्रशासन और उद्यान विभाग के प्रयासों के बाद जिले में एक हाईटेक नर्सरी बनकर तैयार हो चुकी है और हॉर्टिकल्चर पर्यटन के नए दौर की शुरुआत की उम्मीदें भी जवां हो रही हैं।
1999 बैच के पीसीएस और 2009 में आईएएस कैडर पाए जिलाधिकारी गर्बियाल से नैनीताल के पर्यटन कारोबारियों को खासी उम्मीदें थीं। और अब तक गर्बियाल उनकी हर उम्मीद पर खरे उतरे हैं। नैनीताल को उन्नत किस्म के सेब की पैदावार वाले क्षेत्र के रूप में विकसित करने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को सेब की बागवानी का प्रशिक्षण और उत्पादन बढ़ाने संबंधी जानकारियां दिलाने की उनकी सोच ने इलाके के लोगों के लिए शानदार काम किया है।
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