सब्जी बेचते हुए आईएएस अधिकारी की वायरल तस्वीरें, मानवता का एक खूबसूरत चेहरा!
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 22 Oct 2021, 5:20 pm IST
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हाइलाइट्स
- उत्तर प्रदेश कैडर के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सब्जी बेचते हुए आए नजर
- इसके पीछे उनकी मंशा जब सामने सामने आई तो लोग उनकी सादगी के फैन हो गए
- यूपी परिवहन विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात आईएएस डॉ. अखिलेश मिश्रा सब्जी बेचते हुए आए नजर (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
सोशल मीडिया पर अक्सर चीजों को इतना तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है कि कई बार एक बेहतर भावना या खूबसूरत दृश्य को भी नकारात्मक दिखा जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ उत्तर प्रदेश के एक आईएएस अधिकारी के साथ। पूरी कहानी जानने से पहले जरा सोचकर देखिये कि आप कहीं जा रहे हों और अचानक से सड़क के किनारे फुटपाथ पर कुछ खरीदने पहुंच जाएं। वहां आपको पता चले कि जिस दुकानदार से आप सामान खरीद रहे हैं, वो कोई और नहीं बल्कि एक आईएएस अधिकारी है। तो आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी?
दरअसल ऐसा ही हुआ जब हाल ही में कुछ वक्त पहले उत्तर प्रदेश कैडर के एक सीनियर आईएएस अधिकारी की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं थीं, जहां वो सब्जी बेचते हुए नजर आ रहे हैं। इन तस्वीरों में यूपी परिवहन विभाग में विशेष सचिव के पद पर कार्यरत आईएएस डॉ. अखिलेश मिश्र सड़क किनारे एक बाजार में सब्जी की दुकान पर बैठे सब्जी बेचते हुए दिख रहे हैं। उनके सामने एक महिला भी बैठी है और शायद खरीदने के लिए सब्जियां छांट रही है। इन तस्वीरों को अखिलेश के सोशल मीडिया अकाउंट से ही शेयर किया गया था।
लेकिन फिर वही हुआ जो अपने यहां के सोशल मीडिया के स्वघोषित जज हमेशा से करते आए हैं। बिना इन इन तस्वीरों की सच्चाई जाने लोगों ने तरह-तरह की प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी। कुछ लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि आईएएस अधिकारी साइड पोस्टिंग के चलते सब्जी बेंच रहे हैं। बाद में इन तस्वीरों को अखिलेश ने खुद ही डिलीट कर दिया।
क्या हुआ था!
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स ने डॉ. अखिलेश मिश्र से बातचीत की थी और उनका पक्ष जानने की कोशिश की। हमसे बातचीत में अखिलेश ने कहा, “मैं कल सरकारी काम से प्रयागराज गया था। वहां से वापस लौटते वक्त एक जगह सब्जी देखने के लिए रुका। सब्जी विक्रेता एक वृद्ध महिला थी जिसने मुझसे अनुरोध किया कि मैं उसकी दुकान पर कुछ वक्त के लिए नजर रखूं, वो बस अभी आ रही हैं। शायद वो अपने बच्चे को देखने गई थी जो वहीं पास में ही खेल रहा था। मैं भी मानवता वश उनकी दुकान पर बैठ गया। इस बीच कई ग्राहक आए और वो सब्जी विक्रेता महिला भी आ गयी। उसी दौरान मेरे साथ मेरे एक मित्र थे, जिन्होंने मेरी फोटो खींच ली। साथ ही मजाक-मजाक में उन्होंने मेरे ही फोन से मेरे सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट लिखते हुए ये फोटो डाल दीं। जब मैंने बाद में इन तस्वीरों को देखा, तो उन्हें डिलीट कर दिया।”
मानवीयता का भावना
अब जरा सोचकर देखिए कि एक इतने सीनियर आईएएस अधिकारी ने एक वृद्ध महिला की मदद करने के लिए बिना एक पल सोचे उनकी दुकान पर सब्जी विक्रेता बन कर बैठकर गए। आज के पेशेवर माहौल में इस तरह के जमीनी और आम लोगों की हर वक्त हर संभव मदद करने वाले अधिकारियों की समाज को कितनी जरूरत है। लेकिन उनका हौसला बढ़ाने के बजाए और बिना उनका पक्ष जाने, हम उन्हें सोशल मीडिया की आभाषी दुनिया में ट्रोल कर रेह हैं। यह कहीं से भी जायज नहीं लगता। जबकि इतने सादगी पसंद अधिकारी को एक महिला की मदद और उस खूबसूरत फोटो के लिए खूब सराहना मिलनी चाहिए थी।
स्वभाव से बेहद विनम्र अखिलेश कहते हैं, “आईएएस अधिकारी कोई बन के पैदा नहीं होता है। यहीं हमारा सिस्टम ही लोगों को आईएएस अधिकारी बनाता है। इसलिए आम लोगों की मदद करना हमारा कर्तव्य है। लेकिन हमारी भी एक निजी जिंदगी होती है और उसे जीने का हमे पूरा हक है। लेकिन जैसे ही मुझे लगा कि लोग मेरी तस्वीरों का गलत तरह से संदर्भ निकाल रहे हैं, मैंने उन्हें हटा दिया।” अखिलेश के पक्ष को भी कुछ लोग उनका बड़प्पन मानकर उनकी सराहना कर रहे हैं।
आपको बता दें कि अखिलेश की छवि उत्तर प्रदेश की अफसरशाही में एक बेहद सक्रिय अधिकारी की है, जो आम लोगों से जुड़ने और उनकी समस्याओं का समाधान करने को लेकर हमेशा तत्पर रहता है। इतना ही नहीं अखिलेश एक बहुत अच्छे कवि भी हैं और साहित्यिक और समसामयिक परिचर्चाओं में भी शामिल होते रहते हैं।
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