पुलों के निर्माण में इस आईएएस अधिकारी का कोई सानी नहीं, बनाएं हैं 320 से अधिक पुल
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 1 Nov 2021, 5:59 pm IST
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हाइलाइट्स
- जम्मू और कश्मीर में पुलों का निर्माण न केवल लोगों को जोड़ता है, बल्कि जीवन बचाता भी है और साथ ही रोजगार भी पैदा करता है।
- डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी के अद्वितीय दृष्टिकोण और काम ने उन्हें 4 राष्ट्रीय पुरस्कार दिला दिए हैं।
जम्मू और कश्मीर क्षेत्र ने अनेकों बार उन मुद्दों का सामना किया है, जिन्होंने राज्य के विकास में बड़ी बाधाएं पैदा की हैं। इस पहाड़ी राज्य के अंदरूनी हिस्से के बेहतर विकास में बाधाएं डालने वाली एक आधारभूत और निर्णायक अड़चन बड़े पैमाने पर कनेक्टिविटी का न होना है। लेकिन जम्मू और कश्मीर कैडर के एक आईएएस अधिकारी डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी को कश्मीर के उधमपुर जिले में उपायुक्त के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद राज्य की वृद्धि में तेजी आई है।
‘राहत’ योजना की शुरुआत के साथ ही, इस युवा आईएएस अधिकारी ने जम्मू-कश्मीर में 320 पुलों के निर्माण का नेतृत्व किया है। उनके इस बड़े कारनामे के परिणामस्वरूप हजारों स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं।
राजौरी जिले के रेहान गांव के रहने वाले डॉ. चौधरी अपने बचपन से ही देख रह थे कि अन्य पृथक गांवों के साथ उनके गृहनगर को बाढ़ के मुद्दों का सामना करना पड़ता था। नालों और सोतों में बाढ़ की वजह से, जहां कोई फुट-ओवर ब्रिज (किसी ऊंचाई पर बना पैदल पुल) नहीं था, जिसके परिणामस्वरूप कई मौतें हुईं। वास्तव में, कई बच्चों ने अपने स्कूल जाने के लिए इन ‘नालों’ को पार करने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी।
पुल-निर्माण से जुड़ना
इसलिए, आईएएस बनने के बाद डॉ. चौधरी ने सुदूर क्षेत्रों में संपर्क बढ़ाने के लिए पुलों के निर्माण का कार्य अपने जिम्मे लिया। साल 2013 में अपने मिशन की शुरुआत करते हुए उन्होंने राज्य के रियासी जिले के उपायुक्त के रूप में वहां 70 लकड़ी के पुल बनवाए।
बाद में, जब उन्होंने उपायुक्त के रूप में उधमपुर जिले का कार्यभार संभाला, तो डॉ. चौधरी ने पाया कि यहां भी लोगों को इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और इस जगह भी या तो बहुत कम या न के बराबर पुल हैं। इसीलिए मॉनसून के दौरान, जब बारिश के पानी की वजह से छोटी-छोटी नदियों तक में बाढ़ की स्थिति आ जाती थी, तो बच्चे अपने स्कूलों तक नहीं पहुंच पाते थे।
प्रोजेक्ट ‘राहत‘
उधमपुर में डॉ. चौधरी ने 2015 में ‘राहत परियोजना’ का शुभारंभ किया। पिछले पांच वर्षों में, डीआरडीओ प्रौद्योगिकी का उपयोग करके, 320 पुलों का निर्माण किया गया है और इस परियोजना से 327 स्कूलों को मदद मिली है। इस परियोजना ने विशेष रूप से स्थानीय जनता के लिए 43000 मानव-दिवस रोजगार उत्पन्न किए हैं। डॉ. चौधरी का दृढ़ संकल्प वास्तव में उल्लेखनीय है और उनकी सफल पहल ने स्थानीय लोगों के लिए जीवन आसान बना दिया है।
शिक्षा और पुरस्कार
अपने जिले के भीतर ही लोगों को जोड़ना एक उल्लेखनीय उपलब्धि थी। इसके लिए डॉ. चौधरी को 2019 में ‘इंडियन एक्सप्रेस एक्सीलेंस अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था।
2009 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ. चौधरी ने जम्मू के ‘शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय’ से ‘पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन’ में स्नातक किया। उन्होंने देहरादून के ‘वन अनुसंधान संस्थान’ से ‘एमएससी प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन’ में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है।
डॉ. चौधरी का उत्कृष्ट कार्य उनकी अन्य पहलों के माध्यम से बिलकुल स्पष्ट दिखाई देता है। वर्तमान में श्रीनगर के उपायुक्त के रूप में तैनात डॉ. चौधरी ने लेह में 2016 की बाढ़ के दौरान कुशल प्रशासनिक कार्यों की अपनी क्षमता का लोहा मनवाया था। उन्होंने 600 क्षतिग्रस्त घरों के पुनर्निर्माण में मदद की, इस प्रक्रिया में बड़ी संख्या में लोगों को राहत पहुंचाई थी।
जम्मू और कश्मीर के विकास में उनके योगदान के लिए, डॉ. चौधरी को 4 राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। ये पुरस्कार हैं, सर्वश्रेष्ठ चुनावी आचरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार, ई-गवर्नेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार, लोक प्रशासन में प्रधानमंत्री पुरस्कार और महिला सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार।
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