वेल्लियांगिरी हिल्स में प्लास्टिक कूड़ा-कचरा रोकने के लिए पे एंड रिफंड पॉलिसी
- Muskan Khandelwal
- Published on 3 Jul 2023, 11:46 am IST
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हाइलाइट्स
- अधिकारी प्लास्टिक की बोतलों पर टैग लगाते हैं और उसे एक बार वापस लाने पर 20 रुपये देते हैं
- 84.5 प्रतिशत की प्रभावशाली रिकवरी रेट हासिल हुई, तीर्थयात्रियों द्वारा 167,310 डिस्पोजेबल पानी की बोतलें वापस लाई गईं
- कोयंबटूर वन विभाग ने वेल्लियांगिरी पहाड़ियों पर डिस्पोजेबल पानी की बोतलों के कूड़े को रोकने के लिए अनोखी शुरुआत की
प्लास्टिक पॉल्यूशन से निपटने और वेल्लियांगिरी हिल्स की प्राकृतिक सुंदरता को बचाने के लिए सराहनीय प्रयास किए गए हैं। कोयंबटूर वन विभाग ने तीर्थयात्रियों द्वारा डिस्पोजेबल पानी की बोतलों को इधर-उधर फेंकने से रोकने के लिए एक अनोखी योजना लागू की है। कोयंबटूर के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (डीएफओ) एन. जयराज के नेतृत्व में चल रही इस पहल को चौतरफा सराहना मिल रही है।
पहल
इंडियन मास्टरमाइंड्स से विशेष बातचीत में डीएफओ एन. जयराज ने इस अनोखी पहल पर प्रकाश डाला। कहा, “इस साल की शुरुआत में तीर्थयात्रियों के लिए वेल्लियांगिरी हिल्स खोलने से पहले हमने इरुटुपल्लम में बोलमपट्टी रेंज ऑफिस में एक बैठक की। इसकी अध्यक्षता खुद की। इसमें असिस्टेंट कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (एसीएफ), फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर (एफआरओ), गैर सरकारी संगठन और स्वयंसेवकों सहित भाग लेने वाले सबने प्लास्टिक कचरे को कम करने के लिए विभिन्न विचारों पर दिमाग लगाया।”इसके बाद टीम ने प्लास्टिक की बोतलों पर टैग लगाने और रुपये वापस करने का फैसला किया। इसके तहत बोतल दोबारा लाने वाले को 20 रुपये वापस किए जाते हैं। इस योजना को लागू करने का फैसला काफी सोच-विचार के बाद मिल कर लिया गया।यह पहली बार है जब कोयंबटूर वन विभाग ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर ऐसी पहल की है। इस अभियान को विशेष रूप से एक विशेष मौसम के दौरान तब चलाया गया था, जब तीर्थयात्रियों की संख्या काफी अधिक होती है। जाहिर है, भीड़ का पर्यावरण पर असर पड़ता है।
समझदार तीर्थयात्री
इस पहल को तीर्थयात्रियों से भारी समर्थन मिला। इसलिए कि उनमें से लगभग सभी ने प्लास्टिक कचरे को कम करने के प्रयास को पूरे दिल से अपनाया। इस पहल की भरपूर सराहना हुई है। कई लोगों ने पर्यावरण प्रबंधन के प्रति वन विभाग के कमिटमेंट की सराहना की है।
चुनौतियों का सामना
हालांकि, इस पहल को लागू करने में चुनौतियां भी कम नहीं थीं। वन विभाग को इस अतिरिक्त काम के लिए सीमित कर्मचारियों अलावा भी कई चुनौतियां झेलनी पड़ीं। फिर भी इसे लागू किया गया। इसके अलावा, पहाड़ियों पर आने वाले तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या ने वन कर्मचारियों पर सफाई बनाए रखने और पहल के उद्देश्यों को बनाए रखने का दबाव बढ़ाया।रिकवरीःश्री जयराज ने कहा, “इन बाधाओं के बावजूद इस पहल ने प्रभावशाली परिणाम हासिल किए।” कुल 198,000 डिस्पोजेबल पानी की बोतलों को टैग किया गया था। इनमें से 84.5 प्रतिशत के बराबर 167,310 बोतलें सफलतापूर्वक बरामद की गईं। स्नैक कवर और रैपर के साथ बरामद बोतलों की पहाड़ी के नीचे गहरी जांच की गई। इसके बाद, उन्हें बायोडिग्रेडेबल न्यूजपेपर पैकेजिंग में पैक किया गया और तीर्थयात्रियों को वापस सौंप दिया गया।पिछले वर्ष के रिजल्ट की तुलना करते हुए अधिकारी ने बताया कि इस पहल ने रिकवरी रेट में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की। लगभग 90 प्रतिशत बोतलें आसानी से रिकवर की गईं। यह उल्लेखनीय सुधार तीर्थयात्रियों के बीच जागरूकता पैदा करने और जिम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा देने की पहल की सफलता को बताता है।
कपड़ों की बर्बादी से निपटना
प्लास्टिक बोतल के कचरे से निपटने के अलावा वन विभाग ने अंदिसुनाई (धारा) में स्नान के बाद तीर्थयात्रियों द्वारा छोड़े गए कपड़ों की समस्या से निपटने के भी उपाय किए। प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए जागरूकता बढ़ाने और ऐसी परंपराओं को हतोत्साहित करने के लिए एंडीसुनाई क्षेत्र के चारों ओर साइनबोर्ड लगाए गए थे। अधिकारी ने कहा, “लगभग 3,000 किलोग्राम फेंके गए कपड़े जमा किए गए। इस दौरान वन कर्मचारी और स्वयंसेवक लगातार क्षेत्र को अच्छी तरह से साफ रखने में लगे रहे।”ऐसे में कहना ही होगा कि कोयंबटूर वन विभाग की पहल प्लास्टिक प्रदूषण से जूझ रहे अन्य क्षेत्रों के लिए एक मॉडल है। जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देकर और नए तरीके आजमा कर विभाग ने वेल्लियांगिरी पहाड़ियों की इकोलॉजिकल इंटीग्रिटी को बचाने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
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