ऐसे नौकरशाह की कहानी, जो एक बेहतरीन अभिनेता भी हैं, जल्द दिखेंगे ‘दिल्ली क्राइम-सीजन’ 2 में!
- Pallavi Priya
- Published on 21 Nov 2021, 11:01 am IST
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हाइलाइट्स
- 2011 बैच के आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह वर्तमान में प्रसाशन और अभिनय की दुनिया में एक साथ नाम कमा रहे हैं।
- एक म्यूजिक विडियो में अभिनय के सराहे जाने के बाद, जल्द ही नेटफ्लिक्स पर उनकी एक वेब-सीरीज आने वाली है।
- लेकिन कब तक दो विपरीत ध्रुओं पर स्थित इन पेशों को वो एक साथ निभा पाएंगे, उन्हें खुद नहीं मालूम...!
- अभिनेता और नौकरशाह, अभिषेक सिंह
आधुनिक युग के मशहूर शायर रहे राहत इंदौरी ने लिखा है, “सफर की हद है वहां तक कि कुछ निशान रहे, चले चलो के जहां तक ये आसमान रहे, ये क्या उठाये कदम और आ गई मंजिल, मजा तो जब है के पैरों में कुछ थकान रहे।” मतलब साफ है कि आसान सफर हो और एक ही मंजिल हो, तो जिंदगी का रस जरा फीका सा लगता है। मजा तो तब है जब संघर्षों में तपकर और अपने हुनर को निखारकर रोज नई मंजिल तलाशी तक पहुंचा जाए। ये कहानी भी ऐसे ही प्रेरणादायी व्यक्तित्व की है जो अपने जीवन में बहुत सी चीजें एक समान उत्साह और सफलता के साथ कर रहे हैं।
एक आईएएस अधिकारी के रूप में देश की सेवा करना एक पूर्णकालिक नौकरी से कहीं आगे की बात है। दिन जल्दी शुरू हो जाता है और कोई नहीं जानता कि कब खत्म होगा। बिल्कुल यही चीजें अभिनय के साथ भी हैं। ये सर्वविदित सत्य है कि अभिनय भी कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता और काम के प्रति दृढ़ होने की मांग करता है। अब आप ऐसे व्यक्ति को क्या कहेंगे जो समान कौशल और सच्ची लगन के साथ इन दोनों पेशों को खूबसूरती से निभा और जी रहा हो! जी हां, ये दोनों खूबियां होते हुए भी आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह खुद को ‘सुपर ह्यूमन’ नहीं मानते हैं।
दिल्ली राज्य सरकार के सचिवालय में अभिषेक डिप्टी-कलेक्टर के पद पर तैनात हैं। वह जल्द ही नेटफ्लिक्स की बेहद लोकप्रिय और मार्मिक वेब-सीरीज दिल्ली क्राइम के सीजन-2 में अभिनय करते नजर आएंगे। वो कुछ दिनों पहले ही मशहूर गायक बी प्रैक के संगीत वीडियो ‘दिल तोड़ के हंसती हो मेरा’ में नजर आए थे, ये गाना खूब हिट रहा और अब तक सुर्खियां बटोर रहा है। यूट्यूब पर इसे 48 करोड़ 16 लाख से ज्यादा व्यूज और 40 लाख से ज्यादा लाइक अब तक मिल चुके हैं।
तो वह इन दोनों अति-व्यस्त पेशों के साथ संतुलन कैसे बनाते हैं? क्या अगर उन्हें एक बड़ा ब्रेक मिलता है, तो वो बॉलीवुड की आदी हो जाने वाली दुनिया में जाने का इरादा रखते हैं? अभिषेक इस बारे में बहुत स्पष्ट है। सिविल सेवा एक बचपन का सपना था और वो इसे किसी भी चीज के लिए नहीं छोड़ने वाले। यहां तक कि भविष्य में एक शानदार बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर के लिए भी नहीं।
इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए अभिनेता और आईएएस अधिकारी कहते हैं, “अभिनय से मेरा प्यार अंजाने में और संयोगवश हुआ। मैंने इसके लिए कोई योजना नहीं बनाई थी। लेकिन अब मैं इसका पूरा आनंद ले रहा हूं। यह एक अलग दुनिया और अनुभव है। यहां तक कि अगर यह पेशा मुझे वह सारी लोकप्रियता देता है, जिसके लिए लोग तरसते रहते हैं, तो भी मैं हमेशा एक अभिनेता की बजाय एक आईएएस के रूप में याद किया जाना चाहूंगा।”
वह साफ तौर पर तब तक इस मौके का फायदा उठाना चाहते हैं, जब तक कि वह बेतहाशा समर्पण मांगने वाले दोनों पेशों को पूरे आत्मविश्वास और मनोबल के साथ सफलतापूर्वक मेनेज कर सकते हैं। जिस दिन उन्हें महसूस हुआ कि अभिनय अब उनके प्रशासनिक करियर पर बोझ बन रहा है, वह सेलुलॉइड की चकाचौंध वाली दुनिया को छोड़ने के लिए दूसरी बार सोचेंगे भी नहीं। वो कहते हैं, “सिविल सेवा मेरा जुनून है और मैं देश की सेवा करना चाहता हूं।”
तो उन्हें लोकप्रिय वेब-सीरीज और म्यूजिक वीडियो में किरदार निभाने का मौका कैसे मिला? इस सवाल पर अभिषेक बताते हैं कि वह पिछले साल कुछ आधिकारिक काम के लिए मुंबई में थे, जब उनके पुराने दोस्त मुकेश छाबड़ा ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया। छाबड़ा बॉलीवुड के सबसे बड़े कास्टिंग डायरेक्टर्स में से एक हैं और दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म ‘दिल बेचारा’ के निर्देशक रहे हैं। जब वह मिलने पहुंचे, तो छाबड़ा अपराधों पर आधारित एक नई वेब सीरीज पर चर्चा कर रहे थे।
अभिषेक भी कुछ इनपुट्स देकर चर्चा में शामिल हो गए। नेटफ्लिक्स की टीम उनके विचारों से प्रभावित थी। उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वह फिल्मी दुनिया से नहीं थे बल्कि वास्तव में एक आईएएस अधिकारी हैं। तब उन लोगों ने जोर देकर कहा कि अभिषेक को सीरीज में मुख्य भूमिका निभानी चाहिए और कई दौर की चर्चाओं के बाद आखिरकार वो सीरीज में रोल करने के लिए सहमत हो गए।
पहले अभिनेता आईएएस अधिकारी
बेशक वह एक अच्छे व्यक्तित्व और खूबसूरत शरीर के मालिक हैं। लेकिन वह बॉलीवुड से परिचित नहीं थे और न ही उन्हें कोई अभिनय का अनुभव था। वह इन नई चीजों को करने में घबरा रहे थे। लेकिन एक कास्टिंग डायरेक्टर होने के नाते छाबड़ा ने उनमें अभिनय क्षमता देखी थी। छाबड़ा ने उन्हें सीरीज में काम करने के लिए मना लिया और बाकी औपचारिकताएं पूरी की गईं। अभिषेक का छोटा सा स्क्रीन टेस्ट भी हुआ।
वो कहते हैं, “मुझे नहीं पता था कि यह कैसे करना है। मुकेश ने मुझे विश्वास दिलाया और मैंने जोखिम लिया। नेटफ्लिक्स टीम वास्तव में मेरे स्क्रीन टेस्ट और व्यक्तित्व से प्रभावित थी। उन्होंने तुरंत अनुबंध की पेशकश की।”
इसके बाद अभिषेक ने सरकार से आवश्यक अनुमति ली और नेटफ्लिक्स के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर कर दिए। इस तरह वह एक पूरी वेब-सीरीज या व्यावसायिक फिल्मों में अभिनय के लिए साइन किए जाने वाले पहले नौकरशाह बन गए। उनका कहना है कि इससे पहले केवल एक महिला आईपीएस अधिकारी एक डॉक्युमेंट्री में दिखाई दी थीं, लेकिन किसी ने भी एक व्यावसायिक सिनेमा में पूरी तरह से काम नहीं किया था।
हालांकि अभिनय अभिषेक के लिए फूलों से सजी सेज बिल्कुल नहीं था। ‘दिल्ली क्राइम’ की शूटिंग शुरू होने से पहले, अभिषेक नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के छात्रों द्वारा बनाई गई एक लघु फिल्म के लिए भी काम कर चुके थे। वह कहते हैं कि यह भी मुकेश का ही विचार था। उन्होंने सोचा कि यह मुझे अभिनय की दुनिया की एक झलक देगा और ‘दिल्ली क्राइम’ की तैयारी का एक हिस्सा होगा। यह वास्तविक टेस्ट मैच से पहले नेट-प्रैक्टिस की तरह था, वह मुस्कुराते हुए कहते हैं।
सहायक सीनियर्स
दिल्ली क्राइम के पहले सीजन में शेफाली शाह, रसिका दुग्गल, आदिल हुसैन और राजेश तैलंग जैसे अनुभवी कलाकारों के अभिनय को बेहतरीन रिव्यू मिले थे, लोगों ने सीजन के मार्मिक चित्रण के साथ-साथ इन अभिनेताओं के अभिनय को भी बहुत सराहा था। जाहिर है, अभिषेक पर उनके प्रदर्शन को दोहराने का दबाव था।
अभिषेक कहते हैं, “वे सभी शानदार अभिनेता हैं। यहां तक कि अगर मैं अपनी पूरी कोशिश करता हूं तो भी मैं उनका मुकाबला नहीं कर पाऊंगा। लेकिन मैं सकारात्मक हूं कि लोग मेरे काम को पसंद करेंगे क्योंकि मैं अपने प्रदर्शन में स्वाभाविक रहने और नैसर्गिक दिखने की कोशिश करता हूं।”
अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से पहले अभिषेक की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि वे दोनों पेशों को एक साथ कैसे संभालेंगे और क्या उन्हें इसे आगे ले जाने की अनुमति मिलेगी! लेकिन वो जितना सोच रहे थे, यह उससे आसान था। वो कहते हैं, “मेरे सीनियर्स हमेशा से बहुत सहयोगी रहे हैं और मेरे एक वेब-सीरीज में काम करने को लेकर उत्साहित थे। मुझे दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से अनुमति और जरूरी छुट्टियां भी मिल गईं। अभी मैं दोनों भूमिकाएं सहजता से निभा रहा हूं और उम्मीद करता हूं कि इसे उसी तरह से जारी रख पाऊं।”
हमेशा एक सकारात्मक संदेश देना और प्रभावी बनना
सिविल सेवाओं में शामिल होने के अभिषेक के बचपन के सपने की जड़ें उनके परिवार में हैं। वो कहते हैं, “मेरे पिता एक आईपीएस अधिकारी थे। मैंने अपने पिता से ज्यादा विनम्र और संतुलित व्यक्ति नहीं देखा। उन्होंने हमेशा मुझे उनसे बेहतर करने के लिए प्रेरित किया। वह आईएएस में जाने के लिए मेरी प्रेरणा थे। वह मुझे बताया करते थे कि एक आईएएस अधिकारी के पास राष्ट्र की सेवा करने और जरूरतमंदों की मदद करने के अनगिनत रास्ते हैं। मैंने उनका अनुसरण किया और वो सब हासिल किया, जो कुछ भी मैं आज हूं।
यहां तक कि जब वो मनोरंजन की दुनिया में आए, तो भी उनके लिए उद्देश्य समान हैं। वह भविष्य में जो भी किरदार निभाएं, उससे एक सकारात्मक संदेश देना चाहते हैं। वे कहते हैं, “दिल्ली क्राइम में मैं एक पुलिस अधिकारी की भूमिका निभा रहा हूं। मेरी लघु फिल्म ‘चार पंद्रह’ में मानसिक बीमारी के बारे में एक संदेश था। मेरा संगीत वीडियो इस देश में लगभग हर युवा द्वारा झेले गए गए ‘दिल टूटने’ के मुद्दे पर है।” अभिषेक अपने संगीत वीडियो के साथ खुद को अधिक जुड़ा हुआ पाते हैं क्योंकि वह भी अपने जीवन में पहले इससे दो चार हो चुके हैं। उसके बाद वो अवसाद में चले गए थे, लेकिन अपने परिवार और दोस्तों की मदद से इससे बाहर आए।
वो कहते हैं, “जब मुझे वीडियो में किरदार निभाने की पेशकश की गयी, तो मैंने तुरंत हां कह दिया क्योंकि किसी भी प्रेरक भाषण से उतना असर नहीं होता जितना सिर्फ यह एक वीडियो से पड़ा है। मैं एक आईएएस अधिकारी के रूप में जो कुछ भी करता हूं, रुपहले पर्दे पर एक किरदार के चित्रण से उससे अधिक प्रभाव हमेशा पड़ेगा। इसीलिए मैं ऐसी भूमिकाएं निभाने की उम्मीद कर रहा हूं जो लोगों के सोचने के तरीके में बदलाव लाएं।”
विकास मुख्य मुद्दा है
अभिषेक का मानना है कि वास्तविक विकास, बुनियादी ढांचे का विकास करना नहीं बल्कि लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना है। और सिनेमा उसे हासिल करने का सबसे मजबूत साधन है।
2011 बैच के आईएएस अधिकारी का मूल कैडर उत्तर प्रदेश था लेकिन 2015 में उन्हें केंद्र शासित प्रदेश में कैडर ट्रांसफर मिला। लगभग नौ वर्षों के अपने कैरियर में, उन्होंने यूपी के साथ-साथ दिल्ली में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उन्होंने नई दिल्ली में ‘ऑड-ईवन योजना’ के कार्यान्वयन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सिंह ने सिग्मा (SIGMA – स्टूडेंट्स फॉर इनवॉल्वड गवर्नेंस एंड म्यूचुअल एक्शन) की स्थापना की है, जो छात्रों का एक हेल्पलाइन समुदाय है और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में अकुशल, अर्ध-कुशल और कुशल श्रमिकों की पहचान कर, प्रशिक्षण देने और काम पर रखने में मदद करता है।
अधिकारी पति-पत्नी
अभिषेक ने एक साथी आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल से शादी की है, जिनसे वे मसूरी में प्रशिक्षण के दौरान मिले थे। लेकिन एक दशक लंबी सेवा के दौरान उनके किस कार्य ने समाज पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है? यह पूछे जाने पर वो कानपुर (ग्रामीण) में बतौर एसडीएम अपनी पहली पोस्टिंग के बारे में बताते हुए कहते हैं, “कुछ शक्तिशाली जमींदार एक विधवा को परेशान कर रहे थे क्योंकि उसके पति ने मरने से पहले उनसे कुछ रुपए उधार लिए थे। उन्होंने उसका घर छीन लिया था। मैंने उसे घर वापस पाने में मदद की और गुंडों को सलाखों के पीछे पहुंचाया।”
वो कहते हैं कि जब भी इस घटना के बारे में सोचते हैं तो हमेशा गर्व और खुशी से भर जाते हैं। अंत में वो कहते हैं, “मैं वास्तव में कृतज्ञ हूं कि मुझे लोगों की सेवा करने का यह अवसर मिला और मैं ऐसा करना जारी रखूंगा। कोई फर्क नहीं पड़ता कि रास्ते में क्या आता है और पारिस्थियां कैसी रहती हैं।”
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