क्या है वॉटर बेल पहल जिससे बच्चों में पानी की कमी हो सकती है दूर, पढ़िए गंजम डीएम कैसे ला रहे हैं बड़े बदलाव!
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 10 Nov 2021, 10:03 am IST
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हाइलाइट्स
- ओडिशा के गंजम जिले के डीएम और 2013 बैच के आईएएस अधिकारी विजय अमृता कुलांगे की पहलों ने आम आदमी को पहुंचाया फायदा।
- उनकी कहानी के दूसरे हिस्से में जानिए कैसे विजय ला रहे हैं शहर में बड़े बदलाव
- वाटर बेल पहल, गंजम जिला, ओडिशा (क्रेडिट: ट्विटर @Ganjam_Admin)
“मेरा मानना है कि हमारे हाथ में सिर्फ आज का वक्त है। हम आने वाले हम कल को लेकर योजनाएं बना सकते हैं, लेकिन वास्तव में कल क्या होगा ये नहीं कह सकते। वहीं बीता हुआ कल भी जा चुका है, अगर आप बीते हुए वक्त के लिए रोते हैं, तो उसका भी कोई मतलब नहीं है। इसलिए हमारे हाथ में सिर्फ आज का दिन है, हमें इसे इस तरह जीना चाहिए कि जैसे आज का दिन ही हमारा आखिरी दिन है। इसीलिए मेरी जिंदगी का फलसफा है – ‘टूडे इज माइन’ और यही मेरी किताब का शीर्षक भी।” किसी भी इंसान की जिंदगी बदल देने वाले शब्द ओडिशा के गंजम जिले के डीएम और 2013 बैच के आईएएस अधिकारी विजय अमृता कुलांगे के हैं। उनका खुद का जीवन उनके इन्हीं शब्दों की प्रतिमूर्ति है। उनके संघर्षों और यूपीएससी में सफलता के कहानी को हम पहले ही बता चुके हैं, आज हम बात करेंगे एक डीएम के रूप में उनकी उन पहलों पर, जिनसे गंजम जिले के आम लोगों की जीवन में बदलाव आया है।
वॉटर बेल
बच्चों के शरीर में पानी की कोई कमी न हो और वे पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, इसके लिए डीएम विजय ने गंजम के 4000 स्कूलों में ‘वॉटर बेल’ पहल शुरू की। इसके लिए समय पर 3 बार घंटी बजाकर बच्चों से पानी पीने के लिए कहा जाता है। सभी स्कूलों को बच्चों को पीने के पानी की याद दिलाने के लिए 11.40, 1.30 और 3.15 बजे घंटी बजाना होता है और पीने के पानी की व्यवस्था करनी होती है। शनिवार को सुबह 8 बजे, 9.30 बजे और 10.50 बजे घंटी बजाई जाती है, प्रत्येक में पांच मिनट का ब्रेक होता है।
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से एक खास बातचीत में विजय ने कहा, “इस पहल का उद्देश्य बच्चों में पानी पीने की आदत बनाना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे हाइड्रेटेड रहें। हमने जिले के सरकारी, निजी और आंगनवाड़ी सहित सभी स्कूलों में पानी की घंटी लगाने का फैसला किया। स्कूल अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किए गए। इसका परिणाम बेहद सुखद है।”
क्लीन सिटी
शहर को साफ रखने के लिए विजय ने कई पहलें की हैं। लेकिन उनकी सबसे बड़ी पहल है, शहर में जगह-जगह पोस्टर लगाने से लोगों को रोकना। पोस्टर चिपकाने की गतिविधि के खिलाफ शहर भर में विजय ने सख्त चेतावनी जारी की और साफ किया कि उल्लंघन करने पर जिला प्रशासन जुर्माना लगाना शुरू करेगा।
विजय शहर के ही एक ‘टीम क्लीन सिटी’ नाम के संघठन में शामिल हुए और अवैध पोस्टर हटाने के लिए सड़कों पर काम करते नजर आए। इससे जिले के नागरिकों में एक संदेश गया और सबने इस पहल का स्वागत किया। धीरे-धीरे शहर के पार्कों, सिनेमा हॉल और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी अवैध पोस्टर हटने लगे।
विजय कहते हैं, “सार्वजनिक क्षेत्रों को साफ रखना हर नागरिक की उतनी ही जिम्मेदारी है, जितनी सरकार की। इसीलिए मैं खुद सड़कों पर गया और इस पहल में शामिल हुआ। लोगों पर भी इसका सकारात्मक असर हुआ।”
लाइन प्लांटिंग
विजय कई बार खेतों में किसानों के साथ नजर आते हैं और उनकी समस्याओं के बारे में सुनते हैं। एक बार खेतों में धान के पौधे रोपते हुए उनकी तस्वीर वायरल हुई थी, जिसकी सराहना मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी की थी।
विजय कहते हैं, “धान के खेतों में पौधे रोपण के वक्त, मैं किसानों को ‘लाइन प्लांटिंग’ के बारे में समझा रहा था। दरअसल इसमें एक लाइन में पौधे प्लांट किए जाते हैं, उनके बीच की दूरी भी बराबर रहती है। उन्हें बेहतर तरीके से खाद और पानी मिलता है, इससे उनकी उत्पादकता बढ़ जाती है।”
स्कूल और कोविड
विजय अभी स्कूली शिक्षा पर खास तौर से ध्यान दे रहे हैं। विजय बताते हैं, “स्कूलों में बड़ा बदलाव लाने के लिए मूलभूत सुविधाएं सुधारी जा रही हैं और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खास ध्यान दे रहे हैं। क्वालिटी टीचिंग लर्निंग अनुभव को बेहतर बनाने के लिए हमने कई पहलें की हैं। डिजिटल शिक्षा के लिए भी कई प्रयास हम कर रहे हैं।”
कोविड-19 की तीसरी लहर से लड़ने के उपायों पर विजय कहते हैं, “अभी हमारे पर दो ही मुख्य हथियार हैं, सोशल डिस्टैंसिंग और टीकाकरण। हम इन्हीं पर खूब काम कर रहे हैं।
स्पाइडरमैन फिल्म के डायलॉग ‘बड़ी ताकतों के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है’ से बेहद प्रेरित विजय की पहलों से आम आदमी का जीवन सुलभ हो रहा है। विजय सभी को सलाह देते हुए कहते हैं कि अपने जीवन में हमेशा 2 प्लान रखिए। अगर आपका प्लान ए सफल नहीं हुआ, तो प्लान बी पे जाइए। जीवन में व्यावहारिक रहना बहुत जरूरी है, इसमें कहीं से कुछ भी गलत नहीं है। मैं अभी तक इस फलसफे को फॉलो करता हूं। सफल होने का बस एक ही मंत्र है कि जो भी करिए उसमें अपना एवरेस्ट यानी सर्वोच्च पाने की कोशिश करिए। जीवन में उत्कृष्टता बहुत खूबसूरत चीज है, उसे पाने की आदत बना लीजिए।”
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