यूपी की विलुप्त होती एक नदी के जीर्णोद्धार की शानदार कहानी, जिसकी तारीफ खुद पीएम मोदी ने की
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 31 Dec 2021, 11:36 am IST
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हाइलाइट्स
- यूपी के जालौन जिले की नून नदी का जीर्णोद्धार कराने वाली 2013 बैच की आईएएस प्रियंका निरंजन की पीएम मोदी ने की सराहना, अपने ‘मन की बात’ प्रोग्राम में की चर्चा
- 20 साल से अस्तित्व खो रही नदी को जनभागीदारी और कई प्रयासों से फिर से जीवित किया गया, हजारों किसानों को होगा फायदा
- जल संरक्षण के तहत नदी के जीर्णोद्धार के लिये एक समिति बनाई, इसका प्रस्ताव शासन को भेजा और मंजूरी ली, डीएम ने खुद फावड़ा उठाकर श्रमदान करके काम शुरू किया
इस साल 28 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बेहद चर्चित ‘मन की बात’ प्रोग्राम के 83 वें एपिसोड में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले की डीएम आईएएस प्रियंका निरंजन और ‘नून’ नदी का जिक्र किया था। पीएम मोदी ने बताया कि किस तरह आईएएस प्रियंका के प्रयासों और आम जनता की जनसहभागिता से एक विलुप्त होने की कगार पर खड़ी नदी का जीर्णोद्धार संभव हो पाया। यमुना की सहायक नदी मानी जाने वाली नून नदी जालौन जिले के उरई कस्बे के कुकरगांव से निकलती है और महेवा ब्लॉक के मंगराया तक जाती है। 89 किमी तक बहने वाली यह नदी जिले के 47 गांवों से होकर गुजरती है। लेकिन 6 महीने पहले तक, ये नदी दशकों से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही थी। पर अब प्रशासन और जनता के अथक प्रयासों से इस नदी की जलधारा फिर से बहने लगी है।
जो नदी कभी इलाके के लिए वरदान थी, उसे अभिशाप माना जाने लगा था। नदी के अधिकतर हिस्से में सिर्फ गंदगी और गहरी सिल्ट यानी गाद भरी हुई थी। लेकिन अब नून नदी के फिर से अस्तित्व में आने से लगभग 15 हजार से अधिक किसानों को फायदा हो रहा है। बहुत से इलाके जो वीरान हो गए थे, अब वहां फिर से बहार है। इससे लगभग 278 हेक्टेयर से अधिक जमीन को सीधे तौर पर सिंचित कर पाने में सफलता मिलेगी। इसके अतिरिक्त स्थानीय लोगों को पेयजल की या अन्य उपयोग के लिए जल की उपलब्धता भी सुलभ होगी। गिरते ग्राउंड वॉटर के जलस्तर को सुधारने में भी मदद मिलेगी। वहीं, नदी के दूसरे हिस्सों को पुनर्जीवित करने का काम भी तेजी से हो रहा है। इंडियन मास्टरमाइण्ड्स ने इस बारे में जिला प्रशासन से बात की और किस तरह इस पूरे अभियान को अंजाम दिया गया, ये भी जाना।
क्या कहा था पीएम मोदी ने
प्रधानमंत्री मोदी ने हर महीने के आखिरी रविवार को प्रसारित होने वाले अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में नून नदी के पुनर्जीवित होने की दास्तां बयां की थी।
मोदी ने कहा, “साथियों वीरता केवल युद्ध के मैदान में ही दिखाई जाई, ऐसा जरूरी नहीं होता। वीरता जब एक व्रत बन जाती है और उसका विस्तार होता है, तो हर क्षेत्र में अनेकों कार्य सिद्ध होने लगते हैं। मुझे ऐसी ही वीरता के बारे में श्रीमती ज्योत्सना ने चिट्ठी लिखकर बताया है। जालौन में एक पारंपरिक नदी थी, नून नदी। नून नदी यहां के किसानों के लिए पानी का प्रमुख स्त्रोत हुआ करती थी। लेकिन धीरे-धीरे नून नदी लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई। जो थोड़ा बहुत अस्तित्व इस नदी का बचा था, उसमें वो नाले में तब्दील हो रही थी। इससे किसानों के लिए सिंचाई का भी संकट खड़ा हो गया था। जालौन के लोगों ने इस स्थिति को बदलने का बेड़ा उठाया। इसी साल मार्च में इसके लिए एक कमेटी बनाई गई। हजारों ग्रामीण और स्थानीय लोग स्वत:स्फूर्त इससे जुड़े। यहां के पंचायतों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर काम करना शुरू किया और आज इतने कम समय में और बहुत कम लागत में ये नदी फिर से जीवित हो गई है। कितने ही किसानों को इसका फायदा हो रहा है। युद्ध के मैदान से अलग वीरता का ये उदाहरण देशवासियों के संकल्प शक्ति को दिखाता है और ये भी बताता है कि अगर हम ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है। इसीलिए तो मैं कहता हूं कि सबका प्रयास।”
कैच द रेन अभियान
2013 बैच की यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी और जालौन की डीएम प्रियंका निरंजन को इसी साल फरवरी में जिले में नियुक्ति मिली थी। उसके बाद ‘विश्व जल दिवस’ के मौके पर उन्होंने जल संरक्षण मिशन के तहत नदी के संरक्षण की नींव रखी। अपने अस्तित्व को तलाश रही नून नदी को पुनर्जीवित करने के लिए प्रियंका ने जनभागीदारी का रास्ता अपनाया। इसके लिए समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों के साथ कदम बढ़ाते हुए नदी के कायाकल्प की योजना तैयार की गई।
प्रियंका कहती हैं, “जब पीएम मोदी का ‘कैच द रेन’ अभियान शुरू हुआ, तो हमने भी अपने जिले में इस पर काम करना शुरू किया। सबसे पहले हमने वो पारंपरिक वॉटर रिसोर्से तलाशे, जो खत्म हो रहे हैं और जिन पर तुरंत काम करने की जरूरत थी। इसी तलाश में हमारे सामने नून नदी थी, जो कभी इस जिले की परंपरागत जलस्त्रोत थी और आम लोगों से लेकर जमीन की प्यास बुझाती थी। किसानों की सबसे बड़ी मददगार थी। लेकिन अब वो अपना अस्तित्व खो चुकी थी, कई जगह तो छोटे-छोटे गढ्ढों में या नाले में तब्दील हो चुकी थी। इसकी वजह से किसानों को भी बहुत नुकसान हो रहा था। इसलिए हमारी टीम ने इस पर काम करना शुरू किया।”
प्रियंका इससे पहले मिर्जापुर में कर्णावती नदी के पर काम कर चुकी थी, जिसके लिए मिर्जापुर को नेशनल वॉटर प्राइज मिला था। इसीलिए अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने नदी की सटीक लोकेशन और पूरी स्थिति जानने के लिए एक सर्वे करवाया, जहां उन्हें पता चला कि यह नदी जिले की 47 ग्राम पंचायतों और 5 ब्लॉकों से होकर निकलती है और लगभग 89 किलोमीटर का सफर तय करती है। मार्च माह में एक समिति का गठन कर नदी के जीर्णोद्धार कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
प्रियंका कहती हैं, “हमने 47 ग्राम पंचायतों में मनरेगा की आईडी बनवाई। तकनीकी सहयोग के लिए सिंचाई विभाग से मदद ली। इसमें सभी ग्राम पंचायतों ने हिस्सा लिया और काम किया। मनरेगा के अलावा, हमने बड़े पैमाने पर जनसहभागिता के माध्यम से अभियान चलाया और काम किया। नदी का जो हिस्सा सिंचाई विभाग के अंर्तगत था, वहां सिंचाई विभाग ने भी काम किया। अच्छी बात यह थी कि सभी को अपना काम पता था और सभी ने ईमानदारी से अपना काम किया। हमने बरसात से पहले ही अपना अधिकतर काम पूरा किया, क्योंकि बरसात से पहले अगर काम खत्म नहीं होता तो बरसात के जल से जल संरक्षण करने का हमारा जो उद्देश्य था वह पूरा नहीं हो पाता।”
अभिशाप से फिर वरदान बन गई ‘नून’
नदी को फिर से सदानीरा बनाने में अधिकारियों, कर्मचारियों, मनरेगा मजदूरों के साथ-साथ आम लोगों ने भी श्रमदान किया। डीएम प्रियंका ने खुद फावड़ा उठाकर श्रमदान करके काम शुरू किया था। अब तक नदी के लगभग 55 किलोमीटर क्षेत्रफल का जीर्णोद्धार किया जा चुका है और बाकी हिस्से पर भी काम हो रहा है। नून नदी की जलधारा में सिल्ट की सफाई के लिए मनरेगा मजदूरों के साथ-साथ कुछ स्थानों पर मशीनों की भी मदद ली गई।
पर्यावरणीय स्थायित्व के लिये नदी के किनारों पर सघन वृक्षारोपण भी कराया गया है। नीति आयोग के अनुसार नून नदी के अब तक के पुनरुद्धार कार्य को सिर्फ 49 लाख रुपये की लागत में अंजाम दिया गया है। वहीं, नून नदी के जल संरक्षण कार्यों से 9398.34 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमता में वृद्धि हुई है। इससे जनपद जालौन के विकास खण्ड कोंच, डकोर, कदौरा व महेवा के हजारों कृषक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं।
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