राजस्थान के एक आईएएस ने सिक्किम में बहाई जमीनी विकास की बयार, बना दिये ‘मॉडल विलेज’!
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 29 Dec 2021, 11:31 am IST
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हाइलाइट्स
- उनसे पहले कई आईएएस अधिकारी, इस हिमालयी राज्य में आए होंगे। लेकिन जो उन्होंने देखा और किया, वह अधिकतर न देख पाए और न ही कभी कर पाए।
- जानिए राजस्थान से आने वाले एक ऐसे आईएएस अधिकारी की कहानी, जिसने अपने विजन और अभिनव प्रयासों से पहाड़ी राज्य के कई गांवो की तकदीर बदल डाली।
- सिक्किम- सपनों के मनोहर दृश्यों से भी परे।
अपने विजन, अभिनव पहलों और प्रयासों से पर्वतीय सिक्किम क्षेत्र के पांच गांवों को ‘आदर्श गांव’ (मॉडल विलेज) में बदलना, कोई आसान काम नहीं रहा होगा। और वो भी तब, जब यह विशाल और प्रेरणादायक कार्य एक ऐसे आईएएस अधिकारी द्वारा किया गया हो, जो उस पर्वतीय क्षेत्र से न होकर वहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर भारत के रेतीले राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर के बाहरी इलाके में धूप से तपते एक गांव में पैदा हुआ हो।
राज कुमार यादव एक बेहद प्रेरक आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने सिक्किम राज्य में सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के अपने प्रयासों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। उनकी अभिनव पहल ‘दाव’ (DAAV) यानी ‘जिला प्रशासन की गांव गोद लेने वाली योजना’ ने विकास सुधारों की एक लंबी श्रृंखला शुरू की, जिसकी वजह से 5 गांवों और 7500 लोगों की जिंदगियों में सकारात्मक बदलाव लाया।
2009 बैच के आईएएस अधिकारी राज यादव राजस्थान की राजधानी जयपुर से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर बसे लोहारवारा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज से विज्ञान में स्नातक किया और फिर लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। नौकरी में आने के बाद, भारत के पूर्वी राज्य सिक्किम के प्रशासन में उनके प्रयासों, विजन और योगदान से राज्य की विकास दर कई गुना बढ़ गई।
यह ‘दाव’ कोई जुआ नहीं
राज यादव की अब तक की सबसे अनुकरणीय योजना ‘दाव पहल’ है। साल 2014 में उन्हें सिक्किम में जिला मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया गया और उसी वक्त केंद्र सरकार ने ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ लांच की थी। तभी आईएएस यादव ने भी इस मुहिम को अपने तरीके से अपने इलाके में शुरू करने का फैसला किया। और इसी के बाद रोंगबुल में बदलाव की लहर बहनी शुरू हुई। यादव का स्पष्ट मानना था कि अगर इस बदलाव को जिला प्रशासन के सारे अधिकारी ही गोद लें, तो चीजें बहुत हद तक बादल सकती हैं।
इस पहल के अनुसार, जिला प्रशासन एक दूरस्थ गांव को गोद लेता है और इसके विकास की पूरी जिम्मेदारी उठाता है। अब तक, आईएएस राज यादव की देखरेख में, प्रशासन ने पांच गांवों को अपनाया है और उन्हें सफलतापूर्वक आधुनिकता और परम्परागत के समागम के साथ विकसित किया है।
यह प्रक्रिया रोंगबुल गांव को गोद लेने के साथ परवान चढ़ी थी, जहां प्रशासन ने कृषि, भू-राजस्व, सड़कों, पुलों और मानव संसाधनों में विभिन्न सुधारों को लागू किया। जब कभी भी जनशक्ति और वित्तीय सहायता की आवश्यकता महसूस हुई, ग्रामीणों ने भी भरपूर मदद की। स्थानीय स्कूलों के साथ-साथ, एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को भी पूरी तरह सुधारा गया। स्थानीय लोगों ने बुनियादी ढांचे के विकास और रखरखाव में सहायता की। किसी भी विकास के लिए अनिवार्य और पहली शर्त, सामुदायिक एकीकरण भी बढ़ाया गया। मध्याह्न भोजन में सुधार किया गया और सभी दौर की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए, स्मार्ट क्लासेस के लिए जरूरी साधन लाये गए और कक्षाएं शुरू की गईं। इसके अलावा, बच्चों ने प्रभावी ढंग से स्कूल सौंदर्यीकरण का कार्य भी किया।
अपने इन नवीन तरीकों के साथ, यादव और उनकी टीम के सदस्यों ने रोंगबुल की ग्राम पंचायत इकाई (जीपीयू) को सफलतापूर्वक एक आदर्श गांव में बदल दिया। इस उपलब्धि के बाद, क्षेत्र के चार और गांवों (लिंगी प्योंग, तिनिक चिसोपानी, मैमली कामरंग और सांगानाथ) में भी इसी तरह के सुधार किए गए। आज, ये गांव भी सिक्किम के मॉडल विलेज बने हुए हैं।
यादव के जमीनी स्टार पर प्रयासों से यहां के हजारों लोगों की जिंदगियों में बड़ा बदलाव आया है। आपको बता दें कि रोंगबुल गांव 4400 फीट ऊंचाई पर स्थित है। यहां अक्सर सूखा और पानी की कमी से लोग जूझते थे, गांव में बिजली तक नहीं थी और स्कूलों शिक्षक विहीन हो चले थे। लेकिन अब सब कुछ बादल चुका है और गांव खुशहाली के रास्ते पर हैं।
‘अफवाहों पर निर्णय नहीं ले सकते‘
इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ बात करते हुए, राज यादव ने कहा, “आप सिर्फ एक कार्यालय में बैठकर, नीतियां नहीं बना सकते हैं और न ही अफवाहों के आधार पर निर्णय ले सकते हैं। विकास की प्रक्रिया शुरू करने के लिए, मैदान पर जाना अनिवार्य और पहली शर्त है। साथ ही, ग्रामीणों के साथ बातचीत, उनकी समस्याओं के बारे में जानना, उनके साथ चर्चा करने के बाद समाधान तैयार करना और अंत में क्रियान्वयन की दिशा में काम करना होगा। आप जब भी विकास के प्रति अपने प्रयासों में समुदाय को एकीकृत करते हैं, तो सीमित धन और समय को एक बहाना नहीं बना सकते। कई वर्षों से, स्मार्ट शहरों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जब कि हमारे गांवों में विकास की आवश्यकता सबसे अधिक है। हमारे गांवों को बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है, जिसकी वर्तमान में कमी महसूस होती है।
वो आगे कहते हैं, “बच्चे अभी भी सरकारी स्कूलों पर निर्भर हैं, क्योंकि कई परिवार निजी स्कूलों का खर्च नहीं उठा सकते। यह तभी संभव होगा, जब हम उन्हें बेहतर बुनियादी ढांचा और शिक्षण संस्थानों के साथ सशक्त बनाते हैं और तभी आने वाले कल में भारत के एक सुदूर गांव में भी एक युवा लड़का या लड़की सिविल सेवक बनने का प्रयास करेंगे। हमें अप्रचलित और अविकसित तरीकों को बदलना होगा और लोगों के अनुकूल प्रशासन का निर्माण करना होगा।”
यादव की यह उल्लेखनीय उपलब्धि, समुदाय के प्रति उनके प्रेम और दूरदराज के गांवों से लेकर कस्बों तक, सुधारों के प्रति लक्ष्य को हासिल करने के उनके निडर प्रयासों को दर्शाती है।
यादव की उपलब्धियों में एक और हीरा
वर्तमान में, यादव गंगटोक के उपायुक्त हैं। अपनी उल्लेखनीय ‘दाव’ योजना के अलावा, उन्होंने कई अन्य सफल परियोजनाओं की भी शुरुआत की है। उदाहरण के लिए, ‘प्रत्येक शुक्रवार फील्ड डे’ (EFFD) उनके द्वारा शुरू की गई एक अद्भुत पहल है। अक्सर ऐसा होता है कि कार्यालय में काम की अधिकता के कारण, सिविल सेवा के अधिकारी ज्यादा फील्ड विजिट नहीं कर पाते हैं। ईएफएफडी योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के व्यापक विकास में कई तरह से योगदान देना है। इस योजना के तहत, जिला आयुक्त और सिक्किम सरकार के अन्य अधिकारियों को अपने क्षेत्र के दौरे के दौरान मुद्दों को तुरंत हल करने के लिए सशक्त किया जाता है।
‘मिशन ज्योति’ एक और पहल है, जो आईएएस यादव की देखरेख में शुरू की गई थी। इसमें ऐसे कार्यक्रम शामिल हैं, जो बाल यौन शोषण और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, ‘प्रत्येक शनिवार-परामर्श दिवस’ एक और सामाजिक पहल है, जो प्रत्येक शनिवार को स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों को सार्वजनिक प्रशासन के क्षेत्र में प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर परामर्श प्रदान करने की दिशा में काम करती है।
अपनी प्रशंसनीय उपलब्धियों के लिए, यादव को कई संगठनों द्वारा सम्मान मिला है। समग्र उपलब्धियों के लिए उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ जिला कलेक्टर पुरस्कार 2015’ और उनकी ‘दाव’ योजना के लिए ‘सर्वश्रेष्ठ जिला कलेक्टर पुरस्कार 2017’ से सम्मानित किया गया। 2016 में, उन्हें ‘प्रत्येक शुक्रवार फील्ड डे’ के लिए ‘सर्वश्रेष्ठ सचिता पुरस्कार 2016’ से सम्मानित किया गया।
जैसा कि यादव ने इंडियन मास्टरमाइंड्स से कहा, “आप जो कुछ वास्तविकता में है वही रहें, अपनी पृष्ठभूमि को खुद को पीछे मत धकेलने दो। एक व्यक्ति को, जिम्मेदारी और खुशी के साथ राज्य और राष्ट्र की सेवा करनी चाहिए। विफलता के सभी भय को दूर करने की कोशिश करते रहना चाहिए।”
निस्संदेह, यादव ने वर्तमान के और महत्वाकांक्षी सिविल सेवकों के लिए एक अद्भुत उदाहरण पेश किया है।
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