गांव के स्कूलों में बच्चे करेंगे अन्तरिक्ष की सैर, इस आईएएस अधिकारी की पहल पर प्राथमिक विद्यालयों में बन रही है खगोलीय लैब!
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 24 Nov 2021, 2:16 pm IST
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हाइलाइट्स
- उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के सीडीओ और 2016 बैच के आईएएस अधिकारी की खगोलीय लैब बनाने की पहल
- 6 गांवों में बन चुकी हैं लैब, टेलीस्कोप और ग्लाइडर आदि के जरिये बच्चे हासिल कर रहे ग्रह नक्षत्रों की जानकारी
- जिले के सभी न्याय-पंचायतों के स्कूलों में बनेगी इस तरह की लैब
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51-ए के अनुसार हमारे मूल कर्तव्यों में वैज्ञानिक प्रवृत्ति और सवाल व सुधार की भावना का विकास करना हर नागरिक का दायित्व है। यानी कि हमारे देश की भावी पीढ़ी में वैज्ञानिक दृष्टिकोण (टेम्परामेंट) का विकास करना हम सब की जिम्मेदारी है। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में इसे यथार्थ के धरातल पर उतारा जा रहा है। यहां सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे भी सौरमंडल का हाल जान रहे हैं।
जिले के सिकंदराबाद देहात ग्राम पंचायत के माजरा मुकुंदगढ़ी के प्राथमिक विद्यालय में एक खगोलीय प्रयोगशाला (लैब) बनकर तैयार हुई है। इसे भारत के एक महान वैज्ञानिक के नाम पर ‘शांति स्वरूप भटनागर खगोलीय लैब’ नाम दिया गया है। लैब के अंदर अन्तरिक्ष जैसा अनुभव देने के लिए, यहां अन्तरिक्ष की कई सरंचनाएं भी बनाई गई हैं। वहीं, लैब में पढ़ाने के लिए शिक्षकों को अलग से ट्रेनिंग भी दी जा रही है। ग्राम पंचायत के 6 और गांवों में इसी तरह की लैब बनाई जा रही है।
खगोलीय लैब
प्राथमिक विद्यालयों में इस तरह की खगोलीय लैब की शायद ये पहली पहल होगी। बच्चे लैब में टेलीस्कोप, ग्लोब, तारामण्डल की सरंचना और ग्लाइडर आदि के जरिये तारों और ग्रह नक्षत्रों की जानकारी ले सकेंगे। साथ ही विज्ञान के प्रति अधिक रुचि पैदा करने के लिए, विज्ञान के कई लाजवाब रोचक तथ्य दीवाल पर लिखे गए हैं। ऐसे ही एक तथ्य में लिखा है-
“यदि हम पृथ्वी से 10 प्रकाशवर्ष की दूरी पर एक विशाल शीशा लगा दें और टेलिस्कोप से उस शीशे में देखें तो सिद्धान्त के हिसाब से हम 20 साल पीछे का देख पाएंगे।”
2016 बैच के आईएएस अधिकारी और बुलंदशहर के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिषेक पांडे की पहल पर बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में ये खगोलीय लैब स्थापित की गयी हैं। इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बात करते हुए अभिषेक कहते हैं, “विज्ञान का प्रचार-प्रसार प्राथमिक स्तर से होना बहुत ही आवश्यक है। इसीलिए बच्चों को तारों और ग्रहों का ज्ञान देने के उद्देश्य से सिकंदराबाद देहात ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले छह गांवों के स्कूलों में खगोलीय लैब बनाने का निर्णय लिया गया। इस पर शासन से ग्राम पंचायत को मिली कंपोजिट ग्रांट की राशि खर्च की जा रही है।”
सिकंदराबाद देहात की ग्राम पंचायत के विकास के लिए कंपोजिट ग्रांट से 52 करोड़ की राशि जारी की गई है। सभी छह खगोलीय लैब को बनाने के लिए इस राशि से करीब 35 लाख रुपये का प्रयोग किया गया है। लैब में खगोलीय घटनाओं को देखने के लिए अभी और नए उपकरण लगाए जाएंगे और बच्चों को खगोलीय घटनाओं के बारे में अध्यापकों द्वारा बताया जाएगा।
फ्युचर प्लान
पंचायती राज एवं बेसिक शिक्षा विभाग जिले की 152 न्याय पंचायतों के स्कूलों में भी खगोलीय लैब का निर्माण कराएगा। न्याय पंचायतों में से एक-एक स्कूल का चयन किया जाएगा। विभाग द्वारा स्कूलों के चयन प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। ऐसे स्कूलों का चयन करने की कोशिश की जा रही है, जहां जगह अधिक हो और बच्चों की संख्या भी खूब हो। अनुमान के अनुसार एक लैब पर साढ़े चार से पांच लाख रुपये तक का खर्च आएगा, जिसे पंचायती राज विभाग 15 वें वित्त आयोग की राशि से खर्च करेगा। अभी सिकंदराबाद ग्राम पंचायत के नयाबांस, सुखलालपुर, गफूरगढ़ी, मुकंदगढ़ी, माधवगढ़ी और सियासी गढ़ी माजरा में संचालित बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में खगोलीय लैब बनाई गई है।
सीडीओ अभिषेक पांडेय कहते हैं कि देश में बुलंदशहर के यह छह स्कूल शायद अकेले ऐसे स्कूल होंगे, जहां पर खगोलीय लैब बनाई गई है।
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