प्रवासी कामगारों के बच्चों को शिक्षा देने की मुहिम, इस आईएएस अधिकारों के प्रयासों ने ‘नई दिशा’ से संवारी सैकड़ों बच्चों की जिंदगियां
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 5 Dec 2021, 5:23 pm IST
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हाइलाइट्स
- 2018 बैच के आईएएस महेंद्र पाल हिमाचल के नालागढ़ में संवार रहे हैं स्लम एरिया में रहने वाले कामगारों के बच्चों की जिंदगियां
- जो बच्चे कभी बाल मजदूरी करते थे और कबाड़ बीनते थे, आज सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं
- कोविड काल में वंचित बच्चों के दस्तावेज तैयार कराकर उन्हें स्कूल भेजा गया, माता-पिता की काउंसिलिंग की गई
शिक्षा किसी भी समाज की बुनियाद है। कोई भी समाज कितना बेहतर होगा, यह उसकी शिक्षा से ही तय होता है। लेकिन क्या हो अगर किसी समाज का एक हिस्सा शिक्षा से ही महरूम होने हो जाये तो? कोविड महामारी के दौर में देश भर में ऐसा कई जगह हुआ। लेकिन हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में एक आईएएस अधिकारी के प्रयासों ने ऐसा होने से रोक भी लिया। जिले के नालागढ़ शहर के एसडीएम आईएएस महेंद्र पाल गुर्जर द्वारा प्रवासी बच्चों के लिए शुरू की गई शिक्षा की मुहिम से बड़ा बदलाव दिखने लगा है। कोविड काल के बाद अब जब स्कूल खुले हैं, तो झुग्गी-झोपडिय़ों में रह रहे प्रवासी बच्चों ने भी स्कूल जाना शुरू कर दिया है। वो बच्चे जो कभी कबाड़ बीनते थे या बाल मजदूरी करते थे और जिनके लिए स्कूल महज एक सपना था, आज आम बच्चों के साथ शिक्षा पाने के लिए स्कूल जा रहे हैं।
दरअसल सोलन जिले के औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में फार्मा हब है। यहां देश की कई बड़ी फार्मा कंपनियों की फैक्ट्रियां हैं, इसलिए पूरे देश से कामगार काम करने के लिए यहां आते हैं। बीबीएन क्षेत्र, नालागढ़, बद्दी और 77 पंचायत क्षेत्रों में बंटा हुआ है। जब कोविड महामारी आई और देश भर में लॉकडाउन जैसी स्थिति हुई तो यहां के कामगारों के बच्चों के लिए शिक्षा के सभी दरवाजे बंद हो गए थे। लेकिन अब स्कूल खुलने के बाद 164 प्रवासी बच्चे बीबीएन क्षेत्र के स्कूलों में प्रवेश लेकर शिक्षा पा रहे हैं। एक आईएएस अधिकारी की जिद और जुनून ने सैकड़ों मासूमों के भविष्य को सुरक्षित करने करने की नींव डाल दी।
शिक्षा की ‘नई दिशा’ पहल
बीबीएन क्षेत्र में प्रवासी कामगारों के बच्चों में शिक्षा की जागरूकता लाने के लिए आईएएस महेंद्र पाल ने ‘नई दिशा’ मुहिम शुरू की थी। हालांकि यह सब इतना आसान कभी भी नहीं रहा, लेकिन ‘जहां चाह, वहां राह’ कहावत को चरितार्थ करते हुए पाल की इस नेक पहल को जनता से मिले सहयोग ने कामयाब बना दिया।
2018 बैच के हिमाचल कैडर के आईएएस अधिकारी और नालागढ़ के एसडीएम महेंद्र पाल इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बात करते हुए कहते हैं, “कोविड काल में जब स्कूल बंद थे और ऑनलाइन कक्षाओं का चलन बढ़ा, उस वक्त हमने कामगारों के बच्चों के बीच एक आधारभूत सर्वेक्षण (baseline survey) कराया था। इस सर्वे में 560 ऐसे बच्चे थे जो स्कूल नहीं जा रहे थे। इसमें अधिकतर बच्चे दूसरे जिलों से आए प्रवासी कामगारों के बच्चे थे। मोबाइल फोन की अनुपलब्धता और इंटरनेट की सुविधा नहीं होने के कारण उनके बच्चे ऑनलाइन क्लास भी नहीं कर सकते थे। इस तरह ये बच्चे मूलभूत शिक्षा से ही महरूम थे।”
“हमने सबसे पहले तो उन बच्चों के दस्तावेज तैयार करवाए। अगर उनके दस्तावेज स्थानीय स्तर पर मिल सकते थे तो मंगवाने की कोशिश की और जो कक्षा 8 से नीचे के बच्चे थे, उनके अपने यहां ही आधार कार्ड या कोई और पहचान पत्र जैसे दस्तावेज तैयार कराये गए। इसके लिए विशेष शिविर लगाए गए और प्रशासन की टीम ने घर-घर दौरे किए। फिर इन सभी बच्चों को उनके झुग्गी-झोपड़ियों के नजदीक ही स्कूल में दाखिला दिलाया गया। अब जब स्कूल दोबारा खुले हैं, तो हमने फिर से स्कूलों से रिपोर्ट मंगाई है। इसमें पता चला है कि 164 बच्चे स्कूल जा रहे हैं। बाकी बच्चों को हम ट्रैक कर रहे हैं कि वो अपने राज्य चले गए हैं या यहीं हैं।”
अभी लंबी है लड़ाई
नालागढ़ प्रशासन के इन प्रयासों ने झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों की जिंदगियों में नई रोशनी पैदा की है। अब ये बच्चे न सिर्फ शिक्षा पा रहे हैं, बल्कि मिड दे मील सहित स्कूल की बहुत सी सुविधाओं का भी फायदा उठा रहे हैं। जहां एक तरफ माता-पिता सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी भी अब बाल मजदूरी पर भी रोक लग रही है। लेकिन आईएएस पाल का मानना है कि अभी और बहुत कुछ करना बाकी है। उनका उद्देश्य ऐसे सभी बच्चों को शिक्षा देकर समाज की मुख्यधारा में लाना है।
आईएएस पाल कहते हैं, “हमने अपने कंट्रोल रूम नंबर नालागढ़ की सभी पंचायतों सहित पूरे शहर में दे दिये हैं। मेरी अपील है कि अगर कहीं भी किसी को 6 से 14 साल के बीच का बच्चा शिक्षा से वंचित दिखाई पड़ता है, तो फौरन हमे बताएं। पहले हम उसके माता-पिता की काउंसिलिंग करते हैं। इसके लिए हम एक एनजीओ ‘मैजिक बस फाउंडेशन’ की भी मदद लेते हैं। फिर बच्चे को शिक्षा उपलब्ध कराने के सारे प्रयास किए जाते हैं।”
नालागढ़ की तस्वीर बदल रहे हैं आईएएस पाल
इन प्रयासों के अलावा भी आईएएस पाल अपनी अन्य कई पहलों के माध्यम से आम जनता को लाभान्वित कर रहे हैं। प्रशासन ने हैरिटेज सोसाइटी के माध्यम से आईएएस और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एक निशुल्क ऑनलाइन कोचिंग शुरू की है। कोविड से पहले तक इस कोचिंग में 93 छात्रों को पढ़ाया जा रहा था। वहीं, प्रशासन द्वारा नालागढ़ में एक इंडोर स्टेडियम भी बनवाया गया है, जहां 5 बैडमिंटन कोर्ट बनाए गए हैं। इस स्टेडियम में खिलाड़ी बेहतर ट्रेनिंग कर फायदा उठा रहे हैं।
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