नशे की लत से ‘निजात’ पाना
- Pallavi Priya
- Published on 14 Jul 2023, 10:16 am IST
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हाइलाइट्स
- जन जागरूकता कार्यक्रमों और काउंसलिंग ने सैकड़ों लोगों को नशे की लत से मुक्त कराया है
- कोरिया, राजनांदगांव, कोरबा और बिलासपुर में चलने वाला निजात अभियान है आईपीएस संतोष सिंह के दिमाग की उपज
- शुरुआत में नशीली दवाओं के 200 से अधिक आदी लोगों की काउंसलिंग की गई है, जल्द ही यह अभियान ले लेगा बड़ा रूप
छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के तखतपुर थाने के कोचियागिरी के निरंजन साहू शराब बेचते थे। वह आदतन नशा भी करते थे। अब वह शराब छोड़कर गन्ने के जूस की दुकान चला रहे हैं। उनके जैसे कई लोग हैं, जिन्होंने शराब या ड्रग्स छोड़ दिया है और सामान्य जीवन जी रहे हैं। यकीनन इसका श्रेय जाता है जिला प्रशासन को, जिसके निजात अभियान के तहत की गई काउंसलिंग की मदद से यह सब संभव हो सका। पुलिस सुपरिटेंडेंट संतोष सिंह के दिमाग की उपज यह अभियान आईजी बद्री मीणा के डायरेक्शन में पूरे जिले में चल रहा है। बिलासपुर पुलिस नशीली दवाओं, नारकोटिक्स और अवैध ड्रग्स के खिलाफ अभियान चला रही है। इसमें सख्त कार्रवाई, व्यापक जन जागरूकता कार्यक्रम और नशीली दवाओं के आदी लोगों के लिए निरंतर सहायता शामिल है।पिछले पांच महीनों में 4804 लीटर अवैध शराब, 640 किलोग्राम गांजा, 15 ग्राम चरस, 10 हजार इंजेक्शन, 879 ग्राम सिरप, 953 बोनफिक्स, 5 ग्राम एमएएमडी और अन्य नशीले पदार्थ जब्त किए गए हैं। इससे लोगों में हड़कंप है। इसके कारण पिछले वर्षों की समान अवधि की तुलना में आईपीसी के कुल अपराधों में 12 प्रतिशत की कमी आई है। हमले में 12%, हत्या के प्रयास में 66%, हत्या में 21%, चाकूबाजी में 74%, छेड़छाड़ में 46% और चोरी में 21% की कमी आई है। जिला पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं की दर में भी पहले की तुलना में काफी कमी आई है।चौथा जिला
यह पहली बार नहीं है, जब निजात को किसी जिले में लॉन्च किया गया है। आईपीएस अधिकारी संतोष सिंह ने इससे पहली की पोस्टिंग वाले जिलों- कोरिया, राजनांदगांव और कोरबा- में इसे सफलता के साथ चलाया है। इस अभियान को अमेरिका की प्रतिष्ठित IACP संस्था ने अपराध रोकथाम रणनीति वाली कैटेगरी में IACP अवार्ड से सम्मानित किया है।भारत सरकार के गृह मंत्रालय के तहत बीपीआरएनडी द्वारा इसे देश के टॉप-30 स्मार्ट पुलिसिंग कार्यों में भी शामिल किया गया था। इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए अधिकारी ने कहा, ‘हमने जरूरत के हिसाब से कैंपेन में बदलाव करने की कोशिश की है। चूंकि यह पहले से ही चार अन्य जिलों में चल रहा है, इसलिए सफलता की दर अधिक है।
इंटरनेशनल हेल्प
इस बार जिले के विभिन्न संगठनों और सभी वर्गों के साथ यूनिसेफ और बच्चों के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था- यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी)- भी अभियान में मदद कर रही है.अधिकारी का यह भी कहना है कि आमतौर पर पुलिस का काम कार्रवाई करना, ड्रग्स जब्त करना या तस्करों को गिरफ्तार करना है। लेकिन जब उन्हें एहसास हुआ कि ड्रग्स और शराब एक सामाजिक बुराई बन गई है, तो उन्हें पता चला कि इन पर अंकुश लगाने की जरूरत है। नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान को सफल बनाने के लिए श्री सिंह और उनकी टीम ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। वे पैम्फलेट से लेकर नुक्कड़ नाटक, निजात रैली, निजात खेल का आयोजन तक कर रहे हैं।
नशे के खिलाफ जनजागरूकता के तहत लोगों के सहयोग से स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर कुल 1906 जागरूकता कार्यक्रम किए गए। इंडियन मास्टरमाइंड्स से उन्होंने कहा, “एक तरफ हम रिइंफोर्समेंट पर ध्यान दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ जागरूकता भी पैदा कर रहे हैं। साथ में काउंसलिंग भी चल रही है। यह दोतरफा तरीका वास्तव में बहुत मदद कर रहा है।”
ड्रग्स काउंसलिंग
इस अभियान के प्रमुख भाग में काउंसलिंग शामिल है। इस अभियान के जरिये 215 से अधिक लोगों को नशे की लत से बचाया जा चुका है। नशे के कारोबार पर अंकुश लगाकर ऐसे सैकड़ों लोगों को नशे की खतरनाक लत से बचाया गया है, जो नशे के आदी नहीं थे बल्कि शौकिया थे। निरंजन साहू की तरह और भी कई लोग हैं, जो इस जानलेवा लत से बच गए हैं। हर थाने ने नशीली दवाओं और शराब के आदी लोगों की एक लिस्ट बनाई है। वे काउंसलिंग ऑफर लेकर उनके पास जा रहे हैं।शुरू में पुलिस ने केवल इच्छुक लोगों और उन लोगों की काउंसलिंग पर ध्यान दिया, जिनके परिवार पूरे मन से आगे आ रहे हैं। विभाग ने काउंसलिंग और मेडिकल जरूरतों में मदद के लिए आर्ट ऑफ लिविंग, ब्रह्माकुमारी और क्षेत्र के गैर सरकारी संगठनों के साथ समझौता किया है। करीब पांच लोगों को नशा मुक्ति केंद्र में भी भर्ती कराया गया है।
परिवार आगे आ रहे
श्री सिंह कहते हैं, “कुछ मामलों में परिवार के सदस्य, खासकर ज्यादातर पत्नियां अपने पतियों के लिए सलाह लेने आ रही हैं। नशा आमतौर पर घर को बर्बाद कर देता है और महिलाएं सबसे अधिक प्रभावित होती हैं। अभी पांच महीने ही हुए हैं, इसलिए हम इच्छुक लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम जल्द ही और अधिक लोगों की पहचान करेंगे और सभी को अपने कार्यक्रम में शामिल करेंगे।अधिकारी ने यह भी कहा कि जरूरत के आधार पर नशे की लत वाले व्यक्ति को अपने काउंसलर के साथ 10-15 मीटिंग दी जाती हैं। विभाग उन्हें कौशल विकास या आजीविका कार्यक्रमों में शामिल करने में भी मदद कर रहा है। हालांकि, फिर लत लगने की आशंका हमेशा बनी रहती है। इसलिए, पुलिस अधिकारियों और कांस्टेबलों से कहा गया है कि वे काउंसलिंग प्रोग्राम में शामिल सभी लोगों पर नजर रखें और उनकी प्रोग्रेस रिपोर्ट करें।श्री सिंह का मानना है कि निजात के कारण बहुत से परिवारों को लाभ हुआ है और शादियां बच गई हैं। यह यकीनन जश्न मनाने लायक है। अब उन्हें शत-प्रतिशत नशामुक्त बिलासपुर की उम्मीद है।
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