पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में दिव्यांगों का जीवन बदल रही है आईएएस अधिकारी की विशेष योजना
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 7 Aug 2023, 11:35 am IST
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हाइलाइट्स
- कलेक्टर सुरेंद्र कुमार मीणा ने की 'सक्षम द्वार' योजना की शुरुआत
- इस योजना का लक्ष्य विकलांग व्यक्तियों की स्थिति में सुधार करना है
- इस योजना के केंद्र में हैं विशेष ध्यान की जरूरत वाले बच्चे
भारत में किसी भी प्रकार की दिव्यांगता के साथ जीवन जीना आसान नहीं है। यह रोज जागते ही लड़ाई में कूदने जैसा है। कारण, उनके लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। घर से लेकर स्कूल तक इतनी आधुनिक सुविधाएं नहीं हैं कि उनका जीवन आसान हो सके। लेकिन, पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में 2011 बैच के आईएएस अधिकारी सुरेंद्र कुमार मीणा द्वारा शुरू की गई एक योजना हालात को बदल रही है।
‘सक्षम द्वार’ योजना न केवल दिव्यांग व्यक्तियों को उनके जीवन को आसान और सुलभ बनाने के लिए सहायता प्रदान कर रही है, बल्कि उन्हें आधुनिक उपकरणों से लैस करते हुए विशेष स्कूलों और हॉस्टलों में बुनियादी ढांचे का विकास भी कर रही है।
कुल मिलाकर इस योजना का उद्देश्य समावेशी प्रशासन और मानवीय स्पर्श के साथ जिले के सभी लोगों को समानता प्रदान करना है। प्रशासन मासिक वजीफे के साथ घर पर ही दिव्यांग सर्टिफिकेट भी उपलब्ध कराता है। हाल ही में प्रशासन ने एक नेत्रहीन स्कूल में दृष्टिहीन छात्रों की सहायता के लिए ‘एनी डिवाइसेस’ प्रदान की। 3000 से अधिक विकलांग व्यक्तियों को व्हील चेयर, सुनने की मशीन आदि उपकरण दिए गए। साथ ही 300 से अधिक छात्रों को उनकी पढ़ाई के लिए आधुनिक उपकरण प्रदान किए गए।
इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ एक विशेष बातचीत में अलीपुरद्वार के जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर सुरेंद्र कुमार मीणा ने इस योजना के बारे में बताया। यह भी बताया कि यह विशेष जरूरतों वाले लोगों की मदद कैसे कर रही है।
सक्षम द्वार
कलेक्टर मीना ने यह योजना करीब एक साल पहले शुरू की थी। इसके तहत प्रशासन ने दिव्यांगों के लिए अलग सेल और कंट्रोल रूम बनाया है। कोई भी उनसे संपर्क कर सकता है और प्रशासन हरसंभव मदद करता है। सीएसआर फंड, एनजीओ और अन्य योजनाओं के पैसे की मदद से उनकी भलाई पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
मीना ने कहा, ‘सक्षम द्वार दिव्यांग व्यक्तियों और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के जीवन की क्वालिटी में सुधार के लिए है। हमने विकलांग व्यक्तियों और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के जीवन को सुलभ बनाने और उनके समग्र सुधार के लिए यह योजना शुरू की।’
इस योजना के चार मुख्य घटक हैं – दिव्यांगों को उपकरण देकर मदद करना, बुनियादी ढांचे का विकास, विशेष स्कूलों को आधुनिक बनाना और अचानक मदद जैसे अन्य महत्त्वपूर्ण गैप को भरना।
एनी डिवाइस
स्कूलों में पढ़ने वाले विशेष आवश्यकता वाले बच्चे इस योजना के केंद्र में हैं। प्रशासन ने स्कूलों का नवीनीकरण कर उन्हें आधुनिक सुविधाओं से लैस किया है। सामुदायिक भवन के साथ स्मार्ट क्लासरूम बनाए गए हैं। वहीं, आधुनिक वैज्ञानिक गैजेट मुहैया कराए जा रहे हैं।
हाल ही में जिले में दृष्टिहीनों के सुबोध सेन स्मृति दृष्टिहीन स्कूल ऐसे छात्रों के लिए ‘एनी डिवाइसेस’ की सुविधा वाला राज्य का तीसरा स्कूल बन गया। स्कूल को चार एनी डिवाइस दिए गए हैं। इस पर आए चार लाख रुपये का खर्च जिला प्रशासन ने उठाया।
दृष्टिहीनों के लिए शिक्षा की दुनिया में एनी मशीन एक बड़ी उपलब्धि है। इस डिवाइस के आने के बाद अब छात्र आधुनिक मशीनों से पढ़ाई कर पा रहे हैं। एनी एक ऐसी मशीन है जिसमें ब्रेल लिपि के साथ-साथ ऑडियो सिस्टम भी शामिल है। दृष्टिबाधित छात्र आमतौर पर ब्रेल लिपि में पढ़ते और लिखते हैं। लेकिन एनी में ऑडियो भी जोड़ा गया है, ताकि कोई भी कुछ लिखे तो आवाज भी सुन सके। इससे विद्यार्थी बहुत ही जटिल चीजें आसानी से सीख सकते हैं।
अन्य मदद
प्रशासन जिले के सभी दिव्यांग व्यक्तियों के लिए खुशी और आशा लाना चाहता है। वे घर-घर जाकर दिव्यांग सर्टिफिकेट दे रहे हैं। यदि कोई दिव्यांग व्यक्ति जिले के दिव्यांग सेल में संपर्क करेगा, तो अधिकारी उनके पास जाएंगे। उन्हें उठाएंगे और मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाएंगे। इसके बाद सर्टिफिकेट उनके घर पर पहुंचा दिया जाएगा।
मीणा ने बताया कि हम इसे मानवीय स्पर्श देने के लिए उन्हें ऐसी सुविधा प्रदान कर रहे हैं। ताकि वे समाज से अलग-थलग महसूस ना करें।
इसके अलावा, राज्य सरकार की ‘मानविक पेंशन योजना’ के तहत दिव्यांगों को पैसे दिए जाएंगे। जीवन भर वजीफा के रूप में हर महीने 1000 रुपये दिए जाएंगे।
साथ ही, अन्य महत्त्वपूर्ण कमियों को भी दूर किया जा रहा है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी विकलांग अपनी आवश्यकता पूरी किए बिना वापस ना जाए।
एक उदाहरण देते हुए मीणा ने कहा, ‘हाल ही में हमें एक विकलांग खिलाड़ी का फोन आया। वह एक टूर्नामेंट खेलने जा रहा था। हमने उन्हें परिवहन लागत सहित सभी सुविधाएं प्रदान कीं। हालांकि, हम मदद करने में सेलेक्टिव नहीं हैं। फिर भी हम उन सभी दिव्यांगों को सहायता प्रदान करते हैं, जो किसी भी प्रकार की सहायता के लिए हमारे पास आते हैं।’
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