आरपीएससी को सुधारने के लिए वीआरएस लेने को भी तैयार है यह आईपीएस अधिकारी
- Pallavi Priya
- Published on 3 Aug 2023, 10:48 am IST
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हाइलाइट्स
- राजस्थान लोक सेवा आयोग के पतन से दुखी हैं आईपीएसअधिकारी पंकज चौधरी
- उन्होंने राजस्थान के सीएम को कुछ बदलाव के सुझाव दिए हैं, जिनसे आरपीएससी का गौरव लौट सकता है
- यदि 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी को आरपीएससी में सेवा करने का मौका मिला, तो वह वीआरएस लेने को भी तैयार हैं
राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) की स्थापना 1949में हुई। यह एक सरकारी संस्था है, जो सिविल सेवाओं और सिविल पदों में भर्ती का काम देखती है। इसके जिम्मे ही राज्य के शिक्षकों की भर्ती भी हैं। इसका उद्देश्य नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षाएं साफ-सुथरे ढंग से कराना है। वैसे हाल ही में कई परीक्षाओं में पेपर लीक के मामलों से आरपीएससी की छवि खराब हुई है। इससे रिजल्ट देने में भी देरी हुई।आयोग के एक सदस्य को कथित तौर पर रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया।इससे संस्था की पवित्रता को और नुकसान पहुंचा।इस तरह की घटनाओं से दुखी होकर राज्य के एक आईपीएस अधिकारी ने इस संस्था को सुधारने और इसे फिर से भरोसेमंद बनाने के लिए हाथ बढ़ाया है। वह 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी हैं। इस समय वह एसपी, राजस्थान कम्युनिटी पुलिसिंग और एसडीआरएफ कमांडेंट के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने आरपीएससी के संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पांच सूत्रीय सुझाव भेजा है।
इंडियन मास्टरमाइंड्स को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अधिकारी ने कहा कि एक ऐसे संस्थान का पतन देखना उनके लिए दुखद है, जो इतने सारे लोगों को उम्मीदें देता है।
परीक्षार्थियों से लगाव
शिक्षा से इंजीनियर श्री चौधरी 2009 में आईपीएस में शामिल हुए। यह उनके लिए आसान नहीं था, क्योंकि इसमें सफल होने से पहले उन्हें कई असफलताओं से गुजरना पड़ा। तैयारी के दौरान यूपीएससी सीएसई के अलावा उन्होंने विभिन्न राज्यसेवा परीक्षाओं में भी प्रयास किए। उन्होंने कहा, “2005-2009 के बीच मैंने विभिन्न राज्यों की सिविल सेवा परीक्षाएं दीं।इन राज्यों में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेशऔर हिमाचल शामिल थे। मैंने यूपीपीएससी भी पास कर ली। चूंकि मैं लंबे समय से इस रास्तेपर हूं,इसलिए मैं परीक्षा देने वालों की भावनाओं से सहमतहो सकता हूं।”
सभी कैंडिडेट्स ऐसी संस्था पर अपना विश्वास रखतेहुए अत्यधिक मेहनत करते हैं। उनका मानना है कि ये संस्थाएं अगर निष्पक्ष होंगी,तो इनकी ट्रांसपेरेंसी पर कोई सवाल या संदेह नहीं हो सकता। यह विश्वास ही उन्हें सपनेदेखने और साल-दर-साल परीक्षाएं देते रहने का हौसला देता है। श्री चौधरी ने कहा कि अगर कोई उन सभी अभ्यर्थियों के बारे में सोचे, तो आरपीएससी की हालिया गिरावट दुखद है। उन्होंने कहा, ”मैं बहुत ही खराब आर्थिक हालत वाले छात्रों से मिला हूं, जो हर तरह के संघर्ष से जूझ रहे हैं। लेकिन, उन सभी को उम्मीद है कि अगर वे मेहनत करें तो अपनी किस्मत बदल सकते हैं। आरपीएससी में जो कुछ हुआ, उसके बाद हम उन छात्रों को क्या कह सकते हैं?”
वीआरएस लेने को तैयार
उन्होंने आरपीएससी में कुछ बदलाव का सुझाव दिया है। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर वह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस लेने केलिए भी तैयार हैं। वीआरएस की आवश्यकता के बारे में पूछने पर श्री चौधरी ने ऐसी सरकारी संस्थाओं के एसओपी पर प्रकाश डाला। राजस्थान में आरपीएससी के अधिकांश अध्यक्ष रिटायर आईपीएस अधिकारी रहे हैं। श्री चौधरी ने कहा कि अगर सरकार उन्हें मौका देगी, तो वह पूरी निष्ठा से काम करने का भरोसा दिला सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि वह सेक्रेटरी या सुपरवाइजर के रूप में संस्था का हिस्सा बन सकते हैं। उन्होंने कहा, “अगर सरकार एसओपी को लेकर अडिग है, तो मैं उस स्थिति में वीआरएस ले सकता हूं। और, ऐसा करते हुए मैं बलिदान देने की कोशिश नहीं कर रहा हूं। मेरा एकमात्र लक्ष्य आरपीएससी को पटरी पर लाना है, क्योंकि मैं जानता हूं कि छात्रों का जीवन दांव पर है।”
पांच सुझाव
मुख्यमंत्री को लिखे खुले पत्र में अधिकारी नेपांच बदलाव सुझाए हैं, जिन्हें तुरंत लागू किया जाना चाहिए। ये हैं:
- 1. आरपीएससी का अध्यक्ष या सदस्य ऐसा हो, जिसमें ईमानदारी, समर्पण और युवाओं के प्रति सहानुभूति हो।
- 2. प्रश्नपत्र अंग्रेजी और हिंदी दोनों में होना चाहिए। लेकिन उनके अनुवाद में प्रूफ की भी कोई गलती नहीं हो। प्रश्नों को गोपनीयता और नियमों का पालन करते हुए सेट किया जाना चाहिए, ताकि छात्रों को परीक्षा में निष्पक्षता की मांग करते हुए अदालतों में न जाना पड़े।
- 3. सभी वर्तमान सदस्यों और स्टाफ को बर्खास्त किया जाए। नई भर्ती के लिए ईमानदारी और सत्यनिष्ठा आधार होनी चाहिए।
- 4. परीक्षा तिथि समय पर घोषित की जाए और समय पर ही परीक्षा ली जाए। एक विशेष टीम बने, जो प्रत्येक परीक्षा की जिम्मेदारी ले।
- 5. आरपीएससी में कोचिंग माफिया और दलालों के प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए। यदि कोई अभ्यर्थी व्यक्तिगत प्रभाव का प्रयोग करते हुए पाया जाता है, तो उसे भविष्य की सभी परीक्षाओं से वंचित कर दिया जाना चाहिए।
श्री चौधरी ने कहा कि ऐसे बदलावों से आरपीएससी पर जनता का भरोसा दोबारा हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके अधिकतर सुझाव ऐसे संस्थानों के एसओपी हैं, लेकिन उन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। उन्होंने अंत में कहा, “पेपर लीक पर रोक लगाने के अलावा संस्थान को किसी भी छात्र को अनुचित लाभ नहीं देना चाहिए। यदि कोई ऐसा करताहै, तो उसे डिबार कर दिया जाए। यह मुश्किल नहीं है, क्योंकि कोई भी आरपीएससी के सदस्यों और कर्मचारियों को उंगलियों पर गिन सकता है। हमें बस यह सुनिश्चित करना है कि चपरासी से लेकर अध्यक्ष तक, सभी ईमानदारी से काम कर रहे हैं। ”
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