इस आईएएस अधिकारी की पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में खुल रहे हैं पुस्तकालय!
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 20 Nov 2021, 2:21 pm IST
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हाइलाइट्स
- 2013 बैच के आईएएस अधिकारी उपायुक्त सूरज कुमार की पहल पर खुलेंगे 30 पुस्तकालय
- झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए की बड़ी पहल
- पुस्तकालय में किताबों के साथ-साथ मिलेगी कम्प्युटर सुविधा और फ्री इंटरनेट
किताबें इंसान की सबसे अच्छे दोस्त होती हैं। मानव सभ्यता के फलने-फूलने और उसे प्रगतिशील बनाने में किताबों का ही सबसे बड़ा योगदान रहा है। किताबों से मनुष्य ने ज्ञान अर्जित किया और खुद को बेहतर बनाता चला गया। लेकिन उनका क्या जिन गरीब बच्चों के नसीब में किताबें ही नहीं। ऐसे बच्चों के लिए झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी सूरज कुमार किसी फरिश्ते की तरह आगे आए हैं। उनकी वजह से गरीब बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें और इंटरनेट सुविधा बिल्कुल मुफ्त मिलने जा रही है।
झारखंड के पूर्वी सिंहभूमि जिले के उपायुक्त और 2013 बैच के आईएएस अधिकारी सूरज कुमार की पहल पर प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों में 30 पुस्तकालयों की व्यवस्था करने जा रहा है। सूरज का सिंहभूमि जिले से गहरा नाता है और उनकी खुद की पढ़ाई-लिखाई भी यहीं हुई है। जिले की समस्याओं से वो अच्छी तरह से वाकिफ हैं, इसीलिए आम लोगों की सुविधा के लिए उन्होंने कई पहले की हैं। उनका सपना है कि जिले के बच्चे पढ़ लिख कर खूब तरक्की करें।
लाइब्रेरी और इंटरनेट
पूर्वी सिंहभूमि जिले में ही जमशेदपुर शहर भी आता है। अभी इसी इलाके में 30 पुस्तकालय बनाने का विचार रखा गया है और इन्हें अगले 90 दिनों में तैयार करना है। दिवाली के समय पुस्तकालयों का शुभारंभ करने की प्रशासन की योजना है।
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से एक खास बातचीत करते हुए आईएएस सूरज कहते हैं, “ग्रामीण क्षेत्रों में टैलंट की कोई कमी नहीं है, लेकिन संसाधनों की कमी है। वहीं शहरी क्षेत्रों में संसाधन तो खूब हैं, लेकिन उनका पूरा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। आप देखिए, हमारे स्टेट बोर्ड के बच्चे बहुत टैलेंटेड हैं, लेकिन उन तक सीबीएसई और आईएससी की गुणवत्ता उपलब्ध नहीं है। इसी अंतर को पाटने के लिए हमने अपने स्तर पर ये काम शुरू किया है। शहरी क्षेत्रों के बच्चों और लोगों के पास ऐसी पुरानी किताबें होंगी जिनका अब उनके पास कोई उपयोग नहीं है, वो किताबें ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के बहुत काम आ सकती हैं।”
आईएएस सूरज आगे कहते हैं, “हमने पुस्तकालय बनाने के लिए 30 पुराने सामुदायिक भवनों (कम्यूनिटी सेंटर) को पहचाना, जिनका अब सही से उपयोग नहीं हो रहा है और आने वाले वक्त में उनकी बिल्डिंग भी जर्जर हो जाएगी। ऐसे भवनों की मरम्मत और नवीनीकरण के लिए हमने टेंडर जारी किया है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन्हें पुस्तकालय में बदल दिया जाएगा। वहीं किताबें इकठ्ठा करने के लिए शहरी इलाकों के निजी स्कूलों, अस्पतालों, बाजारों, सरकारी दफ्तरों और अन्य कई मशहूर जगहों पर ‘बुक बॉक्स’ रखवा रहे हैं। हम लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि वो किताबें दान करें। यकीन मानिए इस पहल को बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।”
रोचक आइडिया
खास बात ये है कि इस पहल के कार्यान्वयन को लेकर सूरज कुमार ने कई रोचक आइडिया अपने प्रशासन को दिये हैं। उन्हीं में से एक है कचरा गाड़ी से किताबें लाना।
सूरज कहते हैं, “हम जल्द ही एक और काम करने जा रहे हैं। शहर के हर इलाके में सुबह-सुबह कचरा गाड़ी कचरा उठाने जाती है। गाड़ी के पिछले हिस्से में कचरा ढोया जाता है और आगे एक केबिन होता है, जहां ड्राइवर और कर्मचारी बैठते हैं। हम उन्हें जिम्मेदारी सौंपेंगे कि वो जब कचरा उठाने जाएं, तो वहीं जो लोग किताबें दान करना चाहते हैं उनकी किताबें उठा लें।”
पुस्तकालयों में किताबों के साथ-साथ कम्प्युटर, प्रिंटर, स्टडी टेबल और अन्य जरूरी सभी चीजें मुहैया कराई जाएंगी। इसके साथ ही इंटरनेट की सुविधा भी बच्चों को मिलेगी। सूरज का कहना है कि जैसे-जैसे लोगों का समर्थन हमे मिलता जाएगा, हम और पुस्तकालय बढ़ाते जाएंगे। हमारी योजना है कि अगले साल यानी 2022 के अंत तक हम अपने हर ब्लॉक में 20 पुस्तकालय बना दें। हमारे यहां टोटल 11 ब्लॉक हैं, इस तरह 220 पुस्तकालय बनाने की योजना है।
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स के सवाल इस योजना के लिए फंड कहां से आएगा? आईएएस सूरज का कहना है कि जमशेदपुर में प्रभावशाली और अमीर लोगों से पुस्तकालय गोद लेने के लिए कहा जाएगा। इस तरह उसके रख-रखाव की जिम्मेदारी उन पर होगी। इसे कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी (सीएसआर) के तहत एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में आसानी से किया जा सकता है।
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