नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस का प्रोजेक्ट सेतु दे रहा दिव्यांग आदिवासियों को सर्टिफिकेट
- Bhakti Kothari
- Published on 13 Aug 2023, 12:03 am IST
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हाइलाइट्स
- चिंतापल्ली के एएसपी आईपीएस अधिकारी किशोर कोम्मी ने अपने जिले में की है प्रोजेक्ट सेतु की शुरुआत
- इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य क्षेत्र के दिव्यांगों को SADAREM सर्टिफिकेट देना है
- ये सर्टिफिकेट उन्हें उनकी सरकारी पेंशन पाने में करेंगे मदद
विशेष रूप से विकलांग लोगों की मदद के लिए आंध्र प्रदेश के चिंतापल्ली जिले में एक सराहनीय प्रयास किया गया है। पुलिस विभाग ने जिले के दूरदराज के नक्सल प्रभावित इलाकों में रहने वाले विकलांग जनजातीय लोगों की सहायता के लिए ‘सेतु’ (आपके माध्यम से सामाजिक सशक्तीकरण) नाम से एक अनोखा प्रोग्राम शुरू किया है। इस प्रोग्राम के बारे में अधिक जानने के लिए इंडियन मास्टरमाइंड्स ने जिले के सहायक पुलिस अधीक्षक यानी एएसपी आईपीएस अधिकारी किशोर कोम्मी से विशेष रूप से बात की।
ऐसे आया प्रोजेक्ट का विचार
कार्यभार संभालने के बाद श्री कोम्मी की क्षेत्र में पहली यात्रा नक्सल प्रभावित बालापम गांव की थी। यहां उनकी मुलाकात एक दिव्यांग महिला से हुई, जिसे सरकार से कोई पेंशन या सहायता नहीं मिल रही थी। जबकि एक सरकारी योजना के तहत उसे 3000 रुपये की मासिक पेंशन मिलनी चाहिए थी।
इंडियन मास्टरमाइंड्स से श्री कोम्मी ने कहा, “आगे की पूछताछ पर पता चला कि SADAREM सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण वह योजना का लाभ नहीं उठा पा रही थी। पेंशन या सहायता के लिए इसका होना जरूरी था। इतना ही नहीं, एक कठोर नियम के कारण वह बुजुर्ग महिला सर्टिफिकेट ले ही नहीं सकती थी। इस तरह उसे पेंशन पाने से रोका गया। ”
सतत विकास
सेतु (SETU) नाम की पहल दरअसल आंध्र प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के सामने आने वाली लगातार चुनौतियों का समाधान करके सतत विकास को बढ़ावा देने के मकसद से है। यह प्रोग्राम खासकर उन क्षेत्रों को लक्षित करता है, जहां नक्सलियों की मौजूदगी ने बुनियादी ढांचे और विकास की योजनाओं में बाधा डाल रही हैं। इससे निर्दोष आदिवासी समाज को लंबे समय तक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।इस पहल के एक हिस्से के रूप में चिंतापल्ली पुलिस ने लगभग 3000 विकलांग आदिवासियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए गांव में बड़े पैमाने पर शिविर लगाया।
अधिकारी ने बताया, “इस प्रयास के पीछे की प्रेरणा इस एहसास से उपजी है कि बड़ी संख्या में विकलांग व्यक्ति SADAREM सर्टिफिकेट लेने की कठिन प्रोसेस के कारण पेंशन लाभ प्राप्त करने में असमर्थ थे।”
उद्देश्य
सर्टिफिकेट लेने के प्रोसेस को कम कठिन और सस्ता बनाने के लिए अधिकारी ने अपने बैचमेट विकास मरमट की मदद ली और प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। उन्होंने क्षेत्र में बिना सर्टिफिकेट वाले 3000 दिव्यांगों का डाटा जुटाया।
श्री किशोर ने कहा, “हमें सभी गांवों तक पहुंचने और हर एक व्यक्ति से मिलने के लिए पदयात्रा करनी पड़ी। यह बहुत कठिन सर्वे था। हमने उनका विश्वास हासिल करने और उन तक पहुंचने के लिए एक महीने की कवायद भी शुरू की। विकास ने चिंतापल्ली में SADAREM सर्टिफिकेट शिविर लगाने में मेरी मदद की। इससे दिव्यांगों को अपने सर्टिफिकेट के लिए विशाखापट्टनम जाने की जरूरत खत्म हो गई।”
कैंप
पुलिस ने सर्टिफिकेट बना कर देने के लिए कैंप लगाया, जो डॉक्टरों को अन्य तरीकों के बजाय आदिवासी समुदायों तक ले आया। यह मेगा सर्टिफिकेट कैंप जीएसडब्ल्यूएस, पुलिस और रेवेन्यू विभागों की ओर से लगाया गया था। बेहद दूरदराज के इलाकों से लोगों को शिविर तक पहुंचाने की चुनौती पुलिस ने खुद उठाई।
साझा प्रयास
बता दें कि सेतु प्रोग्राम को चलाने वाली कोर टीम में मंजे हुए प्रोफेशनल शामिल हैं। इनमें आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से प्रभावशाली योग्यता वाले नौजवानों के अलावा आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं। सर्टिफिकेट वाले कैंप में अधिक उपस्थिति देखी गई। इसमें 1000 से अधिक लोगों ने भाग लिया। उनमें से लगभग 850 रजिस्ट्रेशन पूरे हो गए। फिर लोकल चुनौतियों से निपटने के लिए जीएसडब्ल्यूएस ने असेसमेंट का संभाल लिया। इस तरह सही लोगों को तीन घंटे के बेहद कम समय में मौके पर ही सर्टिफिकेट मिल गए!
जनता की भागीदारी
पुलिस ने ग्रामीणों को मनरेगा में शामिल होकर अपनी सड़कें खुद बनाने के लिए भी प्रेरित किया और उनकी हरसंभव मदद की।
श्री कोम्मी ने कहा, “अब उनके पास कम से कम मोटर वाहन की पहुंच है, जो 4-5 गांवों को जोड़ती है। यहां एक और बड़ा मुद्दा उनके ड्राइवर का लाइसेंस प्राप्त करना है। हमारी टीम ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को पत्र लिखकर ग्रामीणों की मदद की, जो अपने अधिकारियों को चिंतापल्ली भेजने के लिए फौरन तैयार हो गए थे।”
लगभग 600 लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस बांटने के उद्देश्य से एक और बड़े पैमाने पर कैंप लगाया गया, जिसमें पुलिस की मदद से लाइसेंस दिए गए। इसके अलावा, अधिकारी ने गांजा की खेती में शामिल लोगों को रोजगार दिलाने में भी सहायता की है। ऐसे व्यक्तियों को आधार कार्ड जारी किए हैं, जिनके पास आधार कार्ड नहीं थे।दरअसल सेतु प्रोग्राम इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि कैसे सामाजिक सशक्तीकरण और समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्धता से प्रेरित सहयोगात्मक प्रयास, लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों का हल निकाल सकते हैं।
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