माल लोकल, बिजनेस बाहरः कलेक्टर ने रोइंग मार्ट के जरिये छोटे-से इस पहाड़ी जिले को बड़े बाजारों तक पहुंचाया
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 2 Aug 2023, 11:57 am IST
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हाइलाइट्स
- आईएएस अधिकारी सौम्या सौरभ ने रोइंग मार्ट नाम से शुरू की पहल
- यह जिले के स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को बिजनेस बढ़ाने में करेगा मदद
- रोइंग मार्ट सभी जरूरी प्रोसेस के साथ उपलब्ध कराता है प्लेटफार्म
स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों के सामने कुछ प्रमुख समस्याएं रहती हैं। वैसे तो लोअर दिबांग वैली जिले में लॉजिस्टिक समस्याओं का समाधान अरुणाचल प्रदेश सरकार कर देती है। फिर भी मार्केटिंग, लाइसेंसिंग, प्रॉपर ओरिएंटेशन और अपने प्रोडक्ट को बाहर बेचने के तरीके के बारे में ज्ञान की कमी की समस्या बनी ही रहती है। ऐसे में 2014 बैच की आईएएस अधिकारी और कलेक्टर सौम्या सौरभ ‘रोइंग मार्ट’ के रूप में महत्वपूर्ण समाधान लेकर आई हैं।दरअसल यह एसएचजी को उनके उत्पादों की मार्केटिंग और बिक्री में सहायता करने का एक मंच है। रोइंग मार्ट का उद्देश्य जिले में कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों सहित विभिन्न आजीविका गतिविधियों के लिए एक सामान्य केंद्र बनाना है। यह एक केंद्रीकृत केंद्र की तरह काम करेगा, जहां एसएचजी बिना किसी कागजी प्रोसेस संबंधी झंझट के सीधे अपना बिजनेस कर सकते हैं। इसलिए कि ऐसी सभी जिम्मेदारियां रोइंग मार्ट द्वारा उठाई जाएंगी।इस पहल के बारे में जानने के लिए इंडियन मास्टरमाइंड्स ने जिला कलेक्टर सौम्या से बात की।
रोइंग मार्ट
दिबांग घाटी अरुणाचल प्रदेश का एक पहाड़ी जिला है। यह हरे-भरे, ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों और हिमालय की गहरी घाटियों के साथ मनमोहक नजारा पेश करता है। यह जिला भोजन से लेकर वस्त्रों तक अपने ऑर्गेनिक प्रोडक्ट के लिए प्रसिद्ध है। यहां बहुत सारे स्वयं सहायता समूह ऑर्गेनिक फूड प्रोडक्ट्स भी बना रहे हैं। लेकिन वे नहीं जानते कि अपने उत्पादों को बड़े पैमाने पर कैसे आगे बढ़ाया जाए। वे मार्केटिंग या लाइसेंस लेने के बारे में नहीं जानते हैं। इसलिए एसएचजी को सशक्त बनाने के उद्देश्य से रोइंग मार्ट जिले में विभिन्न कृषि और गैर-कृषि आधारित आजीविका गतिविधियों के लिए एक सामान्य केंद्र के रूप में कार्य करेगा।सुश्री सौम्या ने कहा, ‘हम हमेशा चाहते थे कि एसएचजी को एक उचित मंच मिले, जहां वे बिना किसी परेशानी के अपने सभी उत्पाद बेच सकें। वे उत्पाद तो बना रहे हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि इन्हें बड़े बाजारों तक कैसे पहुंचाया जाए। लेकिन अब रोइंग मार्ट के साथ एसएचजी एक छतरी के नीचे आ सकते हैं और अपने उत्पाद बेच सकते हैं।’ उन्होंने एसएचजी के सदस्यों से यह अपील भी कि जब तक आपके लक्ष्य और उद्देश्य पूरे न हो जाएं, तब तक हार न मानें।
बड़ा प्रोत्साहन
यह पहल एसएचजी के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है। हालांकि, यह पहल अभी ही शुरू हुई है। इसलिए कई चीजें अभी भी प्रोसेस में हैं। इसके बावजूद बड़ी संख्या में स्वयं सहायता समूह पहले ही रोइंग मार्ट से जुड़ चुके हैं।
सुश्री सौम्या ने कहा, ‘यह पहल अभी शुरुआती चरण में है। हम लाइसेंसिंग पर काम कर रहे हैं और एफएसएसएआई लाइसेंस और अन्य दस्तावेज तैयार कर रहे हैं। फिलहाल, हमने लोकल बाजार में प्रोडक्ट बेचने के लिए एसएचजी का एक साझा समूह बनाया है। अब वे आ सकते हैं, सहयोग कर सकते हैं और बेच सकते हैं। वरना उनके लिए बाजार ढूंढना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन एक इकाई के रूप में रोइंग मार्ट बहुत अच्छा काम कर रहा है।’
लोअर दिबांग वैली में तीन वन धन विकास केंद्र (वीडीवीके) हैं, जो जनजातीय मामलों के मंत्रालय की योजना है। वीडीवीके के तहत कई एसएचजी हैं। ये एसएचजी अब रोइंग मार्ट के तहत भी आ गए हैं। प्रशासन ने वीडीवीके को एसएचजी को प्रदान की गई मैन्युफैक्चरिंग मशीनरी और उपकरणों का उचित उपयोग सुनिश्चित करने की भी सलाह दी थी।
समस्या
अधिकतर एसएचजी के लिए एक बड़ी समस्या यह है कि वे लोकल लेवल पर एक जैसे प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं और जागरूकता की कमी से उनके पास कोई बाहरी बाजार भी नहीं है। तो उनके उत्पाद कौन खरीदेगा?सुश्री सौम्या ने कहा, ‘हमें बाहर जाकर इसे देश के अन्य हिस्सों में बेचने की जरूरत है। हमारे पास वास्तव में बहुत अच्छी क्वालिटी वाले कई फूड प्रोडक्ट्स हैं। लेकिन बड़े बाजारों तक पहुंचने के लिए हमें उचित लाइसेंस की आवश्यकता है। इस दिशा में भी यात्रा शुरू हो गई है।’उन्होंने एसएचजी को जिला प्रशासन और अरुणाचल राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एआरएसआरएलएम) के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया है।
आगे क्या
एसएचजी के लिए भविष्य की कई अन्य योजनाएं हैं। जैसे- ऑनलाइन प्लेटफार्म पर मार्केटिंग लिंकेज, भूमि प्रदान करना आदि। वह कहती हैं कि लाइसेंस प्राप्त करने के बाद हम अपने एसएचजी को अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसे कई ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर ले जाएंगे। हम उनके उत्पादों को जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत बने स्टोर तक पहुंचाने का प्रयास भी करेंगे।
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