महामारियों के मुश्किल दौर में कलाकारों का सहारा बन उनकी कारीगरी बेचना, इस आईएएस अधिकारी ने किया कमाल का काम!
- Raghav Goyal
- Published on 13 Nov 2021, 10:11 am IST
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हाइलाइट्स
बिहार में यह आईएएस अधिकारी कई मिसालें पेश करता रहा है। कोरोना रोगियों के लिए ‘नौका एम्बुलेंस’ पेश करने से लेकर सदियों पुरानी ‘मिथिला कला’ का उपयोग करते हुए मास्क बनाकर कलाकारों के लिए रोजगार पैदा करना, उन्होंने बड़ी संख्या में आम लोगों को सहायता प्रदान की है।
- मिथिला कला से सुसज्जित मास्क (फोटो क्रेडिट: सोशल मीडिया)
पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के वजह से लोगों को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस संक्रामक महामारी के वायरस के कारण दुनियाभर में लॉकडाउन लगने से करोड़ों लोग बेरोजगार हुए हैं और वापस अपनी जिंदगी ढर्रे पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। कोविड-19 के कारण भारत में भी मजदूरों के पलायन से लेकर रोजगार के अभावों ने आम जन-जीवन बहुत दुष्कर दिया है। कोरोना ने लोगों की जिंदगी और नौकरी दोनों पर लगाम दी। ऐसा अनुमान है कि इस महामारी के कारण 41 लाख लोगों को नुकसान हुआ है। हालांकि, इस मुश्किल समय के दौरान भी कुछ सिविल सेवक ऐसे हैं जो अपनी क्षमताओं का बेहतर उपयोग कर खुद को साबित कर रहे हैं और आम लोगों को हर संभव सहायता पहुंचा रहे हैं। इन बढ़ती चुनौतियों के दौर में भी ये नौकषाह अपने नवीन दृष्टिकोण से जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं और उन्हें राह दिखा रहे हैं।
2011 बैच के आईएएस अधिकारी त्यागराजन एसएम ऐसे ही नौकरशाहों में से एक हैं। यह उल्लेखनीय नाम न केवल मातृ स्वास्थ्य निगरानी ऐप की शुरुआत करने के लिए सुर्खियों में रहा है, बल्कि कोविड-19 के मुश्किल वक्त में कुशल और काबिल ‘मधुबनी’ कलाकारों को आजीविका प्रदान करने के लिए भी उन्हें खूब पहचान मिली। उन्होंने बिहार के दरभंगा जिले के मशहूर मधुबनी कलाकारों को ‘मिथिला मास्क’ बनाने के लिए प्रेरित किया, जिसकी अप्रत्याशित रूप से बाजार में खूब मांग रही है।
मिथिला मास्क की पेशकश
भारत में राष्ट्रव्यापी तालाबंदी के दौरान, जब प्रवासी और छात्र अपने घरों को वापस लौट रहे थे, त्यागराजन एसएम ने मिथिला कला से सजे मास्क से उनका स्वागत करने का फैसला किया। यह सिर्फ छात्रों की कोविड-19 से सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम भर नहीं था, बल्कि ये मास्क बनाने वाले उन ‘मधुबनी’ कलाकारों के लिए रोजगार पैदा करने और उन्हें प्रोत्साहित कर बढ़ावा देने के उद्देश्य से भी किया गया कार्य था।
डीएम त्यागराजन ने दुनियाभर में प्रसिद्ध ‘मधुबनी आर्ट’ में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ‘शताक्षी क्रिएशंस प्रोपराइटर आशा झा’ से लगभग 1000 ऐसे मास्क का ऑर्डर दिया। पांच दिनों की अवधि के अंदर, डीएम को डिलीवरी मिल गई। राजस्थान के कोटा में पढ़ रहे छात्र और केरल के त्रिशूर से आए प्रवासी श्रमिकों का त्यागराजन एसएम और अन्य पुलिस अधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया।
ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन के साथ कुशल कलाकारों को जोड़ना
इसके अलावा, त्यागराजन एसएम ने कुशल कलाकारों, जिसमें अधिकतर महिलाएं शामिल हैं, को खोजने में मदद कर रहे हैं। साथ ही उन्हें एक ऐसा मंच प्रदान कर रहे हैं, जहां वे अपनी आजीविका कमा सकें।
इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ बातचीत करते हुए, वो कहते हैं, “हम सबसे पहले आशा झा जैसे लोगों से जुड़े, जिन्हें मिथिला पेंटिंग में उनके अनुकरणीय कार्य के लिए सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने हमें उन लोगों के साथ जोड़ा जो प्रतिभाशाली तो थे, लेकिन उनके पास आजीविका कमाने के लिए एक मंच नहीं था। इस तरह से हमने ऐसे कलाकारों का पता लगाना शुरू किया और दरभंगा के बाहर उनके काम को बढ़ावा देने के लिए काम करना शुरू कर दिया।”
वो कहते हैं, “जब हमे उत्तम मिथिला मास्क बनाने वाले लोगों की सूची मिल गई, तो हमने इन कुशल कलाकारों के समूह का गठन जिला इनोवेशन फंड में किया, जहां उन्होंने मास्क तैयार करना शुरू किया। ये मास्क शुरूआत में स्थानीय स्तर पर ही बेचे जाते थे, लेकिन फिर उत्पाद की मांग को बढ़ाने के लिए हमने उन्हें ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन के साथ जोड़ा। हमने अमेजन के लोगों से बातचीत की और उन्हें अपने मंच पर इन कुशल कलाकारों के काम को पेश करने के लिए कहा। इस पर अमेन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे भी हमारे साथ जुड़कर और इस प्रक्रिया में योगदान देकर बहुत खुश हैं।”
जल्द ही मास्क की मांग बढ़ने लगी और देश भर के लोग उत्पाद की सराहना और खरीददारी करने लगे। सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि मिथिला के इन मास्क का क्रेज देश के बाहर भी फैला हुआ है। कई स्थानीय संस्थानों और स्वयं सहायता समूहों ने भी इस प्रक्रिया में योगदान दिया है।
भारत में सिंगल लेयर्ड (एक परत वाले) मास्क 120 से 150 रुपये और थ्री लेयर्ड (तीन परत वाले) मास्क 250 रुपये में बेचे जा रहे थे, लेकिन अमेजन पर इन्हें बहुत ही बेहतर कीमत 699 रुपये मिली। त्यागराजन कहते हैं, “कारीगरों को उत्पाद की बिक्री के अनुसार भुगतान किया गया था और कुल मिलाकर यह एक लाभदायक योजना थी, क्योंकि मास्क की मांग बहुत अधिक थी।”
बिहार में बाढ़ के दौरान ‘नौका एम्बुलेंस’ लाना
त्यागराजन एसएम इस मुश्किल वक्त के दौरान एक असली कोरोना योद्धा बन गए हैं, क्योंकि उन्होंने ऐसी पहल की है जो दूसरों के लिए बहुत उपयोगी और प्रशंसनीय है। इस तरह की उनकी कई मुहिम के बीच, बिहार कोरोना के साथ-साथ बाढ़ की दोहरी मार झेल रहा था, उन्होंने ‘नौका एम्बुलेंस’ पहल की शुरुआत की।
त्यागराजन ने इंडियन मास्टरमाइंड्स से कहा, “नौका एम्बुलेंस को तब लॉन्च किया गया था, जब बाढ़ बिहार के कुछ हिस्सों में तेजी से फैल रही थी। यह मुख्य रूप से कोविड रोगियों को पास के अस्पतालों में ले जाने, कोविड नमूनों को लेने और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ित लोगों के इलाज के लिए शुरू की गई थी।”
उन्होंने आगे कहा, “डॉक्टरों और कर्मचारियों की एक टीम रोगियों का दौरा कर, उनका इलाज करती और उनसे नमूने एकत्र करती थी। गंभीर परिस्थितियों में, वे रोगी को पास के अस्पतालों में ले जाते थे। हमें विभिन्न लोगों से बहुत सारे फोन कॉल आते थे और विभिन्न स्रोतों से जरूरतमंदों के बारे में जानकारी मिलती रहती थी। इस दौरान हम ऐसे लोगों से जुड़ते थे, जिन्हें मदद की जरूरत होती है।”
यह पहल डीएम के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी एक सफलता थी, क्योंकि इसने बहुत सारे लोगों की जान बचाई। इसे बिहार के अन्य हिस्सों में भी दोहराया गया और यह ऐसे मुश्किल वक्त में आम जनता को सहायता प्रदान करने के लिए एक प्रमुख स्रोत बन गई।
अपनी केवल नौ वर्षों की प्रशासनिक सेवा में, त्यागराज एसएम ने अपनी अभिनव पहलों और जनता की सेवा करने की इच्छाशक्ति से अन्य सिविल सेवकों के लिए एक मिसाल कायम की है।
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