टेक सेवी डीएम ने सुशासन के लिए लॉन्च किया मोबाइल ऐप
- Muskan Khandelwal
- Published on 4 Jul 2023, 9:36 am IST
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हाइलाइट्स
- बिहार में जहानाबाद के डीएम आईएएस रिची पांडे ने कुशल प्रशासन और निगरानी के लिए उठाया कदम
- ऐप का उद्देश्य शिकायतों को समय पर दूर करना और डोरस्टेप गवर्नेंस को बढ़ावा देना है
- इससे ग्राम पंचायतों और संबंधित कार्यालयों की शिकायतों से लेकर प्रोजेक्ट की मैपिंग तक हो जाती है
अच्छे प्रशासन के लिए हिंदी में शब्द है- सुशासन। कई कारणों से इसका उपयोग सबसे अधिक बिहार में होता है। इसके लिए जहानाबाद के डीएम रिची पांडेय ने सोशल मीडिया को कारगर टूल के तौर पर उपयोग शुरू किया है। इस मीडियम का उपयोग वह न केवल जनता तक पहुंचने के लिए कर रहे हैं, बल्कि उनकी शिकायतों का समाधान भी कर रहे हैं। वह अपने जिले के लोगों को प्रशासन के विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अपनी शिकायतें पोस्ट करने और टैग करने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं।ताकि इन पर ध्यान दिया जाए और संबंधित अधिकारी के कानों तक बात पहुंचे। इस खातिर उन्होंने एक मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया है। इसका उद्देश्य शिकायतों को समय पर दूर करना और डोरस्टेप गवर्नेंस को बढ़ावा देना है। इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए श्री पांडे ने इस विशेष ऐप के बारे में काफी कुछ बताया। प्रशासन में फील्ड अफसरों के महत्व को पहचानते हुए श्री पांडे ने डोरस्टेप गवर्नेंस की संस्कृति को शामिल करने और शिकायतों के समाधान में तेजी लाने पर जोर दिया। इसके अलावा, जिला स्तर पर यह अहसास बढ़ रहा था कि क्षेत्र और ऑफिशियल इन्सपेक्शन में मजबूत डेटा से लाभ उठाया जा सकता है। ऐसे में Google My Maps टूल का उपयोग करते हुए एक मोबाइल एप्लिकेशन तैयार किया गया।
ऐसा है ऐप
नया लॉन्च किया गया एप्लिकेशन संबंधित ग्राम पंचायतों के साथ-साथ उनसे संबंधित सरकारी ऑफिस के कामों, शिकायतों, सरकारी मसलों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की मैपिंग की अनुमति देता है। अधिकारी ने बताया कि जानकारी को करीने से जुटाने के लिए एप्लिकेशन में सूचना के स्रोत या कार्रवाई के लिए ट्रिगर के आधार पर विस्तृत फिल्टर शामिल हैं।ये फिल्टर मुख्यमंत्री के जनता दरबार/ई-कंप्लायंस डैशबोर्ड, डिविजनल कमिश्नर ऑफिस/विभाग, हाई कोर्ट/एनएचआरसी/एसएचआरसी/अन्य वैधानिक निकाय, जिला जनता दरबार/लोक शिकायत, मीडिया/सोशल मीडिया/व्हाट्सएप/फोन, साप्ताहिक पंचायत इंस्पेक्शन/महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट और सीपीजीआरएएमएस सहित कई चैनलों को शामिल करते हैं।
कुशल निगरानी
एप्लिकेशन के एक्सटेंसिव फिल्टर और दिन-रात चलने वाले ‘डिस्ट्रिक्ट मॉनिटरिंग डैशबोर्ड’ व्हाट्सएप ग्रुप यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी चैनल (डाक/व्हाट्सएप/फोन/ट्विटर/अखबार आदि) के माध्यम से मिली शिकायतों को वास्तविक समय में रिलेवेंट टैग पर मैप किया जाए। पंचायत/कार्यालय निरीक्षण और समीक्षा बैठकों के दौरान रिफरेंस के लिए इन फोटो और स्क्रीनशॉट का उपयोग किया जाता है।श्री पांडे ने इंडियन मास्टरमाइंड्स को बताया, “चुने गए फिल्टर के भीतर किसी विशिष्ट पंचायत पर क्लिक करने पर वहां के सभी पेंडिंग मामले तारीखों के हिसाब से दिख जाते हैं। इससे संबंधित अधिकारियों को अनसुलझे मुद्दों का पता चल जाता है।” ये मसले फिर उस संस्था के रिकार्ड में शामिल हो जाते हैं, जिससे संबंधित अधिकारी का ट्रांसफर होने पर भी जानकारी उपलब्ध रहती है। इससे ट्रैकिंग की निरंतरता की गारंटी मिलती है।
मसले का कारगर हल
इसके अलावा, एप्लिकेशन क्षेत्र की एक ही यात्रा के दौरान कई पेंडिंग मसलों को हल करने में मदद करता है, जिससे महत्वपूर्ण समय की बचत होती है। यह सुनिश्चित करता है कि न्याय और शिकायत निवारण तक पहुंच पढ़े-लिखे लोगों तक ही सीमित नहीं रहे, जो एप्लिकेशन, ईमेल से औपचारिक रूप से अपनी चिंताओं को बता सकते हैं, या कानूनी रास्ते अपना सकते हैं। अधिकारी ने कहा, “यह उन लोगों को भी सशक्त बनाता है, जो साधारण व्हाट्सएप मैसेज भेजते हैं या फोन कॉल करते हैं और उन्हें आश्वासन देते हैं कि उनकी आवाज जिला प्रशासन द्वारा सुनी जाएगी।”
सही रिपोर्टिंग और एक्शन
इसके अलावा यह ब्लॉक/सर्कल/थाना लेवल पर किसी भी हेरफेर पर लगाम लगाते हुए तय करता है कि कौन-सा मसला पहले और कौन बाद में लिया जाना है। हर हफ्ते होने वाली पंचायतों की जांच की सही रिपोर्टिंग और उस पर काम करते हुए क्षेत्र के पदाधिकारियों से मिले रिपोर्ट को क्रॉस-चेक भी चेक करता है। निरीक्षण करने वाले अधिकारियों द्वारा पंचायतों में भ्रमण के दौरान किए गए व्यक्तिगत सम्पर्क से जिला प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ता है। इसका उद्देश्य समाज में अलग-थलग रहने वाले और कमजोर वर्गों को भी मुख्यधारा में लाना है, जिनके पास कलेक्टरेट/ब्लॉक कार्यालयों तक जाने या अन्य कानूनी रास्तों का उपयोग करने के साधन नहीं हैं।अधिकारी ने अंत में कहा, “हम नागरिकों को प्रशासन के ट्विटर हैंडल, फेसबुक पेज, डीएम का सरकारी फोन/व्हाट्सएप और साप्ताहिक जनता दरबार सहित विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से शिकायत दर्ज करने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं।”
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