‘फेक न्यूज’ और ‘बेखबरी’ के खिलाफ इस अधिकारी की मुहिम ने लोगों के जीवन का नजरिया ही बदल दिया!
- Pallavi Priya
- Published on 1 Nov 2021, 2:02 pm IST
- 1 minute read
हाइलाइट्स
- ‘फेक न्यूज’ और ‘अज्ञानता’, ये दोनों ही निस्संदेह समाज के लिए खतरनाक बुराइयां हैं। और आईएएस मीर मोहम्मद अली ने अपने कैरियर में इसे काफी पहले ही पहचान लिया था।
- कोई आश्चर्य नहीं कि फर्जी खबरों और ‘जानकारी के अभाव’ के खिलाफ उठाए गए उनके सख्त कदम न केवल केरल के कन्नूर, बल्कि पूरे देश में लोगों की सोच में अहम बदलाव ला रहे हैं।
- आईएएस अधिकारी मीर मोहम्मद अली ‘टेडएक्स टॉक’ पर भी सुशासन को लेकर अपने विचार साझा कर चुके हैं
फर्जी खबरों और अज्ञानता की दोहरी मार कई लोगों के लिए बहुत घातक परिणाम बन सकती है। अब हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जहां हमारे अधिकांश महत्वपूर्ण निर्णय कुछ हद तक इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी पर निर्भर रहते हैं। चाहे वह यात्रा करने, कहीं ठहरने, अध्ययन करने, अपने मनपसंद भोजन को लेकर और यहां तक कि जिस व्यक्ति से हम शादी करना चाहते हैं उसको चुनने के लिए तक, हम सभी इंटरनेट पर एक बुनियादी खोज करते हैं। इस पूरे परिदृश्य में, कोई भी कल्पना कर सकता है कि कैसे एक गलत सूचना या फर्जी समाचार हमारे जीवन को किस हद तक प्रभावित कर सकता है।
कुछ साल पहले, केरल का कन्नूर जिला ‘फर्जी खबरों’ का खामियाजा भुगत रहा था। टीकाकरण के बारे में गलत सूचना व्यापक रूप से फैल गई और लोगों में ऐसा अविश्वास पैदा हुआ कि वे प्रशासन के टीकाकरण अभियान का बहिष्कार तक करने लगे। इसके बाद आईएएस अधिकारी मीर मोहम्मद अली आए। 2011 बैच के अधिकारी अली ने कुन्नूर में तैनाती के फौरन बाद पहला काम यह किया कि फर्जी खबरों और अनभिज्ञता पर कड़ाई से लगाम कसी।
फेक न्यूज से लड़ना
इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए, अली कहते हैं, “मैं कन्नूर में नियुक्त ही हुआ था कि तभी मुझे एक कहानी के बारे में पता चला कि वहां जाहिर तौर पर कुछ ऐसे लोग हैं जो छात्रों का अपहरण करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, पुलिस इससे संबंधित किसी भी खबर से पूरी तरह से अनभिज्ञ थी। हमने इसकी जांच की और पता चला कि यह जानकारी पूरी तरह से निराधार है और इसके कोई सबूत नहीं हैं। थोड़े से ही प्रयास से हम लोगों के संदेह को दूर करने में सक्षम साबित हुए। बाद में, टीकाकरण अभियान के दौरान भी मुझे पता चला कि बहुत से लोग इससे बच रहे थे, क्योंकि उन्होंने कहीं पढ़ा था कि टीकाकरण का कोई प्रभाव नहीं होता है और यह काम नहीं करता, उल्टे यह शरीर के लिए हानिकारक है।”
अली ने लोगों को टीकाकरण के वास्तविक लाभों के बारे में शिक्षित करने का बीड़ा उठाया। कई बार, वह उनके साथ बैठ जाते और उन्हें उस गलत जानकारी के बारे में सही से बताते, जो उन तक पहुंचाई जा रही थी। इस तरह लोगों ने भी धीरे-धीरे समझना शुरू कर दिया, लेकिन अली ने महसूस किया कि उन्हें स्थानीय आबादी में विश्वास जगाने और बड़े स्तर पर जागरूकता लाने के लिए अन्य कदम भी उठाने होंगे। और यह लोगों को फर्जी खबरों के खतरों का एहसास कराकर ही किया जा सकता था। वह फर्जी खबरों के परिणामों के बारे में बच्चों को शिक्षित करने की योजना के साथ सामने आए। आने वाले महीनों में, 200 स्कूलों में एक लाख छात्रों से संपर्क किया गया और फर्जी खबरों के परिणामों और उनके बुरे प्रभाव के बारे में बताया गया।
कन्नूर को प्लास्टिक मुक्त बनाना
कन्नूर केरल का तटीय जिला है, जिसकी सबसे बड़ी विशेषता सुंदर मैंग्रोव जंगल हैं। जिले की यात्रा के दौरान, अली को कन्नौर के पानी में आ रहे प्लास्टिक की मात्रा के बारे में पता चला। वह लोगों को एक ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से इससे निजात दिलाना चाहते थे, जो एक स्थायी उपाय और जनता के अधिक से अधिक समर्थन के साथ हो। उन्होंने इसके लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित करके शुरुआत की, जैसे जिले में ‘प्लास्टिक मुक्त शादी’ सुनिश्चित करना आदि। उन्होंने न केवल वेडिंग हॉल (शादी की जगह) का प्रबंधन करने वाले लोगों बल्कि वर-वधुओं से भी बात की। उन्होंने उनसे यह भी वादा किया कि अगर शादी प्लास्टिक मुक्त होगी, तो वह खुद इस समारोह में शामिल होंगे।
जिस तरह प्रभावी तरीके से फर्जी खबरों से जूझने के मामले में स्थितियां सुधरी, उसी तरह इस दृष्टिकोण ने कन्नूर को प्लास्टिक मुक्त जिला बनाने में भी काम किया। अपनी पहल की सफलता से खुश होकर, अली ने ‘कलेक्टर्स एट स्कूल’ (स्कूल में जिलाधिकारी) अभियान की भी शुरूआत की, इसके तहत छात्रों को अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में पढ़ाया जाता था। सप्ताह में एक बार छात्र ऐसे कचरे के साथ आते हैं, जिसे पुनर्नवीनीकरण (रिसाइकल) किया जा सकता हो और फिर इसे अलग कर सकते हों, इसके बाद इसे स्कूल परिसर में स्थापित विभिन्न डिब्बे में डाला जाता है। फिर कूड़ा उठाने वाला आता और इसे अपने साथ ले जाता।
आदिवासी छात्रों को स्कूल आने के लिए लुभाना
कन्नूर में अरालम फार्म नाम की एक जगह है। यहां की ज्यादातर आबादी आदिवासियों की है। कन्नूर में अली की पोस्टिंग से पहले, बहुत कम आदिवासी बच्चे ही अरालम फार्म हाई स्कूल में जाते थे। स्कूल में अधिक से अधिक आदिवासियों को लुभाने के लिए, अली एक नवीन योजना लेकर आए। उन्होंने घोषणा की कि 85% से 90% उपस्थिति वाले छात्रों को सप्ताहांत पर मॉल, मनोरंजन पार्क और अन्य मजेदार स्थानों पर जाने का मौका मिलेगा।
अली कहते हैं, “इस योजना ने एक आकर्षण की तरह काम किया। यह बिलकुल ऐसा था कि यदि छात्र छह दिन नियमित रूप से स्कूल आते हैं, तो रविवार को उनके लिए बेहद मजेदार दिन हो सकता है। यह विचार आदिवासी छात्रों के बीच लोकप्रिय हो गया। उन्होंने रुचि लेना शुरू कर दिया और उनकी उपस्थिति का ग्राफ तेजी से बढ़ा। एक बार जब हम सीनियर छात्रों को कोच्चि ले गए और फ्लाइट से लौटे। आपको इस पर विश्वास नहीं होगा, लेकिन अगले वर्ष स्कूल में प्रवेश चाहने वालों की संख्या में 100 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मैं अपने प्रयासों से संतुष्ट था और इन परिणामों से मुझे बेहद खुशी हुई।”
एक ऐप जो सरकारी अधिकारियों पर नजर रखता है
कन्नूर में अपने कार्यकाल की शुरुआत में, अली ने गूगल मैप पर जिले के हर सार्वजनिक स्थान के लोकेशन (अवस्थिति) को जोड़ने के लिए ‘मैप माय होम’ पहल शुरू की। इसके बाद, उन्होंने ‘वी आर कन्नौर’ नाम से एक ऐप भी लॉन्च किया, जहां लोग सरकारी अधिकारियों को रेट कर सकते थे।
इस ऐप के महत्व की ओर इशारा करते हुए, उन्होंने कहा, “आप समय-समय पर यहां लोगों को यह कहते हुए सुनेंगे कि हमने कई बार एक कार्यालय में फोन किया, लेकिन किसी ने नहीं उठाया। कुछ अधिकारियों ने उनकी मदद नहीं की या वे मदद करना ही नहीं चाहते थे। यही कारण है कि हमने इस ऐप के बारे में सोचा, जहां कोई भी अधिकारियों के बारे में अपनी राय रख सकता है और उन्हें रेट कर सकता है, साथ ही सभी लोग यह रेटिंग देख सकते हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि कई अधिकारियों ने अपनी रेटिंग को बेहतर बनाने के लिए काम करना और बेहतर व्यवहार करना शुरू कर दिया। जब किसी की रेटिंग खराब होती, तो मैं व्यक्तिगत रूप से उन्हें चेतावनी देता। मैं असल में इसे एक स्वस्थ गतिविधि बनाने के लिए आम लोगों, सभी अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों का आभारी हूं।”
अली वर्तमान में केरल के स्वच्छ भारत मिशन के कार्यकारी निदेशक हैं। लेकिन वह जहां भी जाते हैं, लोग उनसे अभिनव और आम लोगों के फायदे वाली पहल की उम्मीद कर सकते हैं।
END OF THE ARTICLE