युवा आईपीएस अधिकारी ने एसपी के रूप में पहली पोस्टिंग में ही पुलिस लाइन की कर दी कायापलट
- Jonali Buragohain
- Published on 13 Aug 2023, 8:12 am IST
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हाइलाइट्स
- यूपी कैडर के 2016 बैच के आईपीएस अधिकारी अमित कुमार आनंद ने सिद्धार्थनगर पुलिस लाइन में उठाए हैं कई कल्याणकारी कदम
- वह केवल 13 महीने के लिए सिद्धार्थनगर में थे, लेकिन उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वह अपने पीछे एक खुशहाल पुलिस बल छोड़ जाएं
- वह अब कन्नौज के एसपी हैं, नए जिले में भी बदलाव लाने के लिए हैं सक्रिय
यदि कोई नौकरशाह सचमुच सिस्टम बदलना चाहे, तो वह इसके लिए छोटी शुरुआत भी कर सकता है। इसलिए कि ऐसे छोटे-छोटे कदम ही बदलाव लाने में बहुत मददगार साबित होते हैं। छोटा-सा पत्थर भी ठहरे पानी में हलचल ला देता है। छोटा प्रयास भी सड़ती हुई चीजों को नया जीवन दे सकता है।कहते हैं कि अगर आप दुनिया बदलना चाहते हैं, तो शुरुआत अपने घर से करें। एक युवा आईपीएस अधिकारी ने बिल्कुल यही किया। उन्होंने अपने विभाग में माहौल बदलने से शुरुआत की। यह महसूस करते हुए कि केवल एक संतुष्ट पुलिस बल ही जनता की संतुष्टि के लिए काम कर सकता है। उन्होंने सबसे पहले उनके आसपास एक सुखद और आरामदायक वातावरण बनाने पर ध्यान दिया। एक साल से भी कम समय में वह अपने जिले में पुलिस विभाग को बड़े कॉरपोरेट्स की तरह काम करने के लिए एक खुशहाल जगह बनाने में कामयाब रहे।यह हैं- यूपी कैडर के 2016 बैच के आईपीएस अधिकारी अमित कुमार आनंद। उन्होंने उत्तर प्रदेश में सिद्धार्थनगर जिले की पुलिस लाइन में कई कल्याणकारी उपाय किए हैं। उन्हें हाल ही में उस जिले से हटाकर कन्नौज में एसपी के रूप में तैनात किया गया है, लेकिन उन्होंने सिद्धार्थनगर में अपनी छाप छोड़ी है। इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए श्री आनंद ने सिद्धार्थनगर के एसपी के रूप में पुलिस कर्मियों के लिए किए गए बदलावों के बारे में विस्तार से बताया।
पुलिस लाइन में कल्याणकारी उपाय
सिद्धार्थनगर में श्री आनंद केवल 13 महीने के लिए रहे। लेकिन जब वे कन्नौज में अपनी नई पोस्टिंग पर गए, तो उन्होंने सुनिश्चित किया कि वे अपने पीछे एक खुशहाल पुलिस बल छोड़ जाएं। इसके प्रमाण हैं वहां की तस्वीरें। कहते हैं कि शब्दों की तुलना में तस्वीरें ज्यादा बोलती हैं, इसलिए हम तस्वीरों को शब्दों से ज्यादा बोलने देंगे।
श्री आनंद ने कहा, “एक पुलिस प्रमुख के रूप में मेरी जिम्मेदारियों में से एक फोर्स के कल्याण को देखना है। यदि उनकी अच्छी तरह से देखभाल की जाए, तो वे नागरिकों को बेहतर सेवाएं देंगे।”
इसीलिए उन्होंने सिद्धार्थनगर की पुलिस लाइन में कई कल्याणकारी उपायों के साथ एसपी के रूप में अपनी पहली पोस्टिंग शुरू की। उन्होंने एक साथ चार प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया- लाइब्रेरी, ट्रेनिंग सेंटर, पुलिस कैंटीन और जिम। वह कहते हैं, “जिम को छोड़कर बाकी सभी काम पूरे हो चुके हैं और वे चल रहे हैं। जिम का काम भी पूरा हो चुका है। लेकिन, इससे पहले कि मैं इसका उद्घाटन कर पाता, मेरा ट्रांसफर कन्नौज कर दिया गया।”
ट्रेनिंग सेंटर में पुलिस कर्मियों को नौकरी के दौरान ट्रेनिंग दी जाती है। यहां बदलते रहते कायदे-कानूनों से लेकर नए हालात तक के लिए पुलिस कर्मियों को ट्रेंड किया जाता है। इसमें महिलाओं के खिलाफ अपराध, साइबर अपराध, पॉक्सो (POCSO) कानून आदि पर विशेष ध्यान दिया जाता है। उन्होंने कहा, “बेहतर ट्रेनिंग मिलने से ही बेहतर जांच होगी, जिससे आखिरकार शिकायतकर्ताओं और आम नागरिकों को लाभ होगा।”
उन्होंने पढ़ने के लिए सही माहौल के साथ दिन-रात खुली रहने वाली लाइब्रेरी भी शुरू कराई। यहां का माहौल पढ़ने वाले कैफे जैसा अनुभव देता है। श्री आनंद ने कहा, “लाइब्रेरी पुलिस कर्मियों को बेहतर ज्ञान से लैस करने में मदद करेगी। यदि वे हमारी लाइब्रेरी में पढ़ कर बेहतर पद के लिए चुने जाते हैं, तो इससे आखिरकार मानव संसाधन के रूप में देश को लाभ होगा, क्योंकि अब वे अपनी क्षमताओं के अनुसार सेवाएं देने के लिए बेहतर स्थान पर होंगे।
लाइब्रेरी में सिद्धार्थनगर के छात्र भी जा सकते हैं। कई छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस सुविधा का उपयोग करते हैं।
उन्होंने पुलिस लाइन में कांस्टेबल से इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस कर्मियों के लिए एक गेस्ट हाउस की भी मरम्मत कराई है। उसे नया रूप दिया और उसे सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस किया।
पुलिस कर्मियों के परिवार का भी ख्याल
इसी तरह, पुलिस कर्मियों के परिवारों की मदद के लिए मौजूदा पुलिस कैंटीन को सुपर मार्केट जैसा कर दिया गया है। श्री आनंद ने कहा, “यह कैंटीन दरअसल एक पुरानी इमारत में चल रही थी। हमने इसका कायापलट कराया। इससे पुलिस कर्मियों को अब अधिक मात्रा में अधिक वस्तुएं मिल रही हैं। दरअसल विचार यह था कि इसे एक आधुनिक सुपर स्टोर में बदल दिया जाए, जैसा कि बड़े शहरों में दिखता है।”
उन्होंने पुलिस लाइन में बहुत ही खराब हालत पहुंचे फ्लैटों में बड़े पैमाने पर मरम्मत कराई। उन्हें मरम्मत की सख्त जरूरत थी, ताकि परिवार उचित आवास में रह सकें। साथ ही पुलिस कर्मी काम के बाद घर लौटने पर अच्छा महसूस कर सकें और मेहमानों को भी बुला सकें।इस सब में वह बच्चों को नहीं भूले। उनके खेलने के लिए एक पार्क और एक क्रिकेट मैदान बनवाया। वह कहते हैं, “मुझे बच्चे पसंद हैं। इसलिए मैंने जो पहला काम किया, वह एक चिल्ड्रन पार्क का नवीनीकरण था। यह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था। मैदान में घास उगी हुई थी। इसका उपयोग कोई नहीं कर रहा था। अब यह शाम को हंसते-खेलते बच्चों से भर जाता है। इसके बाद मैंने एक क्रिकेट ग्राउंड बनाया। मैं भी क्रिकेट खेलता हूं, इसलिए युवाओं को वहां खेलते देखकर मुझे खुशी हुई।”
अन्य महत्वपूर्ण कदम
अधिकारी ने जिला स्तर पर यूपी में पहला ई-ऑफिस भी बनाया। यह ई-ऑफिस दरअसल केंद्रीय सचिवालय मैनुअल पर आधारित है। कागज के कम उपयोग को बढ़ावा देने के अलावा, इससे ट्रांसपेरेंसी और जवाबदेही भी आई। उन्होंने ‘ऑपरेशन क्लीन’ के तहत पुलिस स्टेशनों में पड़े मुकदमों से जुड़े वाहनों को लेकर भी फैसला किया। ऐसे 870 वाहन थे। इनमें से 715 केस प्रॉपर्टी और 55 लावारिस वाहनों की नीलामी की गई। 100 वाहनों को नोटिस के बाद मालिकों को वापस कर दिया गया। इस तरह ना केवल थाने की बेशकीमती जमीन मुक्त कराई गई, बल्कि 1.09 करोड़ रेवेन्यू भी जुटाया गया।
प्रोजेक्ट के लिए पैसे
लेकिन, इन सबके के लिए पैसा कहां से आया? श्री आनंद ने कहा, “सरकारी फंड। हर साल हमें इमारतों की मरम्मत और रखरखाव, फर्नीचर, स्टेशनरी आदि खरीदने और ट्रेनिंग के लिए पैसे मिलते हैं। मैंने विशेष कार्यों को पूरा करने के लिए इन फंडों से मदद ली।ये सभी काम एक साल से भी कम समय में पूरे हो गए। इससे यह साबित हो गया कि जब कोई अधिकारी काम पूरा करना चाहता है, तो समय या पैसा कोई बाधा नहीं है। जरूरत है तो दुनिया को लोगों के रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने की इच्छा और इच्छाशक्ति की। यह सबसे बड़ी विरासत है, जिसे कोई भी अपने पीछे छोड़ सकता है।
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