‘बर्ड गाइड’ – पक्षी संरक्षण की दिशा में भागलपुर वन विभाग का नायाब प्रयास
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 29 Oct 2021, 10:32 am IST
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हाइलाइट्स
- बिहार के भागलपुर जिले में ‘बर्ड गाइड’ का दिया जा रहा है प्रशिक्षण
- ‘बर्ड गाइड’ देंगे पक्षियों के बारे में जानकारी और करेंगे पक्षी संरक्षण की दिशा में ठोस पहल
- 2018 बैच के आईएफएस अधिकारी श्री भरत चिंतपल्ली ने कहा, रोजगार के साथ-साथ इको सिस्टम को भी फायदा
- बर्ड गाइड - 180 से अधिक आवेदन, 51 उम्मीदवारों का चयन, भागलपुर वन प्रभाग ने कराया 1 माह का प्रशिक्षण एवं विकास कार्यक्रम।
पक्षियों के बारे में जागरूकता फैलाने और उनके संरक्षण के लिए वन विभाग कई प्रयास करते रहते हैं। ऐसे ही एक प्रयास में बिहार के भागलपुर जिले में वन विभाग ने एक सराहनीय पहल की है, जो शायद इससे पहले जिले में कभी नहीं की गई थी। भागलपुर में पहली बार एक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया, जहां युवाओं को पक्षियों के बारे में जानकारी देने वाले ‘बर्ड गाइड’ के रूप में तैयार किया जा रहा है। प्रशिक्षण लेने के बाद ये गाइड पक्षियों के बारे में लोगों का ज्ञानवर्धन करेंगे और पक्षियों के संरक्षण के लिए आगे आएंगे।
हाल ही में भागलपुर के सुंदरवन में स्थित प्रकृति व्याख्याता केंद्र में आरसीसीएफ और वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी अभय कुमार द्वारा बिहार के पहले ‘पक्षी गाइड विकास कार्यक्रम’ की शुरुआत की गई थी। इसके लिए 180 से अधिक आवेदन आए थे, उसमें से 51 उम्मीदवारों का चयन किया गया। उसके बाद इन उम्मीदवारों को भागलपुर वन प्रभाग द्वारा आयोजित 1 माह का प्रशिक्षण एवं विकास कार्यक्रम कराया गया। इससे एक बेहतर बदलाव आने की उम्मीद है। भारत में पक्षियों की कुल आबादी के पांचवे हिस्से को पिछले 25 वर्षों में दीर्घकालिक गिरावट का सामना करना पड़ा है। प्रवासी तटीय और कुछ विशेष आवासों में रहने वाले पक्षी पिछले दशकों में सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
‘बर्ड गाइड’
बर्ड सैंक्चुअरी (पक्षी अभयारण्य) में अक्सर ‘बर्ड वाचर’ (पक्षी प्रहरी) मिल जाते हैं। ‘बर्ड वाचर’ यानी जो व्यक्तिगत स्तर पर पक्षियों के संरक्षण में लगे रहते हैं और उनके बारे में जानकारी जमा करते रहते हैं। लेकिन पक्षियों के बारे में मार्गदर्शन देने वाले ‘बर्ड गाइड’ नहीं मिलते। उनकी कमी अक्सर लोगों को खलती है। ऐसे में पक्षी प्रेमियों को पक्षियों के बारे में खुद ही जानकारी तलाश करनी पड़ती है या फिर उन्हें पक्षी वैज्ञानियों के पास जाना पड़ता है।
2018 बैच के आईएफएस अधिकारी और भागलपुर में प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) भरत चिंतपल्ली ने इंडियन मास्टरमाइण्ड्स के साथ एक खास बातचीत में कहा, “हमारे यहां बहुत सी विविध तरीके के पक्षी पक्षी अभयारण्य हैं। कुछ में ‘बर्ड गाइड’ हैं और अधिकतर में नहीं हैं। लेकिन जहां पर ‘बर्ड गाइड’ हैं, वहां पूरे इको सिस्टम को बहुत फायदा मिलता है। और जहां नहीं हैं वहां ‘बर्ड गाइड’ के बिना बर्ड वाचर को बहुत सी दिक्कतें आती हैं, क्योंकि बर्ड्स वाचर नई-नई जगहों पर पक्षी देखते हैं और वहां उन्हें एक मार्गदर्शक की जरूरत महसूस होती है। अगर ‘बर्ड्स गाइड’ नहीं मिलते हैं, तो उन जगहों पर जाना कम कर देते हैं। इससे हमारे पूरे इको सिस्टम को नुकसान पहुंचता है और पक्षी संरक्षण में भी दिक्कतें आती हैं। इसलिए पक्षियों को बचाने और उन्हें ढूढ़ने में इन दोनों की बहुत जरूरत होती है।”
प्रशिक्षण विषय
ये प्रशिक्षण कार्यक्रम सुंदरवन के बाद विक्रमशिला डॉल्फिन अभयारण्य, जगतपुर झील, जयप्रकाश उद्यान सहित भागलपुर के लगभग सभी पक्षी हॉटस्पॉट वाली जगहों पर आयोजित किया जाएगा। इन सभी जगहों पर काफी संख्या में स्थानीय के अलावा प्रवासी पक्षी दिखते हैं, लगभग 250 से अधिक प्रकार के पक्षी यहां अपना बसेरा बनाते हैं। खास बात यह है कि प्रशिक्षण के दौरान विशेषज्ञों द्वारा पक्षियों के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी। दूसरे राज्यों के पक्षी विशेसज्ञ भी जूम ऐप पर जुड़ेंगे।
आईएफएस अधिकारी भरत चिंतपल्ली कहते हैं, “यह मूल रूप से एक विकास कार्यक्रम है, जहां स्थानीय समुदाय को बर्ड गाइड के रूप में तैयार करना हमारा उद्देश्य है। हम चाहते हैं कि हम यहां ऐसे गाइड बनाएं जो विश्व स्तरीय हों और इको टूरिज्म को बढ़ावा दे सकें। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का विषय बहुत सर्वसमावेशी है, इसमें थियरि और प्रैक्टिकल दोनों शामिल हैं। बर्ड टैक्सानमी (पक्षी वर्गीकरण), पक्षियों की पहचान, रेफरेंस बुक इस्तेमाल, बर्ड बायोलॉजी सहित पक्षियों से जुड़े हर पहलू का प्रशिक्षण दिया जायेगा। इसके साथ ही हम बिजनेस स्किल्स, कम्युनिकेशन स्किल्स, एथिक्स एंड सेफ्टी (नैतिकता और सुरक्षा) और पक्षी संरक्षण सहित कई पहलू होंगे। वहीं तार्किक प्रबंधन (लॉजिस्टिक्स मेनेजमेंट) सहित एक गाइड के रूप में कैसे पक्षियों की जानकारी मांगने वाले लोगों को मेनेज करना है, सब सिखाएंगे।”
रोजगार
भविष्य की योजना है कि इसे रोजगारपरक बनाने के लिए बर्ड गाइड का मोबाइल नंबर होटलों में दिया जायेगा। प्रशिक्षण के दौरान होटल मालिकों से भी बातचीत की जाएगी। कोशिश की जाएगी कि जो टूरिस्ट उनके यहां आये और अगर वे पक्षियों को देखना चाहें, तो उन्हें बर्ड गाइड का नंबर उपलब्ध कराया जाए।
गौरतलब है कि बिहार में पक्षियों की सबसे अधिक प्रजातियां भागलपुर जिले में ही पायी जाती हैं। वहीं भारत में अब तक पक्षियों की कुल 1,333 प्रजातियां दर्ज की गई हैं।
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