स्कूली शिक्षा में गुजरात टॉप-5 राज्यों में, फिर भी छोटा उदयपुर में प्राइमरी के हाल खराब, बच्चे न ही एक शब्द पढ़ पाए और न ही गणित के सरल सवाल हल कर पाए
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 1 Jul 2023, 2:42 am IST
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हाइलाइट्स
- गुजरात के शिक्षा विभाग के प्रदर्शन पर सवाल उठाते हुए 2008 बैच के आईएएस अधिकारी धवल कुमार पटेल ने मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट
- वह शिक्षा की पूरी स्थिति जानने के लिए कई जिलों में भेजी गई शिक्षा मंत्रालय की टीम में थे
- इस टीम में थे कई आईएएस अधिकारी, जिन्होंने शिक्षा विभाग के दावों की हवा निकाल दी
केंद्र सरकार के स्कूल एजुकेशन डिपार्टमेंट की ओर से नवंबर, 2022 में जारी स्कूली शिक्षा के प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) में गुजरात 903 के स्कोर के साथ सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले टॉप-5 राज्यों में से एक था। यह शानदार सफलता थी। इसलिए कि पिछले वर्ष की पीजीआई में 884 के स्कोर के साथ राज्य की 8वीं रैंक थी। लेकिन राज्य के एक आईएएस अधिकारी ने गुजरात के सुधरते प्रदर्शन और शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा दिए हैं।
2008 बैच के आईएएस अधिकारी और गांधीनगर के जिओलॉजी और माइनिंग कमिश्नर धवल कुमार पटेल ने दावा किया कि आदिवासी बहुल छोटा उदयपुर जिले के कुछ प्राइमरी स्कूलों के छात्र एक शब्द भी नहीं पढ़ सकते हैं। इतना ही नहीं, वे मैथ्स के सरल सवाल भी हल नहीं कर सकते हैं। उनके इस खुलासे ने राज्य शिक्षा विभाग को जिला अधिकारियों से रिपोर्ट मांगने पर मजबूर कर दिया है।
श्री पटेल राज्य सरकार के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा की सही स्थिति जानने के लिए ‘शाला प्रवेशोत्सव’ अभियान के तहत विभिन्न जिलों में भेजे गए आईएएस अधिकारियों में से एक थे। सीमावर्ती गांवों के स्कूलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए 12 से 14 जून तक 20वां शाला प्रवेशोत्सव किया गया। यह पिछले दो दशकों से शिक्षा विभाग की ओर से होने वाला एक स्कूल नामांकन कार्यक्रम है।
रिपोर्ट
16 जून को शिक्षा सचिव विनोद राव को भेजे गए पत्र में श्री पटेल ने आदिवासी बच्चों को दी जा रही शिक्षा में कमियां बताईं। दावा किया कि ऐसी घटिया शिक्षा से आदिवासियों की अगली पीढ़ी केवल मजदूर के रूप में काम करेगी और वे जीवन में कभी प्रगति नहीं कर पाएंगे।
पटेल ने कहा, ”मैंने जिन छह स्कूलों का दौरा किया, उनमें से पांच में शिक्षा का बहुत घटिया स्तर देखकर मुझे दुख हुआ। ऐसी सड़ी-गली शिक्षा देकर हम इन आदिवासी बच्चों के साथ अन्याय कर रहे हैं।”
रंगपुर प्राइमरी स्कूल को छोड़कर छोटा उदयपुर के अन्य सभी स्कूलों ने श्री पटेल को निराश किया।
तिमला प्राइमरी स्कूल के अपने दौरे को याद करते हुए श्री पटेल ने कहा, “आठवीं के छात्र एक शब्द के प्रत्येक अक्षर को अलग-अलग पढ़ रहे थे, क्योंकि वे पूरा शब्द नहीं पढ़ सकते थे। बच्चों को सरल जोड़-घटाव करने में परेशानी हो रही थी।”
उन्होंने आगे कहा कि बोडगाम प्राइमरी स्कूल में छात्र ‘दिन’ जैसे सरल गुजराती शब्दों के लिए विपरीत यानी उलटे शब्द नहीं बता सकते थे। उन्होंने कहा, “इसके अलावा, आठवीं की एक छात्रा यह नहीं दिखा सकी कि भारतीय मानचित्र पर हिमालय और गुजरात कहां हैं।”
श्री पटेल ने अपने पत्र में लिखा कि वाधवान प्राइमरी स्कूल में शिक्षा का स्तर बेहद दयनीय था। कक्षा पांच के छात्र 42 में से 18 नहीं घटा सके।
उन्होंने कहा, “वे अपने प्रश्नपत्र में अंग्रेजी में लिखे प्रश्नों को भी नहीं पढ़ पा रहे थे। चूंकि सभी ने अंग्रेजी में सही उत्तर लिखा था, इसलिए मुझे संदेह है कि शिक्षक ने उनकी मदद की होगी।”
रिस्पांस
गुजरात के शिक्षा मंत्री कुबेर डिंडोर ने कहा कि उन्होंने पटेल की उठाई बातों को लेकर अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। डिंडोर आदिवासी कल्याण विकास के भी कैबिनेट मंत्री हैं।
मंत्री ने कहा, “मैंने अपने विभाग के अधिकारियों से एक पूरी रिपोर्ट देने को कहा है, ताकि हम जरूरी बदलाव कर सकें। सुदूर आदिवासी इलाकों में कुछ मुद्दे हैं। मैं भी उसी इलाके से आता हूं। माता-पिता में भी जागरूकता की कमी है। हम उन्हें संवेदनशील बनाने का प्रयास करेंगे और जहां भी आवश्यकता होगी, कमियां दूर करेंगे।”
शाला प्रवेशोत्सव
इस वर्ष प्रवेशोत्सव के दौरान 46,600 नामी लोगों ने 27 जिलों के 27,368 प्राइमरी स्कूलों का दौरा किया।
गुजरात के शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुल्ल पंशेरिया ने कहा कि आईएएस अधिकारियों के अलावा अन्य सीनियर अधिकारियों को फील्ड में भेजने का उद्देश्य कमियां ढूंढना था, ताकि उन्हें दूर किया जा सके।हालांकि, राज्य का दावा है कि 9 लाख 77 हजार से अधिक बच्चे किंडरगार्टन में हैं, जबकि 2.30 लाख बच्चे पहली कक्षा में हैं। दूसरी ओर, धवल पटेल की रिपोर्ट है, जिसने शिक्षा विभाग के दावों की हवा निकाल दी है।
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