आरबीआई के गवर्नर बने रहेंगे शक्तिकान्त दास, 2024 तक मिला सेवा विस्तार, जानिए अब तक का उनका सफर!
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 29 Oct 2021, 7:25 pm IST
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हाइलाइट्स
- मोदी सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को तीन साल का दिया सेवा विस्तार, दास दिसम्बर 2024 तक रहेंगे आरबीआई गवर्नर
- 38 सालों से अधिक का है दास का प्रशासनिक अनुभव, दुनिया के प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंचों आईएमएफ, जी20, ब्रिक्स, सार्क आदि में किया है भारत का प्रतिनिधित्व
- क्रेडिट: सोशल मीडिया
केंद्र की मोदी सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकला 3 साल के लिए बढ़ा दिया है। 1980 बैच के आईएएस अधिकारी दास अब दिसंबर 2024 तक के लिए आरबीआई गवर्नर होंगे।
दास को 11 दिसंबर, 2018 को आरबीआई का 25वां गवर्नर नियुक्त किया गया था। उस वक्त उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए की गयी थी। लेकिन अब सरकार ने उन्हें फिर से 3 साल का सेवा विस्तार दिया है।
इस तरह अगर वो अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करते हैं, तो भारत के केंद्रीय बैंक के दूसरे सबसे लंबे कार्यकाल वाले गवर्नर बन जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति कमेटी (एसीसी) ने ये फैसला लिया है। बता दें कि दास को 2018 में तत्कालीन आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफा देने के बाद कमान सौंपी गई थी।
दास को जून 2014 में कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा केंद्रीय राजस्व सचिव नियुक्त किया गया था। उन्होंने 16 जून 2014 को सचिव का पद ग्रहण किया और 31 अगस्त 2015 को छोड़ दिया। दास को अगस्त 2014 में एसीसी द्वारा केंद्रीय आर्थिक मामलों का सचिव नियुक्त किया गया था। वो 31 अगस्त 2015 से 28 मई 2017 तक इस पद पर रहे। केंद्रीय आर्थिक मामलों के सचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, दास को भारत में सबसे शक्तिशाली अधिकारियों में से एक माना जाता था।
आईएएस से अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, दास को एसीसी द्वारा पंद्रहवें वित्त आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया। और बाद में, दिसंबर 2018 में, उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में नामित किया गया। इस नियुक्ति के बाद, दास ने पंद्रहवें वित्त आयोग में अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
मूलरूप से ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के रहने वाले दास दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफन्स कॉलेज से इतिहास विषय में पोस्ट ग्रैजुएट हैं। उन्हें उत्कल विश्वविद्यालय से डी. लिट. की उपाधि भी मिली हुई है।
दास तमिलनाडु कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी हैं। आरबीआई में अपने कार्यकाल से पहले, वो 15 वें वित्त आयोग के सदस्य के रूप में तो कार्य कर ही रहे थे, इसके साथ ही वो जी20 में भारत के शेरपा (दूत) भी थे। इसके अलावा, दास राजस्व विभाग और आर्थिक मामलों के विभाग और वित्त मंत्रालय में सचिव के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
अगर देखा जाए तो दास सीधे तौर पर 8 केंद्रीय बजट तैयार करने से जुड़े रहे हैं। दास को शासन में लगभग 38 वर्षों का व्यापक अनुभव रहा है, जहां उन्होंने वित्त, कराधान, उद्योग, बुनियादी ढांचे आदि के क्षेत्रों में राज्य और केंद्र सरकारों के साथ महत्वपूर्ण पदों पर रहकर काम किए हैं। दास ने तमिलनाडु सरकार के लिए भी कई अहम पदों, जैसे प्रमुख सचिव (उद्योग), विशेष आयुक्त (राजस्व), सचिव (राजस्व), सचिव वाणिज्यिक कर, तमिलनाडु राज्य एड्स नियंत्रण के परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया है। वहीं, वो तमिलनाडु के डिंडीगुल और कांचीपुरम जिलों के जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर भी रहे।
यही नहीं, दास एशियन डिवेलपमेंट बैंक, वर्ल्ड बैंक, न्यू डिवेलपमेंट बैंक और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक में भारत के अल्टरनेट गवर्नर रह चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने आईएमएफ, ब्रिक्स, सार्क जैसे सम्मेलनों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
सूत्रों की मानें तो कोरोनाकाल के बीच लगातार उतार-चढ़ाव देख रही अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार कोई नकारात्मक संदेश नहीं देना चाहती है। आरबीआई गवर्नर जैसे अहम पद को लेकर सरकार को उम्मीद है कि शक्तिकांत दास के रहने से अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा।
गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान भी दास ने लिक्विडिटी बनाए रखने का प्रयास किया और ब्याज दरों में कमी जैसे बड़े फैसले लागू किए।
आरबीआई के बारे में जानिए
भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई भारत का केन्द्रीय बैंक है। इसकी स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को ‘भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934’ के प्रावधानों के अनुसार की गई थी। आरबीआई का केंद्रीय कार्यालय शुरूआत में कोलकाता में था, लेकिन साल 1937 में इसे स्थायी रूप से मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया। आरबीआई ऐक्ट के तहत देश की केन्द्रीय सरकार आरबीआई गवर्नर की नियुक्ति करती है।
बता दें कि केंद्रीय कार्यालय में ही गवर्नर के नेतृत्व में देश की मौद्रिक नीतियां तैयार की जाती हैं। यह भी मजेदार है कि अपनी शुरुआत के वक्त आरबीआई मूल रूप से निजी स्वामित्व में था। लेकिन आजादी की बाद साल 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद से, यह पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में आ गया और देश के अंदर पैसे को लेकर सारी नीतियां तैयार करने की जिम्मेदारी आरबीआई की हो गई।
आरबीआई के अब तक के गवर्नर
सर ओसबोर्न स्मिथ
सर जेम्स टेलर
सर सी डी देशमुख
सर बेनेगल रामा रौस
के जी अंबेगांवकर
एच वी आर आयंगारो
पी सी भट्टाचार्य
एल के झा
बी एन अदारकरी
एस जगन्नाथन
एन सी सेन गुप्ता
के आर पुरी
एम नरसिम्हाम
डॉ. आई जी पटेल
डॉ मनमोहन सिंह
ए घोष
आर एन मल्होत्रा
एस वेंकटरमनन
डॉ. सी रंगराजन
डॉ. बिमल जालान
डॉ वाई वी रेड्डी
डॉ. डी. सुब्बाराव
डॉ. रघुराम राजन
डॉ. उर्जित आर. पटेल
शक्तिकांत दास
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