जब एक आईएएस अधिकारी ने किसान बनकर किसानों की एक बड़ी समस्या हल कर दी!
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 21 Oct 2021, 1:25 pm IST
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हाइलाइट्स
- 2019 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी प्रवीनचंद ने किसान के रूप में अपना भेष बदलकर खाद की कालाबाजारी करने वालों को चखाया मजा।
- एक बड़ी धोखाधड़ी पकड़ते हुए, उन्होंने सभी कालाबाजारी करने वालों को सख्त साफ संदेश दिया है।
- विजयवाड़ा में खाद की दुकान से यूरिया खरीदने के बाद आईएएस प्रवीनचंद (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
अनिल कपूर की फिल्म नायक याद होगी आपको। साल 2001 में आई इस फिल्म में अनिल कपूर एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनते हैं और भ्रष्टाचारियों व गुंडों से निपटने के लिए अपना भेष बदल लेते हैं। भारत के दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आईएएस अधिकारी जी सूर्या प्रवीनचंद ने भी कुछ ऐसा ही किया है। उन्होंने किसानों से जुड़ी कृषि वस्तुओं को लेकर कालाबाजारी करने वाले दोषियों को पकड़ने के लिए अपना भेष बदल लिया।
दरअसल कृष्णा जिले में आने वाले विजयवाड़ा के उप-कलेक्टर और एसडीएम प्रवीनचंद को लगातार यूरिया और डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) जैसे उर्वरकों की विक्री में कालाबाजारी की शिकायतें मिल रही थीं। इन आरोपों की सच्चाई का पता लगाने के लिए प्रवीनचंद ने एक किसान का भेष बनाया और विजयवाड़ा के कैकलुरु और मुदीनेपल्ली मंडल स्थित दुकानों पर खाद की खरीददारी के लिए पहुंच गए।
कैसे किसान बने एसडीएम
2019 बैच के आईएएस अधिकारी प्रवीनचंद ने इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा, “जब हम तक शिकायतें पहुंची, तो हमने फैसला किया कि हमें किसानों के साथ खड़ा होना चाहिए। मैं खाद खरीदने के लिए किसान बनकर पहुंचा। एक दुकानदार तो ने तो मुझे खाद देने से ही मना कर दिया, जबकि एक खाद एमआरपी से अधिक मूल्य पर बेच रहा था। दोनों आधार कार्ड नंबर लिए बिना ही खाद दे रहे थे और कोई बिल भी नहीं बना रहे थे। वे लोग स्टांप लगे हुए प्रिंटेड बिल के बजाय, एक कोरे कागज पर रसीद बनाकर काम चला रहे थे। जबकि ‘उर्वरक कंट्रोल आदेश’ के अनुसार बिना आधार कार्ड के खाद नहीं बेची जा सकती है, आधार नंबर सत्यापन इसके लिए जरूरी है। इसका मतलब है कि वो जमाखोरी भी कर रहे होंगे।”
वहीं कुछ दुकानदार प्रवीनचंद के जांच के लिए पहुंचने से पहले ही दुकान बंद कर भाग गए, इन सभी दुकानों पर बहुत सी अनियमितताएं पाई गईं हैं।
क्या होना चाहिए मूल्य!
आईएएस प्रवीनचंद बताते हैं कि यूरिया का एमआरपी मूल्य 266.50 रुपए प्रति बोरी और डीएपी का एमआरपी मूल्य 1200 रुपए प्रति बोरी है। जबकि ये दुकानदार यूरिया 280 रुपए से लेकर 300 रुपए तक में बेच रहे हैं, तो वहीं डीएपी 1250 रुपए या इससे भी अधिक मूल्य पर किसानों को दे रहे हैं। अपने औचक निरीक्षण के दौरान, उन्होंने जिन दुकानदारों को दोषी पाया, उनकी दुकानों को सीज कर दिया गया है और कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिये हैं।
प्रवीनचंद इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से कहते हैं, “हम सिर्फ कुछ चुनिंदा दुकानदारों को निशाना बनाना नहीं चाहते थे। ये दुकानें तो संयोग से जांच के दायरे में आ गईं और इनकी कालाबाजारी पकड़ी गयी। लेकिन हम एक संदेश जरूर सभी तक पहुंचाना चाहते हैं कि किसानों के साथ इस तरह के धोखे नहीं होने चाहिए। जो उनका वाजिब हक है, वो उन्हें मिलना चाहिए। अगर इस तरह की अनियमितताएं फिर से पाई गईं, तो हम फिर से अपनी ड्यूटी करेंगे।”
वहीं, सोशल मीडिया पर आईएएस अधिकारी की तस्वीरें तुरंत वायरल हो गईं, जहां वो किसान के रूप में भेष बदलकर मोटरसाइकिल पर सवार होकर खाद खरीदने जाते हुए दिख रहे हैं। शर्ट और लुंगी पहने आईएएस प्रवीनचंद दुकान पर खाद खरीदते भी दिख रहे हैं।
कौन हैं प्रवीनचंद!
आईएएस अधिकारी प्रवीनचंद 2019 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उन्हें यूपीएससी-2018 परीक्षा में देशभर में 64 वीं रैंक के साथ आईएएस का पद मिला था। यह उनका तीसरा प्रयास था। वो इससे पहले भी यूपीएससी-2017 में आल इंडिया 512 वीं रैंक के साथ सफलता का परचम लहरा चुके थे। तब उन्हें भारतीय सूचना सेवा (आईआईएस) के लिए चुना गया था। आईआईटी पटना से पढ़ाई कर चुके प्रवीनचंद सिविल सेवा में आने से पहले निजी क्षेत्र में नौकरी करते थे।
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