226 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए 15 घंटे की नॉन-स्टॉप रेसिंग ने तुषार चव्हाण को पहला IFS आयरनमैन बना दिया!
- Sharad Gupta
- Published on 7 Jul 2023, 10:14 am IST
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हाइलाइट्स
- इंडियन फॉरेस्ट सर्विस में महाराष्ट्र कैडर के 2013 बैच के अधिकारी इस समय पुणे में डिप्टी कंजर्वेटर, फॉरेस्ट हैं
- उन्होंने कजाकिस्तान में दौड़ पूरी करने के लिए 225.995 किलोमीटर की दूरी 15 घंटे में पूरी की, जिसमें कटऑफ 17 घंटे थी
- दौड़ने, साइकिल चलाने या जिमिंग के दौरान संगीत के बजाय अपनी सांस छोड़ने की आवाज और पानी के बुलबुले की आवाज सुनना पसंद करते हैं
हाल ही में यूपीएससी ने इंडियन फॉरेस्ट सर्विस का रिजल्ट जारी किया है। इसमें सफलता हासिल करने वालों की कई प्रेरक कहानियां सामने आई हैं। वैसे आईएफएस की एक और सफलता की कहानी सामने आई है, लेकिन वह धीरज वाले खेलों की दुनिया से। आईएफएस अधिकारी तुषार चव्हाण कजाकिस्तान से खुशियां लेकर आए हैं, क्योंकि उन्होंने आयरनमैन की पूरी दौड़ सफलतापूर्वक पूरी की। ऐसा करके वह इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के पहले आयरनमैन बन गए हैं!फुल आयरनमैन रेस को धीरज वाले प्रमुख खेलों में से एक माना जाता है।
यह रेस ट्रायथलीटों और विश्व स्तरीय फ्रोफेशनलों यानी दोनों को समान रूप से लुभाती रही है। इसे पूरा करना एक पूरे दिन का प्रयास होता है, जो भाग लेने वाले को हर फिटनेस लेवल पर परखता है। पूरी दौड़ के लिए कुल मिलाकर 225.995 किलोमीटर की लंबाई के साथ श्री चव्हाण को 17 घंटे की दौड़ कटऑफ के भीतर 3.8 किमी तैराकी, 180 किमी साइकिल चलाना और 42.195 किमी दौड़ना था।
उन्होंने 15 घंटे में ही आराम से यह दौड़ पूरी कर ली!दुबई से भारतीय मास्टरमाइंड्स के साथ एक विशेष बातचीत में आयरनमैन तुषार चव्हाण ने अपनी प्रेरणादायक ट्रायथलीट यात्रा और दौड़ के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताईं।
कजाकिस्तान ही क्यों
आयरनमैन दौड़ 2 जुलाई को कजाकिस्तान के मध्य में स्थित अस्ताना में हुई थी। श्री चव्हाण ने इस जगह को अच्छे मौसम, खर्चों के मामले में भारतीयों के लिए इस देश का काफी सस्ता होना, कोई वीजा फीस नहीं होना और खिलाड़ियों का खुले दिल से स्वागत करने वाले गर्मजोशी भरे लोगों के कारण चुना। उन्होंने कहा, कुल मिलाकर यह एक अच्छी जगह है।
कैसे बने ट्रायथलीट
उन्होंने 2019 में पहली बार दौड़ना शुरू किया और लगभग 10 से 21 किलोमीटर की दूरी तय की। फिर लोकल मैराथन में भाग लिया, पहाड़ी दौड़ की और पुणे के पास छोटे ट्रेक के लिए गए, जहां वह तैनात हैं। धीरे-धीरे उन्होंने 20 किलोमीटर तक साइकिल चलानी शुरू कर दी। जहां तक तैराकी की बात है, तो वह इसे बचपन से करते आ रहे हैं और एक अच्छे तैराक हैं। फिर उन्होंने आयरनमैन रेस की ओर पहला कदम बढ़ाया।
उन्होंने कहा, “मैंने अपनी पहली आधी इरोमन दूरी 29 जनवरी, 2023 को पूरी की। यह कोल्हापुर में हुई बर्गमैन दौड़ थी और मैंने इसे 8 घंटे में पूरा किया। इससे मुझे विश्वास हुआ कि मैं 6 महीने में पूरी दूरी के लिए आसानी से ट्रेनिंग ले सकता हूं।”
ट्रेनिंग
हालांकि, यहां उन्हें एक समस्या का सामना करना पड़ा। बचपन में उन्होंने तैराकी की जो प्रैक्टिस की थी, वह किसी काम का नहीं रही। इसलिए कि आयरनमैन रेस में उन स्ट्रोक्स का उपयोग नहीं किया जाता है। इसलिए, उन्हें शुरुआत में ब्रेस्ट स्ट्रोक सीखना पड़ा और फिर ट्रेनिंग के आखिरी चार महीनों में फ्रीस्टाइल की प्रैक्टिस करनी पड़ी। यह महसूस करते हुए कि उन्हें मार्गदर्शन की आवश्यकता है, उन्होंने आयरनमैन कोच सतीश नानावाडे से मदद ली, जो स्वयं तीन बार आयरनमैन रह चुके हैं।
वह बारामती स्पोर्ट्स फाउंडेशन चलाते हैं, जिसके जरिये वह ट्रायथलीटों को मुफ्त में ट्रेनिंग देते हैं। क्यों?
इस सवाल पर इंडियन मास्टरमाइंड्स से बातचीत में कोच नानावाडे ने कहा, “मेरा एजेंडा आयरनमैन के लिए एथलीटों को ट्रेंड करना है, ताकि उन्हें देखकर लोग फिटनेस के प्रति प्रेरित हों। यह मेरा जुनून है। मैं अपने जुनून को पूरा करने के लिए पैसे कैसे चार्ज कर सकता हूं?” वह बारामती में एडवरटाइजिंग बिजनेस चलाते हैं।
बहरहाल, श्री चव्हाण के लिए ट्रेनिंग कोई बड़ी समस्या नहीं थी, क्योंकि वह बचपन से ही खिलाड़ी थे। वह फुटबॉल, हॉकी, बैडमिंटन खेलते थे और कॉलेज के दिनों में बास्केटबॉल में गोल्ड मेडल जीता था।
उन्होंने कहा, “इसकी वजह से मेरी मूल ताकत अच्छी है और मैंने आयरनमैन रेस में अपनी मूल ताकत का इस्तेमाल किया।”वह मानते हैं कि तीन खेलों की ट्रेनिंग बहुत थका देने वाली थी। इसे काम, खाना और पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ और भी अधिक संतुलित करना पड़ा। वैसे पत्नी और दो बच्चों ने हर समय उनका समर्थन किया।
वह कहते हैं, “उन्होंने मेरे लिए बहुत त्याग किया, और मैंने भी किया। हर वर्किंग-डे की सुबह मैं कम से कम 2-3 घंटे कसरत करता था। फिर एक या आधे घंटे दौड़ता या साइकिल चलाता था। फिर एक घंटा जिम करता था। ऑफिस के बाद मैंने शाम को 44 मिनट से एक घंटे तक स्विमिंग की। यह बहुत बिजी शेड्यूल था। छह महीने तक मेरे लिए कोई छुट्टी नहीं थी, क्योंकि मैं वीकेंड पर ग्रुप साइकिलिंग और स्विमिंग के लिए भी जाता था।”
उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग भी बिल्कुल आसान नहीं है और इसके लिए 6 महीने से एक साल तक डटकर कसरत की आवश्यकता होती है। उन्होंने खुलासा किया, “जब मैंने पहली बार 4 किलोमीटर तक तैराकी की प्रैक्टिस की, तो मैं पूरे दिन कुछ भी नहीं कर पाया।” लेकिन अपने कोच की निगरानी में उनका आत्मविश्वास बढ़ा और वह कजाकिस्तान प्रतियोगिता के लिए तैयार हो गए।
अस्ताना में दौड़ के दिन
दौड़ के दिन चीजें योजना के अनुसार नहीं हुईं। नदी में तैरना बहुत चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि इस दौरान किसी को कोई सहारा नहीं मिलता। साइकिल चलानी और भी कठिन थी।
उन्होंने कहा, “हालांकि अस्ताना में सड़क समतल थी, हवा बहुत तेज थी। मैं उम्मीद कर रहा था कि मेरी गति 34 किमी प्रति घंटा होगी लेकिन दौड़ के दिन मेरी वास्तविक गति केवल 17-18 किमी थी। इसलिए मेरी कुल गति घटकर 24 किमी रह गई, जो परेशानी वाली बात थी। हालांकि मेरी साइकिलिंग मजबूत है, लेकिन अलग-अलग स्थानों पर दौड़ की स्थितियां अलग-अलग थीं। अस्ताना में मौसम बहुत तेजी से बदलता है। इससे मेरी साइकिलिंग पर असर पड़ा।”
सिर्फ यही नहीं! 4 किलोमीटर तैराकी और 80 किलोमीटर साइकिलिंग के बाद 42 किमी दौड़ना कोई आसान उपलब्धि नहीं है। वह कहते हैं, “यहां मानसिक शक्ति सामने आती है और व्यक्ति सारी थकान पर काबू पा सकता है।”
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का सपोर्ट
ट्रेनिंग के दिनों में उन्होंने साइकिल चलाने में मदद के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का सहारा लिया था। उन्होंने कहा- मैं स्पोर्ट्स साइकिल का उपयोग करता हूं और मुझे तेज गति से जाना होता है, जो पुणे में स्पीड ब्रेकर और अधिक ट्रैफिक के कारण संभव नहीं है। इसलिए, मैंने एक साइकिल होम ट्रेनर खरीदा। यानी एक ऐसा उपकरण, जो साइकिल के पिछले पहिये से जुड़ा होता है और जिसे आप घर पर साइकिल की तरह चला सकते हैं। इससे मुझे बहुत मदद मिली।
डाइट प्लान
उनकी डाइट एक्सपर्ट पत्नी सयाली हैं, जो उनका हर समय खयाल रखती थीं। उन्होंने ट्रेनिंग के दौरान 2-3 डाइट प्लान बदले।
उन्होंने कहा, “शुरुआत में मैंने वजन घटाने का फैसला किया, लेकिन इसके कारण मसल्स को नुकसान पहुंचा। इसलिए मैंने तेजी से नहीं, बल्कि धीरे-धीरे वजन कम करना शुरू किया। अंतिम सप्ताहों में मैंने कीटो आहार अपना लिया, जिसमें कैलोरी की कमी और प्रोटीन की अधिकता होती है। ताकि मैं अपना वजन और कम कर सकूं। फिर रेस से ठीक एक दिन पहले मैंने कार्ब लोडिंग शुरू कर दी, ताकि मेरा शरीर दौड़ के लिए तैयार हो जाए।”
हर कोई यह कर सकता है
वह दौड़ने, साइकिल चलाने या जिमिंग के दौरान संगीत नहीं सुनते, बल्कि अपनी सांस छोड़ने की आवाज और पानी के बुलबुले की आवाज सुनना पसंद करते हैं। ये उनके लिए संगीत हैं।
श्री चव्हाण ने कहा, “मैं अपनी प्रैक्टिस के दौरान बस एक तरह का ध्यान करता हूं। दौड़ में किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की भी अनुमति नहीं है। बस दौड़ो और अपने धुन में रहो।”
वह अभी विदेशी में ही हैं। इस बारे में पूछने पर खुशी से झूमते हुए उन्होंने सभी आईएफएस अधिकारियों, बल्कि पूरे फॉरेस्ट समुदाय से ऐसे आयोजनों में जाने की अपील की, ताकि फिटनेस का स्तर बढ़े। उत्साह के साथ उन्होंने कहा, “हर कोई यह कर सकता है। बस ट्रेनिंग और मजबूत इरादे के साथ कड़ी मेहनत की जरूरत है।”
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