सस्ती स्वास्थ्य सेवा देने के लिए इस आईएएस अधिकारी ने सिविल सेवा छोड़ दी
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 6 Dec 2021, 10:30 am IST
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हाइलाइट्स
- उन्होंने अपना खुद का उद्यम शुरू करने के लिए प्रभावशाली आईएएस अधिकारी का पद तक छोड़ दिया
- आम तौर पर लोग इस फैसले को अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने की संज्ञा से नवाजेंगे, लेकिन अंदाजा लगाइये कि क्या हुआ होगा?
- विश्व आर्थिक मंच की सहयोगी संस्था ‘श्वाब फाउंडेशन फॉर सोशल एंटरप्रेन्योरशिप’ ने उन्हें ‘वर्ष 2020 का सामाजिक उद्यमी’ घोषित किया है, है न कमाल की कहानी!
- ग्लोकल ने 100 डिजिटल औषधालयों की स्थापना के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए
इस दुनिया में बहुत कम ऐसे लोग मिलते हैं जो समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने या पूरा करने के लिए अपनी महफूज नौकरी छोड़कर एकाकी और अनसुने रास्तों पर चल पड़ते हैं। अक्सर ऐसे असाधारण लोग अपनी सम्मानित और बड़ी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ देते और खुद को सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित कर देते हैं। साल 2000 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ. सैयद सबाहत अजीम एक ऐसे ही बेहद चुनिंदा और प्रेरक व्यक्ति हैं।
किसी के लिए भी इतनी अच्छी नौकरी छोड़कर आगे बढ़ना एक बेहद चौंकाने वाला फैसला होगा, लेकिन अजीम ने अपने इस अप्रत्याशित फैसला के साथ सिविल सेवा की नौकरी को छोड़ दिया। अपने इस दुर्लभ कदम के बाद, वह ग्रामीण और अर्ध-शहरी आबादी को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की दिशा में सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं।
जेएन मेडिकल कॉलेज, एएमयू और आईआईएम अहमदाबाद जैसे संस्थानों के पूर्व छात्र रहे डॉ. सैयद सबाहत अजीम को दो दशकों से अधिक का चिकित्सा क्षेत्र का अनुभव है और उन्होंने कई शीर्ष पदों पर काम किया है। सिविल सेवा छोड़ने से पहले, उन्हें त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। उनका उद्यम, ग्लोकल हेल्थकेयर सिस्टम्स गांवों और छोटे शहरों में कम लागत वाले कुशल अस्पतालों का निर्माण करके स्वास्थ्य सुविधाओं तक देश के दूरदराज ग्रामीण इलाकों से लेकर सभी आम लोगों तक पहुंच प्रदान करना चाहता है। लेकिन उनके उद्यमशील मन के पीछे एक वेदना छिपी है। उनके पिता की असामयिक मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद डॉ. अजीम ने सिविल सेवा से इतर एक अलग राह चुनी और अपनी सोच को आगे बढ़ाने के लिए अपने प्रभावशाली पद को छोड़ दिया।
उन्होंने जुलाई 2010 में ग्लोकल हेल्थकेयर लॉन्च किया। अपने एक इंटरव्यू में वो बताते हैं, “मेरे पिता की मृत्यु गैर-जरूरी उपचार के कारण हुई। हमारे परिवार के लिए यह बहुत कष्टदायक था। मैंने इस पर बहुत सोचा और मुझे लगा कि अगर यह घटना एक डॉक्टर और एक आईएएस अधिकारी के साथ हो सकती है, तो भारत के आम लोगो के साथ क्या होता होगा!”
इसीलिए उनके मन में एक बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का खयाल आया और उन्होंने आम लोगों के सही उपचार और उस तक उनकी पहुंच के लिए, बेहतर तकनीक और सुविधाओं पर काम करना शुरू कर दिया। इस तरह ग्लोकल हेल्थकेयर सिस्टम्स पटल पर आया।
सफलता का स्वाद
डॉ. अजीम के लगातार प्रयासों की बदौलत ग्लोकल स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अब एक प्रसिद्ध नाम बन चुका है। ग्लोकल हेल्थकेयर सिस्टम्स ने छोटे शहरों में बारह कम लागत वाले अस्पताल स्थापित किए हैं, जहां अब आम लोगों के लिए सस्ती और विश्वसनीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध है। ग्लोकल के स्वास्थ्य मॉडल का उद्देश्य उन जगहों पर उपचार के सर्वोत्तम मानक प्रदान करना है, जहां सरकारी सुविधाओं की कमी है और निजी अस्पतालों ने अपने पैर नहीं रखे है क्योंकि ये जगहें उनके लिए शायद उतनी मुनाफे वाली नहीं है।
ग्लोकल के तहत आने वाले प्रत्येक अस्पताल में 100 बेड, 20 ऑपरेशन थिएटर, आईसीयू, डिलीवरी सूट, नवजात शिशु संबंधी देखभाल इकाई, फार्मेसी, पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी है। डॉ. अजीम के अनुसार ग्लोकल के हर 100 बेड के अस्पताल को लगभग 15 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाता है, यह राशि इतनी ही क्षमता वाले आम तौर पर बनने वाले नियमित अस्पतालों को बनाने की लागत की लगभग आधी है। ग्लोकल के अस्पतालों में डॉ. सैयद अपनी टीम के साथ एक प्रोटोकॉल-संचालित मॉडल के साथ काम करते हैं। ग्लोकल में एक डॉक्टर कंप्यूटराइज्ड सिस्टम से 42 रोगों को पहचान कर उनका इलाज कर सकता है। इनमें गंभीर रोगों को भी शुरूआती जांच में ही पहचाना जा सकता है।
असंभावित स्थानों का चयन
डॉ. अजीम ने पहला ग्लोकल अस्पताल पश्चिम बंगाल में स्थापित किया था। इसके बाद अगले छह वर्षों के दौरान, उन्होंने भागलपुर, मुजफ्फरपुर, बरहामपुर, बेगूसराय, अमरोहा, मेदनीपुर, कृष्णानगर और ओड़ीशा के जयपोर जैसे बिना संभावना वाले स्थानों पर अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों के साथ अच्छी तरह से सुसज्जित अस्पतालों का निर्माण किया।
कंपनी की स्थापना के बाद से, ग्लोकल के सीईओ और प्रख्यात डॉ. अजीम को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कई अवसरों पर सम्मानित किया जा चुका है। अक्सर, उन्हें देश में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर अंकुश लगाने के उनके उल्लेखनीय प्रयासों के लिए पुरस्कारों से नवाजा गया है। पिछले साल, विश्व आर्थिक मंच के एक सहयोगी संगठन ‘श्वाब फाउंडेशन फॉर सोशल एंटरप्रेन्योरशिप’ द्वारा डॉ. सैयद सबाहत अजीम को “वर्ष 2020 का सामाजिक उद्यमी” घोषित किया गया था। सभी को सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने की उनकी प्रतिबद्धता और समर्पण वास्तव में काबिले तारीफ है।
अन्य उपलब्धियां
डॉ. अजीम ने निश्चित रूप से भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के विकास को गति दी है और कुछ अलग मानक स्थापित किए हैं, लेकिन सिर्फ यही एकमात्र उपलब्धि नहीं है जिसके लिए उन्हें जाना जाता है। ग्लोकल को लॉन्च करने से पहले, वह ‘सहाजे विलेज लिमिटेड’ के साथ काम कर रहे थे, जिसने डिजिटल विभाजन और असमानता को खत्म करने के उद्देश्य से ग्रामीण भारत में 18000 ब्रॉडबैंड-सक्षम टेलीसेंटर स्थापित किए हैं।
अंत में, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत में सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवा को वास्तविकता के धरातल पर उतारने में डॉ अजीम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। अपने काम के प्रति उनके जबरदस्त समर्पण और प्रतिबद्धता ने उन व्यक्तियों के दिमाग पर भी एक अमिट छाप छोड़ी है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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