आईएएस अधिकारी कविता रामू की कहानी, जो एक मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना हैं और अब तक 600 से अधिक स्टेज परफॉर्मेंस दे चुकी हैं!
- Pallavi Priya
- Published on 20 Nov 2021, 10:10 am IST
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हाइलाइट्स
नौकरशाही के काम को ‘भरतनाट्यम’ के साथ संतुलित करने के लिए एक अलग स्तर के लयबद्ध नियंत्रण की आवश्यकता होती है। और आईएएस अधिकारी कविता रामू इसकी माहिर खिलाड़ी हैं।
- एक फोटोशूट के दौरान कविता रामू
साल 1981 का वक्त है, तमिलनाडु का मशहूर चिदंबरम शहर और वहां चल रही है विश्व तमिल कांफ्रेंस। इस अंतरराष्ट्रीय समारोह में एक 8 साल की बच्ची मंच पर आती है और सभी की नजरें उसकी ओर हो जाती हैं। महज आठ साल की बच्ची ने मंच पर भरतनाट्यम की दमदार परफारमेंस देकर ऐसा समां बांधा कि लोगों ने दांतों तले उंगलियां दबा लीं। इतनी कम उम्र में ऐसा मंत्रमुग्ध कर देने वाला नृत्य, वास्तव में इस बच्ची के लिए भविष्य के गर्भ में बहुत कुछ छिपा हुआ था। और हुआ भी कुछ ऐसा ही, आगे चलकर यह बच्ची मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना और आईएएस अधिकारी बनी।
प्रसिद्ध आईएएस अधिकारी के साथ-साथ एक हुनरमंद भरतनाट्यम नृत्यांगना, भारतीय सिविल सेवकों के बीच ऐसा दुर्लभ संयोग शायद ही कोई और मिले। लेकिन आईएएस कविता रामू की जीवन यात्रा उतनी ही आकर्षक है, जितने बीते वर्षों में उनकी 600 से अधिक मंचीय प्रदर्शन (स्टेज परफॉर्मेंस) रहे हैं।
कविता रामू सिर्फ चार साल की थीं, जब उनकी प्रोफेसर मां उन्हें गुरु नीला कृष्णमूर्ति के पास ले गईं। उनके मार्गदर्शन में उन्होंने भरतनाट्यम की मूल बातें सीखनी शुरू की। धीरे-धीरे उन्हें इसमें मजा आने लगा। वह रोजाना अभ्यास करती थीं और जल्द ही पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ नृत्य उनका जुनून बन गया। उनके प्रत्येक प्रदर्शन ने खूब प्रशंसा और सम्मान अर्जित किया। कविता रामू आज जब मंच पर भरतनाट्यम नृत्य करने उतरतीं, तो तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रहती। वह बेहद खुश और कुछ हद तक संतुष्ट थीं, लेकिन फिर उन्हें कुछ और भी करना था…।
वह अपने पिता के काम से भी अत्यधिक प्रभावित थीं। कविता के पिता एक आईएएस अधिकारी थे और उन्होंने उन्हें भी वही बनने के लिए प्रेरित किया। इस तरह एक युवा लड़की को नृत्य के अपने जुनून को जारी रखते हुए सिविल सेवाओं में अपना करियर बनाने के लिए, दोगुना मेहनत करनी थी। हालांकि, शुरुआत में यह मुश्किल था, लेकिन वह न ही रुकीं और न ही थकीं। उनके भीतर केवल सिविल सेवाओं के माध्यम से देश की सेवा करने का दृढ़ संकल्प और शास्त्रीय नृत्य के प्रति अपार प्रेम पनप रहा था।
और फिर एक दिन कविता रामू न केवल यूपीएससी को पास करने में सफल रहीं, बल्कि शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में भी उन्होंने खूब नाम कमाया। तमिलनाडु कैडर की 2002 बैच की आईएएस कविता एक बेहतर प्रशासनिक अफसर के साथ-साथ देश की मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना के तौर पर पहचान बना चुकी हैं।
कोई केवल कल्पना ही कर सकता है कि उन्होंने अपने कैरियर और जुनून को एक समान सफलता के साथ जिया और आगे बढ़ाया है। अपने एक साक्षात्कार में, उन्होंने एक बार कहा था कि प्रशासन में सेवा करने से उनके जीवन का उद्देश्य पूरा हो जाता है, जबकि घंटों नृत्य करने से उन्हें उस उद्देश्य की चाह में मदद मिलती है। इतना ही नहीं, रोजाना का नृत्य-अभ्यास उनके लिए तनाव को कम या खत्म करने का काम करता है।
एक प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना बनने का सफर
कविता रामू का जन्म मदुरै में हुआ था। चार साल की उम्र में, उन्होंने गुरु नीला के सानिध्य में भरतनाट्यम का अपना प्रशिक्षण शुरू किया था। केवल एक वर्ष की अवधि में ही वह इस शास्त्रीय नृत्य की अधिकांश ‘भाव और भंगिमाओं’ में निपुण हो गयी थीं। जब वह आठ साल की थीं, उन्हें चिदंबरम में आयोजित पांचवें विश्व तमिल सम्मेलन में नृत्य करने का अवसर मिला। आज भी कविता 1981 के इस प्रदर्शन को लाइव दर्शकों के सामने के अपने बेहतरीन प्रदर्शनों में से एक मानती हैं। वह अभी भी उस अनुभव को संजोती हैं और इसके बारे में सोचकर ही उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
बाद के दिनों में, चेन्नई में कविता प्रसिद्ध नृत्य गुरु केजे सरसा के संपर्क में आईं। उन्होंने लगभग पंद्रह वर्षों तक उनके सानिध्य में ही नृत्य करने की कई तकनीकी बारीकियां सीखीं और खुद को निखारा। उन्होंने उन्हें भरतनाट्यम की वजुवूर (विझुवुर) शैली भी सिखाई। साथ ही वह स्कूल, कॉलेज में होने वाले समारोहों और सांस्कृतिक क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भी परफॉर्म कर रही थीं। इस बीच, उन्होंने प्रसिद्ध गुरु इंदिरा राजन से नट्टुवंगम भी सीखा। भरतनाट्यम में नट्टुवंगम एक अलग शैली है, जो झांझ (मजीरे) के लयबद्ध ध्वनि खेल से संबंधित है।
कविता पिछले 30 सालों से स्टेज परफॉर्मेंस दे रही हैं। उन्होंने 600 से अधिक एकल नृत्यीय अभिनय किए हैं। उन्होंने डॉ. एम बालमुरली कृष्णा द्वारा कोरियोग्राफ किए गए भरतनाट्यम गायन में अन्नामाया की मुख्य भूमिका निभाई है। इस प्रदर्शन के लिए, उन्हें सिविल सेवाओं की तैयारी के दौरान ही विदेश यात्रा करनी पड़ी। उस गायन में उन्होंने जो काम किया, उसके लिए उन्हें आलोचनात्मक प्रशंसा भी मिली। रामू दूरदर्शन के लिए सूचीबद्ध एक ‘ए ग्रेड’ कलाकार भी हैं और वह इस राष्ट्रीय चैनल द्वारा प्रसारित कई कार्यक्रमों का हिस्सा रही हैं। उन्होंने 1995 में चेन्नई में आयोजित दक्षिण एशियाई खेलों के दौरान उद्घाटन और समापन समारोहों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी समन्वय किया।
प्रशासन
कविता ने बचपन से अपने बड़े होने के दौरान, अपने पिता के काम को देखा और नौकरशाहों के काम करने के तरीके से प्रेरित हुईं। उन्होंने भी सिविल सेवाओं को आगे कैरियर बनाने का फैसला किया और स्नातक के लिए अर्थशस्त्र को चुना। फिर उन्होंने लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर जारी रखते हुए, यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। वह स्नातकोत्तर में कॉलेज टॉपर भी बनीं। सबसे पहले, उन्होंने तमिलनाडु लोक सेवा की परीक्षा पास की। फिर 2002 में, उन्होंने यूपीएससी को पास करके इस शानदार उपलब्धि को दोहराया। मीडिया के साथ एक साक्षात्कार में, उन्होंने एक बार कहा था कि वह शुरुआत में आईएफएस चाहती थीं, लेकिन आईएएस चुना, क्योंकि वह न तो देश छोड़ना चाहती थी और न ही नृत्य।
अपने लंबे कार्यकाल के दौरान, कविता रामू को चेन्नई के नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सहायक आयुक्त, वेल्लोर में राजस्व मंडल अधिकारी और तमिलनाडु रोड सेक्टर प्रोजेक्ट (टीएनआरएसपी) में राहत और पुनर्वास के लिए संयुक्त आयुक्त के रूप में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जा चुका है। उन्होंने तमिलनाडु राज्य पर्यटन विकास निगम के महाप्रबंधक और संग्रहालयों के निदेशक के रूप में भी काम किया है। वर्तमान में, वह एकीकृत बाल विकास योजना की निदेशक हैं।
हमें उम्मीद है कि वह अपने जुनून और पेशेवर जिंदगी में इसी तरह सफलता के झंडे गाड़ती रहेंगी और हम सभी को प्रेरित करती रहेंगी।
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