वो आईएएस अधिकारी जिसने केरल को डिजिटल हाइवे पर मजबूती से ला खड़ा किया!
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 17 Jan 2022, 10:01 am IST
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हाइलाइट्स
- यह एक सटीक अनुमान है कि केरल के सभी 3.25 मिलियन परिवारों में से प्रत्येक में कम से कम एक व्यक्ति को अरुणा सुंदरराजन की महत्वकांक्षी ई-साक्षरता पहल ‘अक्षय’ से लाभ हुआ है।
- इतना ही नहीं, केंद्र में दूर संचार विभाग के सचिव के रूप में उन्होंने भारत के दूरसंचार परिदृश्य में क्रांति ही ला दी और सब कुछ बदल कर रख दिया।
- तो इंडियन मास्टरमाइण्ड्स की इस खास रिपोर्ट में, मिलिए भारत के डिजिटल हाइवे बनाने वाली पूर्व आईएएस अधिकारी अरुणा सुंदरराजन से...!
- आईएएस अरुणा: एक दृढ़-संकल्पित और जुनूनी अधिकारी रही हैं
इसमें कोई संदेह नहीं कि सिविल सेवक किसी भी प्रशासन की रीढ़ होते हैं और वे राष्ट्र की सेवा के लिए सदैव समर्पित रहते हैं। लेकिन ये भी सच है कि कुछ विशिष्ट अधिकारी ऐसे भी होते हैं जो अपने कर्तव्यों से परे जाकर असाधारण रूप से काम करते हैं और समाज व देश को लाभान्वित करते हैं। उनमें लोगों की मदद और कुछ बेहतर करने का ऐसा जुनून होता है कि वे हमेशा किसी भी हद तक जाकर अतिरिक्त प्रयास करते रहते हैं। पिछले साल दूरसंचार विभाग में सचिव पद से सेवानिवृत्त हुईं आईएएस अरुणा सुंदरराजन, ऐसे ही अधिकारियों में से एक हैं। समान्यता आम जनमानस में उन्हें ‘अक्षय – सामूहिक ई-साक्षरता अभियान’ के लिए जाना जाता है। शिक्षा की इस अलख को उन्होंने सुदूर दक्षिण भारतीय राज्य केरल में शुरू किया था। दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर अरुणा 1982 बैच की केरल कैडर की आईएएस अधिकारी थीं।
अपने तीन दशक लंबे प्रशासनिक कैरियर के दौरान, सुंदरराजन ने विभिन्न नीतिगत मुद्दों पर बेहतरीन विश्लेषणात्मक क्षमताओं का प्रदर्शन किया। अपनी आखिरी पोस्टिंग से पहले, उन्होंने ‘इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ में सचिव और ‘यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड’ के प्रशासक के रूप में काम किया। सरकार में अपने प्रशासनिक कार्यकाल के दौरान उन्होंने ‘भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क’ के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में काम किया, साथ वो केरल राज्य औद्योगिक विकास निगम के प्रबंध निदेशक के रूप में भी सरकार के प्रशासनिक अमले में शामिल रहीं।
केरल की डिजिटल यात्रा
साल 1998 में अरुणा ने केरल के पहले ‘सूचना प्रौद्योगिकी विभाग’ (डीआईटी) की स्थापना की। इस प्रकार केरल की डिजिटल यात्रा शुरू हो गयी, लेकिन यह सहसा और इतनी आसानी से नहीं संभव हुआ था। इसके पीछे किसी की अथक मेहनत और अनगिनत प्रयास शामिल थे। अरुणा अपने हर संभव प्रयासों के माध्यम से तत्कालीन मुख्यमंत्री ई के नयनार को यह समझाने में सफल रहीं कि राज्य के विकास में आईटी क्रांति एक आवश्यक कदम होगा और इसीलिए इस क्षेत्र को एक पूरी तरह से अलग विभाग की आवश्यकता है। तभी से, अरुणा ने तकनीकी क्षेत्र के गहन विकास की दिशा में अपना काम जारी रखा।
पिछले 37 वर्षों के अपने प्रशासनिक कैरियर के दौरान, उन्होंने असंख्य परियोजनाओं का नेतृत्व किया है, जिनमें से अधिकांश को खूब प्रशंसा मिली है। इन्हीं योजनाओं में से एक योजना है – ‘अक्षय’ योजना। यह एक ई-साक्षरता पहल थी, जिसमें एक अभियान तहत एक मिलियन से अधिक लोगों को बुनियादी डिजिटल कौशल शिक्षा का प्रशिक्षण दिया गया था। ‘अक्षय’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर भी पर जबरदस्त प्रशंसा मिली थी।
‘अक्षय’ की शुरुआत 2002 में केरल के मलप्पुरम जिले में ई-साक्षरता परियोजना के रूप में हुई थी। इसका उद्देश्य जनता के बीच बुनियादी कंप्यूटर शिक्षा के बारे में प्रशिक्षण दें और जागरूकता फैलाना था। इस योजना ने अपनी शुरुआत के फौरन बाद ही राज्य भर में लोगों की मनःस्थिति और रुचि को प्रभावित करना शुरू कर दिया। अगर तथ्य की बात करें, तो यह अनुमान है कि केरल के लगभग सभी 32 लाख 50 हजार परिवारों में से प्रत्येक परिवार में कम से कम एक व्यक्ति ‘अक्षय’ केंद्रों के माध्यम से कंप्यूटर साक्षर बन चुका है।
जब सरकार ने गरीब लोगों को जीवन बीमा कवरेज प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू की, तो राज्य में बड़ी संख्या में उपस्थित ‘अक्षय’ केंद्रों ने पंजीकरण प्रक्रिया को तेज करने में खूब मदद की। इसके अलावा, केरल में सभी यूआईडी (विशिष्ट पहचान संख्या) पंजीकरण का 75 प्रतिशत कार्य ‘अक्षय’ केंद्रों में हुआ है। इसी से आप अरुणा की पहल और ‘अक्षय’ केन्द्रों का महत्व समझ सकते हैं।
‘अक्षय’ की तरह ही इस पहल ने दुनिया में सबसे बड़े ज्ञात इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) आधारित ग्रामीण वायरलेस नेटवर्क में से एक को शुरू किया। ‘अक्षय’ ने पूरे देश के साथ-साथ दुनिया भर में सबसे अग्रणी और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन यानी परिवर्तन लाने वाली परियोजनाओं में से एक का अगुआ होने की पहचान हासिल की है।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने हमारे देश में ‘ग्रामीण ब्रॉडबैंड’ मुहिम का भी नेतृत्व किया है, जो दूरसंचार को ग्रामीण भारत के सुदूर हिस्सों तक ले जा रही है।
अन्य उपलब्धियां
दूरसंचार के विकास के लिए काम करने के अलावा, साल 2014 में केरल राज्य औद्योगिक विकास निगम के प्रबंध निदेशक के रूप में सुंदरराजन ने युवाओं में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘युवा उद्यमी शिखर सम्मेलन’ (वाईईएस) का शुभारंभ किया। आज तक, यह युवाओं में उद्यमशीलता के विकास के निर्माण और उसे बढ़ावा देने के संबंध में केरल की प्रमुख परियोजना के रूप में बनी हुई है।
इसके अलावा, सुंदरराजन भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान केरल (आईआईआईटीएमके – IIITMK) और कोच्चि इन्फोपार्क की स्थापना में सक्रिय रूप से शामिल रहीं, जिसने केरल राज्य के आईटी परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया। उन्होंने कोच्चि में स्मार्ट सिटी परियोजना को शुरू करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
केंद्र में आना
केंद्र में दूरसंचार विभाग (डीओटी) के सचिव के रूप में, सुंदरराजन ने ‘राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति 2018’ की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटल संचार में दुनिया भर में अग्रणी के रूप में स्थापित करना था। उनके कार्यकाल के दौरान प्रमुख उपलब्धियां देश का 5 जी रोडमैप, स्वदेशी टेस्ट बेड की नींव, नेशनल फ्रिक्वेन्सी आवंटन योजना- 2018 का निर्माण और भारत नेट के पहले चरण के पूरा होने की शुरुआत थी।
इस प्रख्यात अधिकारी को उनकी उपलब्धियों के लिए अनगिनत पुरस्कार मिले हैं। उन्हें भारत के सबसे अधिक पुरस्कार पाने वाले अधिकारियों में से एक माना जाता है। उन्हें जो बड़े सम्मान मिले हैं, उनमें इंडिया टुडे द्वारा 2009 में टॉप प्रोफेशनल वूमेन अचीवर्स, 2009 में फोर्ब्स बिजनेस मैगजीन द्वारा टॉप प्रोफेशनल वूमेन अचीवर्स, यूएसआईबीसी ट्रांसफॉर्मेटिव लीडरशिप अवार्ड 2017 और बिजनेस टुडे द्वारा 2018 में 10 सबसे शक्तिशाली महिलाओं का पुरसकार प्रमुख रूप से शामिल है। नवंबर 2018 में, इंटेल ने उन्हें ‘टेक्नालजी विजनरी अवार्ड’ (प्रौद्योगिकी दूरदर्शी पुरस्कार) से सम्मानित किया था। जनवरी 2019 में, उन्हें आईएएमएआई (IAMAI) द्वारा डिजिटल वुमन ऑफ द ईयर से सम्मानित किया गया। वहीं, फरवरी 2019 में 9 वें भारत डिजिटल अवार्ड्स में, उन्हें सर्वसम्मति से वॉयस एंड डेटा द्वारा टेलीकॉम पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया।
अपनी विशेषज्ञता और प्रतिबद्धता के माध्यम से, सुंदरराजन ने भारत के तकनीकी और दूरसंचार क्षेत्र के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। उनकी अदम्य भावना और लगातार कड़ी मेहनत महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है और निश्चित रूप से सभी पर एक चिरस्थायी प्रभाव छोड़ेगी।
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