खुफिया विभाग ही नहीं ली जा रही खबर!
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 9 Aug 2023, 12:14 pm IST
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हाइलाइट्स
पुलिस महकमे में तीन कुर्सियों को बेहद अहम माना जाता है. पहली कुर्सी है डीजीपी की, दूसरी कुर्सी है डीजी खुफिया की और तीसरी कुर्सी है, डीजी सतर्कता की. इन तीन कुर्सियों पर तैनात रहने वाले अफसरों के इनपुट पर सूबे की सरकार राज्य की कानून व्यवस्था पर को चौकस बनाए रखने में सफल होती […]
पुलिस महकमे में तीन कुर्सियों को बेहद अहम माना जाता है. पहली कुर्सी है डीजीपी की, दूसरी कुर्सी है डीजी खुफिया की और तीसरी कुर्सी है, डीजी सतर्कता की. इन तीन कुर्सियों पर तैनात रहने वाले अफसरों के इनपुट पर सूबे की सरकार राज्य की कानून व्यवस्था पर को चौकस बनाए रखने में सफल होती है. लेकिन प्रदेश में अंदर की खबर से सूबे के मुखिया को बाखबर रखने वाले खुफिया विभाग की ही खबर नहीं ली जा रही है. बीते कई महीनों से खुफिया विभाग के मुखिया की कुर्सी खाली है. एडीजी स्तर के एक अफसर पर ही वर्तमान में इस विभाग का समूचा दायित्व है. जबकि इस महकमें पर तमाम तरह की खुफिया सूचनाए जुटाने की ज़िम्मेदारी है.
आतंकी और नक्सली गतिविधियों को रोकने के साथ ही सांप्रदित्यक साज़िशों को नाकाम करने वाली सूचनाएँ जुटाकर उन्हे सरकार को पहुंचाना इस विभाग का दायित्व रहा है. इस कार्य को गोपनीय और चौकस तरीके से पूरा करने के लिए हर सरकार में इस विभाग को महत्व दिया जाता रहा है. वर्तमान सरकार भी बीते साल तक इस विभाग के विशेष ध्यान देती रही है. परन्तु डीएस चौहान के रिटायर होने के बाद से इस विभाग के डीजी की कुर्सी खाली है. जिसे लेकर महकमे में तरह -तरह की चर्चाएं हो रही हैं.
कहा जा रहा है सूबे में तमाम ऐसी राजनीतिक और सामाजिक तनाव फैलाने वाली ऐसी घटनाएँ हुई हैं जिनके बारे में समय रहते सरकार तक इनपुट नहीं पहुंच सका. इसलिए लिए इस पद को भरा जाना बेहद ही जरूरी हैं. इस बात का जिक्र करते हुए तमाम सीनियर इपस अधिकारी इस पद पर तैनाती पाने के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं. एक अधिकारी तो लखनऊ के एक विधायक के जरिये तैनाती पाने के लिए दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं से मिल भी आए हैं, लेकिन उनके पक्ष में अभी तक आदेश जारी नहीं हुआ है. क्योंकि डीजी स्तर के एक अफसर चाहते हैं कि उन्हे ही इस पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया जाये, अब देखना यह है कि सरकार उनकी मंशा पूरी करते हुए खुफिया विभाग की खबर कब लेती हैं.
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