टॉपर बोले- अगर तैयारी अच्छी हो, तो पहली बार में ही यूपीएससी सीएसई हो सकता है क्रैक
- Pallavi Priya
- Published on 16 Jun 2023, 11:15 am IST
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हाइलाइट्स
- साईं अश्रित शखामुरी ने पहली बार में 40वीं रैंक के साथ पास किया CSE 2022
- सिर्फ डेढ़ वर्ष की तैयारी के बूते इस कठिन परीक्षा को पास कर लिया
- वारंगल के साईं ने बिट्स से किया है सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक
यकीनन क्रैक करने के लिहाज से UPSC CSE सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। भारी-भरकम सिलेबस, पैटर्न में लगातार बदलाव और कम सक्सेस रेट को देखते हुए सिविल सेवाओं में शामिल होना वास्तव में कठिन हो गया है। न केवल इसकी तैयारी में वर्षों लग जाते हैं, बल्कि इसमें सफलता के लिए भी कई बार कोशिश करनी पड़ जाती है। हालांकि, कुछ हैरान करने वाले ऐसे कैंडिडेट्स भी हैं, जो सभी बाधाओं को धता बताते हुए पहली बार में ही इसे पास कर लेते हैं। ऐसे ही एक कैंडिडेट हैं साईं अश्रित शखामुरी। उन्होंने अपने पहली कोशिश में ही AIR 40 के साथ UPSC CSE 2022 को क्रैक किया है।इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने इस सफर के अपने अनुभव बताए।
क्वालीफायर से प्रेरित
शखामुरी वारंगल के रहने वाले हैं। वैसे वह बाद में परिवार के साथ हैदराबाद आ गए। सिविल इंजीनियरिंग में बिट्स से बी.टेक करने के बाद उन्होंने यूपीएससी सीएसई में बैठने का फैसला किया। उन्होंने कहा, “यह निर्णय वास्तव में कठिन था, क्योंकि यूपीएससी सीएसई जीवन के साथ जोखिम लेने जैसा है। तब मैंने लोगों को इसके लिए विभिन्न कठिनाइयों से गुजरते हुए देखा था। फिर भी इस प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता प्राप्त की। दरअसल तमिलनाडु के एक दृष्टिहीन लड़के ने मुझे यूपीएससी में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।”उन्होंने ग्रेजुएशन के बाद मई 2021 से तैयारी शुरू कर दी थी। हालांकि, उन्होंने अपने अंतिम सेमेस्टर के तीन महीने सिलेबस, पैटर्न और ऑप्शनल सब्जेक्ट को समझने के लिए दिए। इससे उन्हें अच्छी रणनीति बनाने और अपनी यात्रा की योजना बनाने में मदद मिली। यह सब काम भी कर गया, क्योंकि उन्होंने केवल डेढ़ वर्ष की तैयारी में सीएसई को पास कर लिया।
कई प्रयासों के लिए थे तैयार
उन्होंने एंथ्रोपोलोजी को अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट बनाया। इस दौरान उन्हें माता-पिता का पूरा सहयोग मिला। वह कहते हैं, “उन्होंने मुझ पर भरोसा किया और मुझे पढ़ने के लिए कहा। तैयारी के मूड में आने से पहले मैंने अपने मन को समझा लिया था कि कई बार परीक्षा देनी पड़ सकती है। मैं बहुत ज्यादा विश्वास नहीं पाल रहा था।”हालांकि, उनका मानना है कि वह अपने पहले प्रयास के लिए अच्छी तरह से तैयार थे। फिर भी कई अन्य कारणों ने उन्हें सफल बनाने में योगदान दिया। उनके मुताबिक, सिर्फ मेहनत ही नहीं बल्कि किस्मत और माता-पिता के आशीर्वाद ने भी साथ दिया।
बैकअप प्लान
शखामुरी ने कहा कि वह शुरू से ही परीक्षा को लेकर क्लियर थे। जानते थे कि वह क्या कर रहे हैं। देश सेवा की खातिर अपने को उपयोगी बनाने के लिए वह कोशिश करना चाहते थे। हालांकि, वह सक्सेस रेट के बारे में अच्छी तरह से जानते थे। उन्होंने कहा कि सीएसई कभी भी उनका अंतिम लक्ष्य नहीं था और न ही यह किसी और के लिए होना चाहिए।तैयारी शुरू करने से पहले उन्होंने पिता के साथ उनके फैमिली बिजनेस में भी काम किया। यूपीएससी सीएसई में पास नहीं होने की स्थिति में यह उनकी बैक-अप योजना थी।
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