आईएएस अधिकारी ने चुराचांदपुर के युवाओं के लिए बनाया ‘घोंसला’, कहा-संघर्ष से उनका भविष्य नहीं बिगड़ना चाहिए
- Sharad Gupta
- Published on 26 Jun 2023, 1:20 am IST
- 1 minute read
हाइलाइट्स
- राजस्थान कैडर के 2011 बैच के अधिकारी हौलियानलाल गुइटे ने अपने गृह जिले चूड़ाचांदपुर में बनाया रीडर्स नेस्ट, जो लमका नाम से जाना जाता है
- लमका शहर में बना रीडर्स नेस्ट दरअसल लाइब्रेरी, हॉस्टल और रीडिंग रूम का मिला-जुला रूप है
- यह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों को रहने या अपने रीडिंग केबिन में शांति से पढ़ाई करने की जगह और माहौल देता है
जब से मणिपुर में जातीय संघर्ष शुरू हुआ है, तब से यह क्षेत्र गलत कारणों से सुर्खियों में बना हुआ है। हालांकि, सभी निराशाजनक खबरों और अफवाहों के बीच अच्छी लिटरेसी रेट के लिए जाने जाने वाले पहाड़ी और मुख्य रूप से ग्रामीण जिले में कुछ अच्छी चीजें भी हो रही हैं।यह जिला प्रख्यात मुक्केबाज से सांसद बनीं मैरी कॉम का भी घर है, जिन्होंने मणिपुर में पहली बार हिंसा भड़कने पर एक इमोशनल ट्वीट किया था। यह वह जिला है, जहां अभी भी टेंशन है। हालांकि यहां जन्मे और पले-बढ़े एक आईएएस अधिकारी ने युवाओं की ऊर्जा को यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रेरित करने और दिशा देने के लिए एक पॉजिटिव कदम उठाया है। यह आईएएस अधिकारी हैं- राजस्थान कैडर के 2011 बैच के हौलियानलाल गुइटे।चारों ओर फैल रही नेगेटिविटी के बीच इंडियन मास्टरमाइंड्स ने लमका की इस पॉजिटिव कहानी को जानने के लिए गुइटे से बात की।
मणिपुर का सबसे बड़ा जिला
चुराचांदपुर या लमका चिन-कुकी-मिजो-जोमी नामक जनजाति बहुल इलाका है। 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां लिटरेसी रेट बहुत ऊंची है। उस वक्त यह 82.78 प्रतिशत थी। यह मुख्य रूप से ग्रामीण और पहाड़ी इलाके वाला मणिपुर का सबसे बड़ा जिला है। यहां के लोग परंपरागत रूप से सरकारी नौकरियों में हैं। दरअसल यहां की छोटी आबादी के अनुपात में सिविल सेवाओं में यहां के युवा काफी अधिक हैं।गुइटे कहते हैं, ‘यह देखते हुए कि हमारी जनजातीय आबादी कितनी छोटी है (किसी ने कटाक्ष किया कि हम सभी तो एक-दो ट्रेनों में ही भर सकते हैं!), मेरा हमेशा से मानना रहा है कि हम शिक्षा के जरिये ही खुद को सुरक्षित रख सकते हैं और जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। इसका मतलब हुआ कि सीखने की संस्कृति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना। इसका मतलब है- किताबें और किताबों के लिए लाइब्रेरी की आवश्यकता।’
सबके के लिए सुविधाजनक
इस तरह उन्होंने एक लाइब्रेरी बनाने की पहल की, जिसमें न केवल दुनिया की महान पुस्तकें, बल्कि स्थानीय भाषा के साहित्य को भी जगह मिले। ताकि उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाकर रखा जा सके।इसका नाम ‘रीडर्स नेस्ट’ रखा गया है। लेकिन यह उस आम लाइब्रेरी की तरह नहीं है, जिसकी कोई उम्मीद करता है। इसमें 150 सीटें हैं, सभी विशेष केबिन या सामान्य केबिन में। यहां 30 बिस्तरों वाला एक हॉस्टल भी है, जिनमें से 20 मुफ्त वाले हैं। बाकी 10 के लिए पैसे देने पड़ते हैं। मुफ्त वाले बेड अनाथों, दिव्यांगों और उन छात्रों के लिए हैं जिनके पास लमका में रहने के लिए घर या जगह नहीं है।
किताबें अनुरोध पर ही
नेस्ट की शुरुआत इस साल अप्रैल में हुई, जिसका उद्घाटन वुमलुनमंग वुअलनाम ने किया। वह उस समय मणिपुर सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे। अभी वह भारत सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग में एडिशनल सेक्रेटरी हैं।गुइटे कहते हैं, ‘अभी लाइब्रेरी काफी छोटी है। यहां लगभग 5000 पुस्तकें हैं, लेकिन हमारे पास एक समर्पित लाइब्रेरियन है। इसके अलावा, किताबों के सुझाव हमारे सुझाव बॉक्स में डाले जा सकते हैं और हम उन्हें जल्द से जल्द छात्रों के लिए लाने की कोशिश करते हैं।’लाइब्रेरी की बिल्डिंग के लिए कोल इंडिया ने पैसा दिया है। जबकि बीपीसीएल अपने सीएसआर के माध्यम से किताबें प्रदान करता है। परिस्थितियों को देखते हुए लाइब्रेरी का प्रबंधन करना अब मुश्किल है। फिर भी इसे शुभचिंतकों के योगदान से चलाया जा रहा है, जबकि इसे आगे चलकर अपने पैरों पर खड़ा होना है।गुइटे ने कहा, ‘हालांकि, अभी हमारे अधिकांश छात्र राज्य से बाहर चले गए हैं, इसलिए कुछ ही बचे हैं। वर्तमान में केवल हॉस्टल में रहने वाले 20 बच्चे और कुछ अन्य छात्र ही इसकी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।’मणिपुर, विशेष रूप से लमका में मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस साल जून, जुलाई और अगस्त के लिए रीडर्स नेस्ट रीडिंग रूम की फीस छात्रों के लिए 50 प्रतिशत कम कर दी गई है, जबकि हॉस्टल में रहने वाले स्पांसर्ड स्टूडेंट्स और अनाथों के लिए इसे मुफ्त रखा गया है।अधिकारी कहते हैं कि हमारे इलाकों में रहने की लागत बढ़ गई है। कई दूसरी कठिनाइयां भी पैदा हो गई हैं। फिर भी स्टूडेंट्स की पढ़ाई रोकी नहीं की जा सकती। उन्हें अवसर नहीं चूकना चाहिए। इसलिए, छात्रों की मदद के लिए यह कल्याणकारी कदम उठाया गया है।
व्हाट्सएप से कर रहे प्रेरित
गुइटे नेस्ट के व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से सभी छात्रों के साथ संपर्क में रहने और उन्हें प्रेरित रखने की कोशिश कर रहे हैं। ग्रुप में 600 से अधिक सदस्य हैं। इस ग्रुप का उपयोग दरअसल रीडर्स नेस्ट सेवाओं, नई किताबों के आने के बारे में अपडेट देने, ग्रुप के सदस्यों से सुझाव लेने और उन्हें किराये पर किताबें ऑर्डर करने के लिए किया जाता है।हालांकि, राज्य की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ग्रुप में ऐसा बदलाव किया गया है कि केवल एडमिन ही पोस्ट कर सकते हैं। गुइटे ने समझाया, ‘इंटरनेट अभी तक बहाल नहीं होने के कारण हमारे स्थानीय छात्र व्हाट्सएप का उपयोग नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा, मुझे चिंता है कि गैरजरूरी राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हो सकती है, जो कंट्रोल से बाहर भी जा सकता है। यही कारण है कि हमने ग्रुप को केवल एडमिन द्वारा पोस्ट करने तक ही सीमित रखा है।’
संघर्ष से हमारा भविष्य खराब नहीं होना चाहिए
हिंसा के बीच यह अच्छी खबर आई है कि कुकी-मिजो-जोमी समूह के 38 कैंडिडेट्स ने इस साल यूपीएससी की प्रीलिम्स परीक्षा पास की है। इसके रिजल्ट 12 जून को घोषित किए गए हैं। गुइटे ने कहा कि हमारे बहुत से स्टूडेंट्स प्रीलिम्स निकाल रहे हैं। सिविल सर्विस यकीनन एक ऐसा क्षेत्र है, जहां हम किसी से भी आगे निकल सकते हैं।उन्होंने तैयारी करने वालों से यह भी अपील की कि वे इस संघर्ष को अपने भविष्य, विशेषकर भावी डॉक्टरों और भावी नौकरशाहों के भविष्य को पटरी से उतरने न दें, जिनकी किसी भी समय, किसी भी परिस्थिति में अत्यधिक आवश्यकता होगी। वह कहते हैं कि सभी हंगामा भूल जाओ और ध्यान केंद्रित करो। इस कठिन समय में हम सभी को अपनी-अपनी भूमिकाएं निभानी हैं।
स्टूडेंट्स के कर्तव्य वही रहते हैं
पढ़ाई करना, पास होना और समाज के लिए योगदान देना।गुइटे मणिपुर में होम कैडर डेपुटेशन पर थे। उनकी आखिरी पोस्टिंग फेरजावल जिले के डीसी के रूप में थी। वह हाल ही में मणिपुर छोड़कर राजस्थान सरकार में डिसेबिलिटी कमिश्नर के रूप में शामिल हुए हैं। रीडर्स नेस्ट के बारे में वह कहते हैं कि धरातल पर इसकी देखभाल के लिए लोग मौजूद हैं। लेकिन मैं यहां से उसकी गतिविधियों पर नजर रखूंगा। चूंकि, कुछ हद तक स्थिति सामान्य होने लगी है, इसलिए लाइब्रेरी अब दिन में खुली रहती है। अगर हालात बेहतर हुए तो हम अगले महीने से रात में भी खोलेंगे।
अच्छी बातों का अच्छा असर
गुइटे का जन्म चुराचांदपुर में हुआ था। UPSC CSE में AIR 33 रहने से उन्हें राजस्थान कैडर में आईएएस में शामिल होने का मौका मिला। वह मणिपुर के सबसे कम उम्र के यूपीएससी टॉपर्स में से एक हैं। वह अब राज्य में अच्छे रैंक वाले अधिक टॉपर्स पैदा करने की क्षमता देखते हैं। खासकर अपने गृह जिले से। इसलिए कि वहां के युवा सरकारी नौकरियों में जाना चाहते हैं। इसलिए, रीडर्स नेस्ट के जरिये वह यूपीएससी और सीडीएस, एनईईटी, आईआईटी-जेईई जैसी अन्य प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के संसाधनों को करीब लाकर युवाओं के सपनों को पंख देने की कोशिश कर रहे हैं।समस्याएं आएंगी और जाएंगी, लेकिन मंजिल आंखों से ओझल नहीं होनी चाहिए। सपनों को मरने नहीं देना चाहिए। ऐसे कठिन समय में यकीनन हर पॉजिटिव स्टेप्स मायने रखता है, और रीडर्स नेस्ट जैसा एक छोटा कदम नौजवानों की ऊर्जा को सही दिशा दिखा कर उपयोगी बना सकता है।
END OF THE ARTICLE