सरिस्का टाइगर रिजर्व में 15 साल में बाघों की संख्या जीरो से 30 तक पहुंचाने की कहानी
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 13 Jul 2023, 11:07 am IST
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हाइलाइट्स
- हाल ही में सरिस्का में एक बाघिन ने दो शावकों को जन्म दिया, जिसे 7 जुलाई को देखा गया
- जून, 2008 में जब पहला बाघ यहां लाया गया था, तो उसे जहर देकर मार दिया गया था
- सरिस्का देश का पहला टाइगर रिजर्व है, जहां स्लॉथ भालू को लाया गया है
बात 15 साल पहले की है। तब राजस्थान के अलवर जिले में विशाल सरिस्का टाइगर रिजर्व (एसटीआर) में बाघों की आबादी पूरी तरह खत्म हो गई थी। देश के सबसे खूबसूरत पार्कों में से एक में एक भी बाघ नहीं रह गया था। ऐसा यहां लाए गए पहले बाघ से ही शुरू हो गया था, जिसे लोगों ने जहर देकर मार डाला था।लेकिन, अब पार्क में 30 बाघ घूम रहे हैं, जिससे सरिस्का का आकर्षण बढ़ गया है। हाल ही में 7 जुलाई को यहां दो नवजात शावकों को कैमरा ट्रैप में देखा गया, जिससे राज्य के सीएम भी खुश हो गए। सरिस्का में बाघों की यह संख्या अब तक में सबसे अधिक है।यह खूबसूरत और असाधारण कहानी 2008 में शुरू हुई, जब पहला बाघ यहां लाया गया था। दुर्भाग्य से उसकी मौत हो गई। तब से वन विभाग यहां लाए गए बाघों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। जैसे रहने की अच्छी सुविधा देना, पानी का इंतजाम, बेहतर सुरक्षित जगहों पर रखना। ये ऐसे कुछ कार्य हैं, जिन्होंने एसटीआर को बाघों के लिहाज से सफल बना दिया है। वे देश का सबसे बड़ा 22 किलोमीटर लंबा और साउंड प्रूफ फ्लाईओवर भी बना रहे हैं, जो पूरे रिजर्व को पार करेगा। इससे यह वन्यजीवों के लिए शांतिपूर्ण हो जाएगा।अधिक जानकारी लेने के लिए इंडियन मास्टरमाइंड्स ने एसटीआर के फील्ड डायरेक्टर और 2005 बैच के आईएफएस अधिकारी रूप नारायण मीणा और डीसीएफ टाइगर प्रोजेक्ट, 2012 बैच के आईएफएस अधिकारी देवेंद्र प्रताप जगावत से बात की।
बढ़ती संख्या
2004-05 में एसटीआर में बाघों की संख्या जीरो हो गई थी। इसके बाद बाघों की आबादी के लिए संघर्ष शुरू हुआ। लेकिन, यह आसान नहीं था। इसलिए कि एसटीआर को पुराने स्वरूप में लाने के लिए बाघों के ट्रांसफर का कड़ा विरोध किया गया था। विरोध करने वालों में कुछ टाइगर एक्सपर्ट भी थे। लेकिन, अधिकारी ट्रांसफर योजना पर आगे बढ़े।जून, 2008 में रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एक बाघ को लाया गया और इसे एसटी-1 नाम दिया गया। दुर्भाग्यवश, उसे जहर देकर मार दिया गया। मामला अभी भी कोर्ट में है। इसके बाद एसटी-2 को लाया गया। इन दोनों को हेलीकॉप्टर से लाया गया था। दिलचस्प बात यह है कि एसटी-2 अभी भी जीवित है लेकिन बाड़े में है। अब उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा है।पिछले एक साल में चार शावकों का जन्म हो चुका है। इनमें से दो का जन्म एसटी-14 और दो का जन्म एसटी-19 से हुआ। नवजात शावक तीन महीने के लग रहे हैं और इन शावकों का पिता एसटी-18 नाम का बाघ है। अब यहां कुल 30 बाघ हैं। इनमें 14 मादा, 8 नर और 8 शावक हैं। वर्ष 2000 के बाद से रिजर्व में बाघों की यह सबसे अधिक संख्या है। विशेषज्ञों के मुताबिक, एसटीआर में 40 से 42 बाघ रह सकते हैं।
इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए फील्ड डायरेक्टर (एफडी) रूप नारायण मीणा ने कहा, “यह एसटीआर के लिए अच्छी खबर है कि यह संख्या साल दर साल बढ़ रही है। इसके लिए कई तरह के कार्य किए गए हैं, जिससे जल संरक्षण, सुरक्षा, बेहतर आवास और पुनर्वास सहित एसटीआर में परिदृश्य बदल गया है। बहुत जल्द ही यह देश का सर्वोत्तम पार्क होगा। बाघ अब रिजर्व के विभिन्न हिस्सों में घर बना रहे हैं।
सफलता की कहानी
बाघ संरक्षण के लिए एसटीआर में कई पहल की गई हैं। जल संरक्षण उन प्रमुख कदमों में से एक है जिसने एसटीआर की दिशा बदल दी। दूसरा है- गांवों का रीलोकेशन। एक अत्यधिक कुशल टीम की देखरेख में उसके ठिकानों में सुधार किया गया है और ‘ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग’ प्रणाली को मजबूत किया गया है। यह किसी भी टाइगर रिजर्व की रीढ़ होती है। इन प्रयासों के अब अच्छे परिणाम मिलने लगे हैं।
श्री मीणा ने कहा- वन्यजीवों के किसी भी संरक्षित क्षेत्र के लिए गांवों का पुनर्वास सर्वोच्च प्राथमिकता है। पिछले तीन वर्षों में हमने चार गांवों को पूरी तरह से रिलोकेट कर दिया है। यह एसटीआर की सबसे बड़ी सफलता है। 2008 से 2020 तक एसटीआर में केवल तीन गांवों का रीलोकेशन किया गया। लेकिन मेरे कार्यकाल में यानी 2020 से अब तक, हमने केवल तीन वर्षों में चार गांवों का रीलोकेशन किया है। मैंने 100 प्रतिशत गांवों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया।
उन्होंने यह भी बताया कि एक समय था जब इस क्षेत्र को आंदोलन भूमि कहा जाता था, क्योंकि यहां हमेशा कोई न कोई आंदोलन चलता रहता था। लेकिन, अब स्वस्थ संवाद और उनके साथ अच्छे संबंध विकसित होने के कारण अंदर और बाहर रहने वाले स्थानीय ग्रामीणों का अच्छा समर्थन मिल रहा है। नीति निर्माताओं, प्रशासन और पुलिस का भी अच्छा सहयोग मिल रहा है। जिस क्षेत्र में बाघिन ने हाल ही में जन्म दिया है, उसे 2012 में रिजर्व में शामिल किया गया था।पिछले कुछ वर्षों में भी सफल ट्रांसलोकेशन हुए हैं। वन विभाग ने न केवल बाघों का ट्रांसलोकेशन किया, बल्कि देश का पहला स्लॉथ बियर ट्रांसलोकेशन भी सफलतापूर्वक किया। उन्होंने एक स्लॉथ बियर को माउंट आबू से एसटीआर में ट्रांसफर किया।
रीलोकेशन
किसी भी टाइगर रिजर्व के लिए रीलोकेशन सबसे बड़ा और कठिन कार्य होता है। एसटीआर में पार्क के अंदर कुल 29 गांव हैं। सात को पूरी तरह से रीलोकेट कर दिया गया है और छह अभी भी प्रक्रिया में हैं। गांवों का रीलोकेशन करके और टाइगर रिजर्व में बफर क्षेत्र जोड़कर बाघों के लिए नए अछूते क्षेत्र बनाए गए हैं।
श्री मीणा ने कहा, “2020 से पहले प्रशासन कहता था कि रीलोकेशन के लिए जमीन नहीं है। जब मैं आया, तो मेरा पहला काम गांव वालों के लिए सबसे अच्छी जमीन ढूंढना था। हमने उन्हें तिजारा भिवाड़ी के पास अच्छी जमीन उपलब्ध कराई। मैंने परिवार की महिलाओं को नई धरती दिखाने का बीड़ा उठाया और उनकी भागीदारी सुनिश्चित की। यदि आपमें इच्छाशक्ति है और सरकार के ध्यान में सही रास्ता लाते हैं, तो कोई कारण नहीं है कि काम नहीं होंगे।”
अब ग्रामीण खुशी-खुशी नई जगह पर बसने के लिए आगे आ रहे हैं।
पानी का इंतजाम
एसटीआर की सफलता के पीछे रीलोकेशन के साथ-साथ जल संरक्षण भी सबसे बड़ा कारण है। पिछले कुछ वर्षों में एसटीआर में जल संरक्षण पर काफी नए कार्य हुए हैं। पानी की उपलब्धता पर अधिक ध्यान दिया गया, ताकि जानवर वन क्षेत्र से बाहर न जाएं।जो जलस्रोत सूख जाते थे और महीनों तक सूखे रहते थे, वे कई उपायों के कारण अब पानी से भरे हुए हैं। ऐसा ही एक कदम है सोलर पंप। उन्होंने वॉटर पॉइंट्स पर सोलर पंप लगाए हैं, जिससे वॉटर होल्स में हर वक्त पानी रहता है।
डीसीएफ देवेंद्र प्रताप जगावत ने कहा, ”पानी लगातार मिलता रहे तो शाकाहारी जीवों की आबादी बढ़ती है। इससे बाघों को काफी फायदा होता है. सोलर पंपों ने इसे ठीक रखने में बहुत मदद की।
अवैध शिकार रोकना
अवैध शिकार किसी भी वन्यजीव संरक्षण प्रयास के लिए बड़ा खतरा है। श्री मीणा ने कहा, “हमने अवैध शिकार को रोकने के लिए कड़ी मेहनत की है। ग्रामीणों के साथ अच्छा तालमेल ऐसी अवैध शिकार की घटनाओं को रोक सकता है, क्योंकि वे किसी भी संरक्षित क्षेत्र में सबसे पहले मुखबिर होते हैं।”श्री जगावत ने कहा कि सुरक्षा स्तर में वृद्धि हुई है जिससे एसटीआर को बड़े पैमाने पर मदद मिली है।
क्यों जाएं एसटीआर
एसटीआर में टूरिस्टों को क्या आकर्षित करता है? श्री जगावत के अनुसार, वहां के जंगल की क्वालिटी अन्य स्थानों की तुलना में काफी बेहतर है। उन्होंने कहा, “यहां हरा-भरा जंगल है। नजारा बहुत सुंदर है, जो पहाड़ों के साथ मिलकर एक बेजोड़ दृश्य बनाता है।”हाल ही में अलवर के पास एक नया रूट खोला गया है। इससे 35 किलोमीटर की यात्रा की लंबाई कम हो गई है, और लोग अलवर से ही एसटीआर के लिए रास्ता ले सकते हैं। साथ ही तीन नए रूट भी प्रस्तावित किए गए हैं।एसटीआर 1,281 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और छह श्रेणियों में बंटा है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशानिर्देशों के अनुसार, राजस्थान सरकार ने 2007 में 881.1 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को महत्वपूर्ण बाघ निवास स्थान के रूप में घोषित किया था।
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