तीन महिला आईपीएस अधिकारियों ने हिमाचल में चलाया बचाव अभियान, कुल्लू की एसपी ने हेलीकॉप्टर से गिराए सैटेलाइट फोन
- Sharad Gupta
- Published on 14 Jul 2023, 10:08 am IST
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हाइलाइट्स
- मंडी की एसएसपी सौम्या संबाशिवन, कुल्लू की एसपी साक्षी वर्मा कार्तिकेयन और कांगड़ा की एसपी शालिनी अग्निहोत्री ने कायम की मिसाल
- मंडी और कुल्लू सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं, कांगड़ा में इस सप्ताह के अंत में बहुत भारी बारिश की आशंका है
- जोनाली बुरागोहेन और पल्लवी प्रिया के इनपुट के साथ
चूंकि हिमाचल प्रदेश इन दिनों अभूतपूर्व बारिश और बाढ़ का सामना कर रहा है। इससे बड़े पैमाने पर तबाही हो रही है। इस कठिन घड़ी में महिला आईपीएस अधिकारी बचाव और राहत कार्यों में सबसे आगे हैं। सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलों में कुल्लू और मंडी हैं। इन दोनों जिलों में महिला एसपी हैं। ऐसा ही कांगड़ा में है, जो ब्यास नदी का जलग्रहण क्षेत्र है। वहां इस सप्ताह के अंत में बहुत भारी वर्षा की आशंका जताई गई है।तीनों महिला पुलिस अधिकारी अपने-अपने जिलों में सराहनीय काम कर रही हैं। वे खुद मौके पर मौजूद रहकर बचाव और राहत अभियानों की अगुआई कर रही हैं। वे सचमुच तूफान के सामने डट कर खड़ी हैं।
इंडियन मास्टरमाइंड्स से विशेष बातचीत में तीनों आईपीएस अधिकारियों- कुल्लू की एसपी साक्षी वर्मा कार्तिकेयन, मंडी की एसएसपी सौम्या संबाशिवन और कांगड़ा की एसपी शालिनी अग्निहोत्री ने ग्राउंड जीरो से वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी। बताया कि वे कैसे हालात को संभाल रही हैं।
कुल्लू: एसपी साक्षी वर्मा कार्तिकेयन, आईपीएस-2014
कुल्लू जिले के तीन महत्वपूर्ण सबडिविजन- मनाली, बंजार और मणिकरण- प्रकृति के प्रकोप का खामियाजा भुगत रहे हैं। अभूतपूर्व वर्षा और उसके कारण अचानक आई बाढ़ ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है। ऐसी खबरें हैं कि मणिकरण सबडिविजन में आने वाली सैंज घाटी में 60 दुकानें और घर बह गए हैं। यह सैंज घाटी और कसोल, दोनों लोकप्रिय पर्यटन केंद्र हैं, जहां एसपी साक्षी वर्मा कार्तिकेयन ने हेलीकॉप्टर से सैटेलाइट फोन गिराए।
उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा, “मैंने कसोल और सैंज में सैटेलाइट फोन गिराने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया, क्योंकि ये क्षेत्र पूरी तरह से कटे हुए और दुर्गम थे। न बिजली थी, न मोबाइल कनेक्शन। यहां तक कि वायरलेस सेट भी काम नहीं कर रहे थे। इसलिए हमने वहां फंसे लोगों से संपर्क बनाने के लिए यह कदम उठाया।”
एक बार जब उन्हें वहां लोगों की सही संख्या, उनके नाम और उनके सटीक स्थान के बारे में पता चल गया, तो यह जानकारी उनके चिंतित रिश्तेदारों और दोस्तों को दे दी गई। कंट्रोल रूम में ऐसी जानकारी मांगने वाली संकटपूर्ण कॉलों की बाढ़ आ गई है।
सुश्री कार्तिकेयन ने कहा, “कसोल अपने आप में अलग हो गया था। हमें जानकारी मिली कि वहां कई टूरिस्ट फंसे हुए हैं। इसलिए हमने उनमें से कुछ को सुरक्षित वापस लाने के लिए पुलिसकर्मियों और स्वयंसेवकों को पैदल भेजा। अन्य को बचाने के प्रयास जारी हैं।” जानकारी मिली है कि करीब 15 रूसी पर्यटक अभी भी वहां फंसे हुए हैं। उन्होंने सैटेलाइट फोन के जरिए रूसी दूतावास से संपर्क किया था और इस तरह उनके ठिकाने का पता चला।ऐसे भी उदाहरण हैं कि स्थानीय पुलिस चौकियों के पुलिसकर्मी फंसे हुए टूरिस्टों से मिलने और उन्हें वापस लाने का संदेश देने के लिए कीचड़ और फिसलन भरी पहाड़ियों के बीच से गुजर रहे हैं। वे उनके सुरक्षित रहने के संदेश दे रहे हैं, ताकि पुलिस वॉर रूम उनके बेचैन परिवारों को सूचित कर सके। लोगों को नीचे लाने के लिए जहां भी संभव हुआ ट्रांसशिपमेंट वाहनों का भी उपयोग किया गया।
अधिकारी ने आगे बताया कि “यहां तक कि कुल्लू शहर भी रविवार से मंगलवार रात तक बिजली और पानी के बिना था। हम सड़कों पर फंसे लोगों को नाश्ता और जलपान दे रहे थे और सुरक्षित मार्ग बनने पर सावधानी से उन्हें आगे बढ़ने दे रहे थे।”
मंडी: एसपी सौम्या संबाशिवन, आईपीएस-2010
मंडी जिले में भी बारिश का कहर बहुत अधिक रहा। पुल, घर, सड़कें अभी भी पानी में डूबी हुई हैं। कम्युनिकेशन नहीं हो पाने से बड़ी समस्याएं पैदा हो गई हैं। पुलिस स्टेशनों और बीएसएफ के बीच कम्युनिकेशन ठप हो गया है। दरअसल, बीएसएफ स्टेशन को खाली कराना पड़ा है।सौम्या संबाशिवन और उनकी टीम कम्युनिकेशन के लिए वॉकी टाकी और सैटेलाइट फोन का उपयोग कर रही है। पंडोह फैम के पास दस लोगों को बचाया गया, जबकि 10 जुलाई को पंचवक्त्र मंदिर के पास ब्यास नदी के किनारे झुग्गियों से 80 लोगों को बचाया गया। हालांकि लगभग पांच मौतों की सूचना मिली है, लेकिन संख्या निश्चित नहीं है। अधिकारी ने कहा, अनिश्चितता उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
जब इंडियन मास्टरमाइंड्स ने उनसे बात की, तो वह क्षेत्र में थीं और कुल्लू से आने वाले टूरिस्टों की मदद कर रही थीं। उन्होंने कहा, “हमें लापता टूरिस्टों के बारे में दिल्ली से कई फोन आए। बिजली की कमी के कारण कम्युनिकेशन मुश्किल है। हालांकि, हमने क्षेत्र में लगभग हर टूरिस्ट का पता लगा लिया है, उनकी आवाजाही को रोक दिया है, और स्थानीय सराय और गुरुद्वारों में उनके ठहरने की व्यवस्था की है। लोग बेहद तनाव में हैं और हम हर संभव तरीके से उनकी परेशानी कम करने की कोशिश कर रहे हैं।”
कांगड़ा: एसपी शालिनी अग्निहोत्री, आईपीएस-2012
ब्यास नदी के जलग्रहण क्षेत्र में स्थित होने के कारण कांगड़ा में बहुत अधिक बाढ़ या विनाश नहीं हुआ है। हालांकि नदी अब उफान पर है, लेकिन इसके किनारे रहने वाले लोगों को पुलिस ने पहले ही सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है।एसपी शालिनी अग्निहोत्री ने कहा, “नदी के किनारे के लोगों के अलावा हमने खानाबदोश गुर्जर समुदाय के लगभग 550 पशुओं वाले 35 परिवारों को भी हटा दिया है। ये अस्थायी रूप से नदी के पास बस गए थे। इनमें ज्यादातर प्रवासी और मजदूर थे। हम उन्हें सुरक्षित क्षेत्र में ले गए, लेकिन वे किसी अन्य क्षेत्र में चले गए, जैसा कि उनकी जीवनशैली है। ”वह एक और समस्या का सामना कर रही हैं। वह यह कि ब्यास नदी अपने साथ ऊंचे क्षेत्र से लकड़ियां ला रही है और उन्हें जलग्रहण क्षेत्र में जमा कर रही है। ये लकड़ियां बेहद कीमती हैं और स्थानीय लोग इन्हें खींचने के लिए पानी में उतरते हैं। इसलिए लोगों को पानी में जाने से रोकने के लिए पुलिस इस इलाके में लगातार निगरानी रख रही है।
वह कहती हैं, “हालांकि ब्यास नदी शांत दिखती है, लेकिन अभी इसमें बहुत तेज अंतर्धारा है। इसके कारण लोग बह सकते हैं और डूब सकते हैं। इसलिए, मैंने लोगों को तट के पास जाने से रोकने के लिए चौबीसों घंटे गश्त करा दी है।”एक व्यक्ति की डूबने से मौत की सूचना मिली थी, लेकिन बाद में पता चला कि वह व्यक्ति दुर्घटनावश तब डूब गया जब वह एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद नहाने गया था।बहरहाल, सुश्री अग्निहोत्री अब आगे आने वाली वास्तविक चुनौती के लिए तैयार हो रही हैं। इसलिए कि आने वाले सप्ताह के अंत में बहुत भारी बारिश होने की आशंका जताई गई है। मौसम की खबरें लगातार चेतावनियों के साथ आ रही हैं।अधिकारी ने कहा, “हम संवेदनशील निचले इलाकों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने जैसे कई एहतियाती कदम उठा रहे हैं। हम उन्हें गुरुद्वारों, होटलों और कामचलाऊ ठिकानों में रख रहे हैं। मैंने अपनी सभी बचाव टीमों को फ्लोटर रिंग, रस्सियां, फोल्डिंग सीढ़ी, हेड टॉर्च जैसी आवश्यक वस्तुओं से भी लैस कर दिया है, जिन्हें इमरजेंसी में फौरन उपयोग के लिए उनकी गाड़ियों में रखा जाएगा।
इस बीच, जिला विदेशी टूरिस्टों से भी भर रहा है। उनमें से अधिकतर ने कुल्लू और मंडी की अपनी तय यात्रा रद्द कर दी है। इसके बजाय उन्होंने कांगड़ा घाटी का विकल्प चुना है। इसलिए, पुलिस विभाग भी उन पर कड़ी नजर रख रहा है। उन्हें चेतावनी दी जा रही है कि भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति में क्या करना है और क्या नहीं करना है।सुश्री अग्निहोत्री ने कहा, “हम किसी भी तरह के तूफान के लिए तैयार हैं। मैं पहले कुल्लू और मंडी में तैनात थी, इसलिए मुझे ऐसी तैयारियों के बारे में पता है। ”एक और महिला आईपीएस अधिकारी हैं- सतवंत अटवाल त्रिवेदी। यह आईपीएस अधिकारी आपदा प्रबंधन की डीजीपी हैं। आपदा प्रबंधन का काम उनकी ही कुशल निगरानी में है। उन्होंने कहा, “मैं इन आईपीएस अधिकारियों की टीम में होने के लिए खुद को भाग्यशाली मानती हूं। उनसे और उनके अनुभवों से सीखने के लिए बहुत कुछ है।”
सुपरवुमेन से सबक
सिर्फ सुश्री अग्निहोत्री ही नहीं, बल्कि हम सभी इन महिला पुलिस अधिकारियों से संकट से निपटना सीख सकते हैं। जैसे कि वे शांति से अपना काम कर रही हैं, संकट को सहजता से संभाल रही हैं और इसे कंट्रोल से निकलने नहीं दे रही हैं। साथ ही, अपनी टीमों के साथ मिलकर तूफान का सामना करने का कष्ट उठाना, उनमें आत्मविश्वास जगाना और इस प्रक्रिया में लोगों का विश्वास हासिल करना भी कम महत्वपूर्ण नहीं है।उनमें से प्रत्येक का परिवार है। जैसे कुल्लू की एसपी साक्षी वर्मा कार्तिकेयन एक बच्चे की मां हैं। फिर भी खराब मौसम में भी वह अपने जिलों में अन्य परिवारों की मदद कर रही हैं, उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित कर रही हैं। इसमें कोई ढिलाई नहीं दिखातीं। बहरहाल, मौसम में सुधार का कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में आगे क्या होगा, कुछ नहीं कहा जा सकता है। यह देखते हुए कि कम्युनिकेशन भी टूटा पड़ा है।
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