जब एक ‘लाट साहब’ ने एक लड़की को बचाया… और यह एक मुहिम बन गई!
- Bhakti Kothari
- Published on 24 Oct 2021, 10:01 am IST
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हाइलाइट्स
- कोई भी उस छोटी सी लड़की की दुर्दशा को नहीं देख रहा था या देखना नहीं चाहता था
- उसे इतनी कम उम्र में बिना किसी के गलती के जेल परिसर में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा
- लेकिन एक दिन आईएएस डॉ. संजय अलंग आए और फिर एक मुहिम चल पड़ी
- बच्ची को जेल से बाहर निकालते डॉ. अलंग
बहुत वक्त बीत गया था, लेकिन किसी का भी ध्यान उस तरफ नहीं जा रहा था या यूं कहे कि कोई ध्यान देना ही नहीं चाहता था। एक छोटी बच्ची एक ऐसी दुर्गम जगह पर थी, जहां उसे किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए था। किसी को भी इसमें कुछ प्रतिकूल या गलत नहीं लग रहा था कि आखिर इतनी छोटी बच्ची बिना किसी गलती के, जेल जैसी खतरनाक जगह पर कैसे रह सकती है! यहां तक कि जेल के अधिकारियों को भी इसमें कुछ भी असामान्य नहीं नजर आ रहा था।
लेकिन फिर एक दिन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के तत्कालीन जिला कलेक्टर डॉ. संजय कुमार अलंग जेल परिसर में आते हैं और उस बच्ची के लिए सब कुछ बदल जाता है। दरअसल, डॉ. अलंग जेल परिसर का आधिकारिक चक्कर लगा रहे थे। अपनी ड्यूटी निभाते हुए, डॉ. अलंग जेलों के कैदियों के व्यक्तिगत विवरणों का सत्यापन और परीक्षण कर रहे थे। उसी समय, वह इस बात की जांच कर रहे थे कि ड्यूटी पर नियुक्त पुलिस अधिकारी जेल और उसके आस-पास के परिवेश का कैसे देख-रेख कर रहे हैं और इस पर वो अपनी चिंताओं को सहयोगियों से साझा कर रहे थे। तभी, उनकी नजर एक ऐसे परिदृश्य पर गई, जिसने उनके माथे पर अचानक से शिकन पैदा कर दी।
पहली मुलाकात
एक डरी-सहमी छोटी लड़की महिला कैदियों के एक समूह के बीच एक बेंच पर बैठी हुई थी। उसकी चमकती आंखों ने एक आईएएस अधिकारी के दिल को छू लिया था, और उससे मिलने के लिए मजबूर कर दिया। वह उसके पास गए और उससे पूछताछ की। बातचीत से उन्हें पता चला कि सान्या (डॉ. अलंग के अनुरोध पर बच्ची का बदला हुआ नाम) की मां पीलिया के कारण गुजर गईं थी, तब वह सिर्फ 15 दिन की थी। उसके पिता एक गंभीर अपराध के दोषी थे और अब जेल में पांच साल की सजा काट रहे थे। इसीलिए सान्या को भी उसके पिता के साथ जेल भेजना पड़ा, क्योंकि उसकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई और नहीं था।
बिना किसी गलती के ही जेल में रहने को मजबूर एक प्यारी सी छोटी बच्ची की कहानी ने डॉ. अलंग का दिल तोड़ दिया था और उन्होंने उसी पल सान्या की पूरी जिम्मेदारी उठाने का मन बना लिया।
जिम्मेदारी निभाना
इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ एक विशेष बातचीत में डॉ. संजय अलंग ने हमसे इस बहुत ही असामान्य मामले के बारे में विस्तार से बात की और साथ ही, यह भी बताया कि आखिरकार कैसे वह इस लड़की के मुक्तिदाता और अभिभावक बन गए!
डॉ. अलंग एक लेखक और कवि भी हैं और उन्होंने छत्तीसगढ़ के इतिहास और कल्चर पर कई किताबें भी लिखी हैं। वो कहते हैं कि सान्या को जेल से बाहर निकालना और एक अच्छे स्कूल में ले जाना, किसी भी बाहरी कारक द्वारा प्रेरित नहीं था। जब वह उसके पास पहुंचे और उससे पूछा कि वह क्या करना चाहती है, तो उसने बस यह जवाब दिया कि वह ‘एक बड़े स्कूल में पढ़ना चाहती है’, और तुरंत उसी पल उसके लिए कुछ करने की प्रेरणा ने उनके मन में पनाह ले ली। फिर उन्होंने स्कूल में उसके दाखिले की संभावनाओं के बारे में जानकारी इकठ्ठा करनी शुरू कर दी।
यह पूछे जाने पर कि वह किस तरह से इतना सब कुछ करने में कामयाब रहे? डॉ. अलंग जवाब देते हुए कहते हैं, “समाज उन बहुत से लोगों से भरा हुआ है जो आपकी मदद करने के लिए तैयार हैं। जब आप अपने दिल में अच्छे इरादों के साथ, कुछ बेहतर करने के लिए बाहर जाते हैं, तो दुनिया मदद देने के लिए आगे आती है। जिस स्कूल में मैंने उसका दाखिला कराया, उसकी भी इसमें बड़ी भूमिका है।”
एनजीओ ने डॉ. अलंग की मुहिम को आगे बढ़ाया!
डॉ. अलंग की मुहिम का अनुसरण करते हुए, विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों ने भी अभिभावकों के कारनामों के लिए जेल में बंद अन्य बच्चों की मदद करने के लिए कदम आगे बढ़ाए हैं, साथ ही वे अच्छे स्कूलों में उनके दाखिले के लिए भी मदद कर रहे हैं जिससे कि बेहतर शिक्षा और सुविधाओं तक बच्चों की पहुंच हो पाए।
आज के युवाओं और आम जनता के लिए, डॉ. अलंग अपना संदेश देते हुए कहते हैं, “सचेत रहें, सजग रहें, स्वस्थ रहें।” साथ ही वो आगे यह भी जोड़ते हैं कि “खूब पढ़ें, खूब बढ़ें।”
डॉ. अलंग का मानवतावादी कार्य बेहद फलदायी सिद्ध हुआ है। इसने अन्य लोगों को भी आगे आकर जेल के कैदियों के बच्चों के लिए मदद करने और उनके बेहतर भविष्य के लिए कदम उठाने को प्रेरित किया है। इस तरह की पहलों को इस विश्वास के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है कि बच्चों को दूसरों की गलती की सजा नहीं मिलनी चाहिए और सिर्फ इस वजह से उन्हें अवसरों से महरूम नहीं करना चाहिए।
वर्तमान में बिलासपुर मण्डल के डिविजनल कमिश्नर डॉ. अलंग ने खुद भी इस बड़े कार्य को अंजाम दिया है और वो आगे भी इस मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने में व्यस्त हैं। इंतजार रहेगा कि क्या कितने अन्य लोग उसकी अगुवाई करते हैं और इस मुहिम को कामयाब बनाने में आगे आते हैं!
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