गुमला को ऐसे मिला झारखंड का पहला पीएम उत्कृष्टता पुरस्कार
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 1 Jun 2023, 1:00 pm IST
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हाइलाइट्स
- रागी मिशन से लेकर एनीमिया और टीबी उन्मूलन के लिए झारखंड को पहला प्रधानमंत्री पुरस्कार मिला
- गुमला के डीसी सुशांत गौरव को सिविल सेवा दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए मिला पुरस्कार
- 2014 बैच के आईएएस अधिकारी अब गुमला को प्रेरणादायी जिला बनाना चाहते हैं
स्थापना के दो दशकों के बाद पहली बार झारखंड कैडर के आईएस अधिकारी को प्रशासन में अनुकरणीय कार्य के लिए प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार मिला है।
गुमला को इसके समग्र विकास के लिए नीति आयोग द्वारा चुने गए 112 आकांक्षी जिलों में चुना गया था।
2014 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी और गुमला के उपायुक्त (डीसी) सुशांत गौरव को उनके ‘मिशन रागी’ कार्यक्रम के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया। अत्यंत गरीब और नक्सली उग्रवाद से प्रभावित होने के बावजूद गुमला को इसके अभिनव कार्यों के लिए चुना गया था।
गुमला ने एनीमिया और टीबी को खत्म कर दिया है। अब अपने मिशन रागी और बांस विकास कार्यक्रमों के साथ एक नई क्रांति देख रहा है।
इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ बातचीत में गुमला के डीसी सुशांत गौरव ने कहा, ‘इस पुरस्कार के लिए जूरी ने पहचाना कि इसमें कितने क्षेत्र शामिल थे और किसमें कितनी गहराई और तीव्रता थी। अब हमारा उद्देश्य इस आकांक्षी जिले को एक परिवर्तनकारी और प्रेरणादायक जिले में बदलना है।’
मिशन रागीः
राजधानी रांची से 100 किलोमीटर दूर गुमला सिर्फ एक फसल धान पर निर्भर है। इसलिए जिला प्रशासन ने एक फसली खेती को खत्म करने की पहल की और मिशन रागी की शुरुआत की। मोटे अनाज की खेती 1,600 एकड़ भूमि में एक अभियान के तौर पर शुरू की गई। लोगों को राष्ट्रीय बीज निगम से मिले उच्च गुणवत्ता वाले बीज दिए गए। इसके लिए किसानों को भी प्रशिक्षित किया गया। एक बड़ा रागी प्रसंस्करण केंद्र स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा संचालित किया गया था, जिससे उच्च गुणवत्ता वाला आटा मिलता है।
गौरव अब गुमला को पूर्वी भारत की रागी राजधानी के रूप में देखना चाहते हैं। इसलिए कि वह समाज कल्याण विभाग द्वारा कुपोषित बच्चों को वितरित किए जाने वाले बाजरे के लड्डू और बिस्किट जैसे कई उत्पाद बनाने की बात करते हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘आप इसे ऐसे देख सकते हैं कि यह न सिर्फ कृषि की बड़ी सफलता है, बल्कि महिलाओं को भी सशक्त बनाती है। साथ ही कुपोषण को खत्म करती है। 1,600 एकड़ से शुरू होकर रागी की खेती अब 3,500 एकड़ में फैली हुई है। इसके शुद्ध उत्पादन में भी 300 फीसदी की वृद्धि हुई है।’
धान की खेती करने वाले करीब 29,000 किसान अब 27,000 एकड़ भूमि पर रागी की खेती से जुड़ रहे हैं।
गौरव को महीने के अंत तक 30,000 एकड़ रागी की खेती की उम्मीद है, क्योंकि एसएचजी 50 टन से अधिक बीज वितरित कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन केवल दो वर्षों में एक ऐसी सफलता के रूप में आया है जिसे मैं चाहता था, लेकिन देख नहीं पा रहा था।
कुपोषण से लड़ाईः
घर-घर सर्वे में कुपोषण से पीड़ित लोगों की पहचान की गई। उसी तरह से इलाज करने से अच्छे परिणाम मिले। हर 6 महीने के भीतर फॉलो-अप के लिए ब्लू कार्ड जारी किए गए। लगभग सभी स्कूलों में वजन तौलने वाली मशीन और दीवारों पर ऊंचाई चार्ट पेंट करवाने से भी इसकी निगरानी आसान हो गई। अधिकारी ने कहा, ‘साथ ही मध्याह्न भोजन में सहजन और करी पत्ते का प्रयोग अनिवार्य किया गया।’
बांस के कामः
बांस की मांग सामने आने पर एक सर्वेक्षण किया गया और 1,153 परिवार बांस के काम से जुड़े पाए गए।
उन्हें बांस शिल्प विकास केंद्र के साथ 8 समूहों में विभाजित किया गया था, जिससे इन परिवारों की आय दोगुनी करने में मदद मिली।
स्पोर्ट्स बैंकः
199 स्कूलों की मरम्मत और 112 स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं शुरू होने के बाद गौरव ने सभी बच्चों के लिए खेल भी सुनिश्चित करने की ओर रुख किया। कई ओपन जिम के अलावा तीन सब-डिवीजन में इंडोर स्टेडियम बनाए गए। खेल का सामान जर्मनी से आयात करके स्पोर्ट्स इक्विपमेंट बैंकों में रखा जाता था, जहां से कोई भी इस्तेमाल कर सकता था।
उपायुक्त सुशांत गौरव ने गुमला को एक प्रेरणादायक जिला बनाने के उद्देश्य से पंचायतों के डिजिटलीकरण के अलावा दिव्यांगता पहचान और दिव्यांगों के कल्याण के लिए भी काम किए हैं।
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