जब बिहार के एक आईएएस अधिकारी का आइडिया बना हजारों महिलाओं के जीवन को बचाने वाला ‘वंडर ऐप’!
- Raghav Goyal
- Published on 28 Oct 2021, 10:39 am IST
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हाइलाइट्स
- बदलाव के वाहक कैसे होते हैं, वो ऐसा क्या करते हैं जिससे आमजनों का जीवन आसान हो जाता है और समाज को एक नई दिशा भी मिलती है?
- बिहार के दरभंगा जिले में तकनीक के माध्यम से हजारों जाने बचाने वाले आईएएस की कहानी बहुत प्रेरक है।
- इन्होंने मातृ स्वास्थ्य निगरानी डिजिटल ऐप प्रदान करके, मातृ-मृत्यु दर (एमएमआर) को राज्य में बहुत कम कर दिया है।
- बिहार के दरभंगा जिले में कई महिलाओं की जान बचाने वाले डॉ. त्यागराजन एसएम (फोटो क्रेडिट: ट्विटर/डीएम दरभंगा)
जन्म या गर्भावस्था से संबंधित जटिलताओं के कारण मातृ-मृत्यु (मैटरनल डेथ) की घटनाएं भारत में सबसे अधिक होती हैं। इसके मद्देनजर, देश में मातृ-मृत्यु दर (एमएमआर) को कम करने के लिए अलग-अलग स्तरों पर कई ‘चिकित्सा लड़ाइयां’ लड़ी जा रही हैं, जिसमें अलग-अलग तरह से कई सफलताएं भी हैं और असफलताएं भी। इसी संबंध में, बिहार के दरभंगा जिले में जिला कलेक्टर त्यागराजन एसएम ने एक ऐप लॉन्च किया और देखते ही देखते यह बेहद लोकप्रिय भी हो गया है, कारण बिलकुल साफ है कि इससे कई महिलाओं की जान बचाने में मदद मिली है।
जब से यह ऐप पेश किया गया है और आम जनता के बीच लोकप्रिय हुआ है, इसने दरभंगा में हजारों महिलाओं की जान बचाई है। इसीलिए इसमें कोई शक नहीं, अब इसे एक ‘करामाती ऐप’ यानी ‘वंडर ऐप’ (‘WonderApp’) के रूप में पहचाना जा रहा है।
मातृ स्वास्थ्य निगरानी ऐप लॉन्च करने का विचार
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की मौतों को रोकने के लिए, 2011 बैच के आईएएस अधिकारी त्यागराजन एसएम ने गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए ‘वंडर ऐप’ नामक एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के बेहतरीन विचार के साथ सामने आए। दरअसल यह शानदार आइडिया इलिनोइस के प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, 40 वर्षीय अनुभवी नर्मदा कुप्पुस्वामी के दिमाग की उपज थी, जिसे दुर्भाग्य से वो तमिलनाडु के इरोड में लागू करने में असफल रहे थे।
त्यागराजन एसएम कहते हैं, “ऐप को तमिलनाडु में पूर्ण रूप से लॉन्च नहीं किया गया था, लेकिन अगस्त 2019 में इसे दरभंगा में लॉन्च किया गया।”
इस प्रक्रिया में, बिहार ऐसा पहला भारतीय राज्य बन गया है, जहां इस डिजिटल एप्लिकेशन का उपयोग करके गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है।
भारतीय मास्टरमाइंड्स के साथ एक विशेष साक्षात्कार में डॉ. त्यागराजन एसएम ने दरभंगा जिले में इस ऐप को लागू करने की आवश्यकता के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “बिहार का एमएमआर अन्य राज्यों की तुलना में बहुत अधिक है, इसी तरह दरभंगा भी राज्य के अन्य जिलों की तुलना में मातृ-मृत्यु दर में बहुत आगे है। जब भी हमने जिले में मातृ-मृत्यु दर की समीक्षा की, तो हमारे सामने कई जटिलताएं उभर कर सामने आयीं, क्योंकि पहले से मौजूद प्रणाली अधिक उत्तरदायी नहीं थी। इसलिए, इन जटिलताओं से निपटने के लिए इस एप्लिकेशन को पूर्ण रूप से और सही तरीके से लॉन्च करना अत्यंत आवश्यक हो गया था।”
यह काम कैसे करता है
‘वंडर ऐप’ को डिजिटल रूप से संचालित किया जाता है, जिसमें महिलाओं को अपना मूल विवरण दर्ज करके खुद को पंजीकृत करने की जरूरत होती है। विवरण सूचीबद्ध होने के बाद, जिले की ‘आशा कार्यकर्ता’ और ‘जीविका’ स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपनी व्यक्तिगत सूचियों में गर्भवती महिला के स्वास्थ्य की स्थिति और उसके वाइटल्स (शरीर के महत्वपूर्ण संकेतों) को अपडेट करने के लिए उसके घर का दौरा करती हैं।
इसलिए, परीक्षण किए जाने के बाद, परिणाम व्यक्ति विशेष की असामान्यता के आधार पर, मोबाइल ऐप पर अलर्ट के रूप में पुनर्निर्देशित अथवा प्रेषित किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति उच्च रक्तचाप या उच्च नाड़ी दर से पीड़ित है, तो तुरंत संबंधित व्यक्ति के मोबाइल एप्लिकेशन को विभिन्न कूट-बद्ध रंगों (कलर-कोडेड) की चेतावनियों के रूप में अलर्ट भेजा जाता है। इसमें तीन रंग हैं – हरा, पीला और लाल, जो व्यक्ति की स्थिति को क्रमशः सामान्य, हल्के से असामान्य और गंभीर रूप से असामान्य बताते हैं।
डॉ. त्यागराजन एसएम कहते हैं, “जब भी ऐप अलर्ट भेजता है, हम रोगी में प्राथमिकता और असामान्यता के आधार पर मदद प्रदान करने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति गंभीर स्थिति में है, तो रेड अलर्ट उत्पन्न होता है। अलर्ट के साथ, उत्तरदाताओं के कौशल और ज्ञान अंतर को पाटने के लिए एक पूर्ण प्रबंधन प्रोटोकॉल तैयार किया गया है, जिससे कि उन्हें पूरी स्थिति को समझने में कोई दिक्कत न हो।”
“गंभीर असामान्यता के मामले में, रोगी को ऐप में एक बटन पर क्लिक करके रेफरल केंद्र में स्थानांतरित किया जाता है। रोगी के केंद्र में आने से पहले, सभी आवश्यक तैयारी पूरी कर ली जाती है और जब डॉक्टर पहले से ही ऐप में सूचीबद्ध डेटा के माध्यम से व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानता होता है, तो उसे आगे की स्थिति से निपटने में आसानी रहती है। गर्भावस्था के दौरान एक महिला को बचाने की स्वर्णिम अवधि चार-पांच घंटे की होती है, इससे डॉक्टर के प्रतिक्रिया समय को कम करने में मदद मिलती है, क्योंकि पिछला डेटा पहले से ही संबंधित डॉक्टर के पास उपलब्ध होता है।”
डॉ. त्यागराजन एसएम आगे कहते हैं, “दरभंगा में इसे लागू करते समय, मुझे प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य मंत्री और बिहार सरकार का भरपूर सहयोग मिला। हमारी सभी ने मदद की, क्योंकि ऐप का सबसे बड़ा मकसद आमजन की सेवा करना है।”
‘वंडर ऐप’ की उपलब्धियां
ऐप को अगस्त 2019 में लॉन्च किया गया था और पहली बार दरभंगा के दो ब्लॉकों में शुरू किया गया था। दो ब्लॉकों में सफलता के बाद, त्यागराजन ने जिले के सभी 18 ब्लॉकों में ऐप का विस्तार करने का निर्णय लिया। वो एक साक्षात्कार में बताते हैं, “अब तक, एप्लिकेशन ने लगभग 60,000 पंजीकरण दर्ज किए हैं और 32,000 से अधिक अलर्ट भेजे हैं, जिसमें लगभग सभी उत्तरदाताओं ने उपचार प्राप्त किया है। दरभंगा में गर्भवती महिलाओं को होने वाली मुख्य समस्याओं में एनीमिया, उच्च-रक्तचाप और रक्तस्राव (हेमरिज) थे, जिन्हें ठीक किया गया और उन्हें आवश्यक उपचार दिया गया। इस ऐप के लॉन्च से, हमने गर्भावस्था के दौरान पीड़ित बहुत सी महिलाओं के जीवन को बचाया है और मुझे उम्मीद है कि इसे देश के अन्य हिस्सों में भी इसे दोहराया जाएगा।”
राष्ट्रव्यापी दृश्य
अब एमएमआर पर कुछ तथ्यों देखते हैं। साल 2015 में, भारत सबसे ज्यादा मातृ मृत्यु वाला दूसरा सबसे बड़ा देश था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इन मौतों में यह गिरावट आई है। 2004-06 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में मातृ-मृत्यु दर (प्रति 1,00,00 जीवित जन्मों में) 254 थी, जो 2010-12 तक 31 फीसदी घट गई, और असल संख्या घटकर 178 हो गई। इसमें आगे चलकर 2010-2012 से 2016-2018 तक 36% की और गिरावट आई है और भारत में एमएमआर का आंकड़ा 113 दर्ज किया गया है।
हालांकि, देश के कुछ राज्य उच्च मातृ-मृत्यु दर से निपट रहे हैं। 2016-2018 में असम में सबसे अधिक मातृ-मृत्यु दर्ज की गई और बिहार भी शीर्ष राज्यों में शामिल था। नवीनतम रुझानों के अनुसार, 2016-2018 में बिहार में एमएमआर (प्रति 100,000 जीवित जन्म से) का आंकड़ा 145 है। जबकि, संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के 3.1 का उद्देश्य, वैश्विक एमएमआर को प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर 70 के आंकड़े तक कम करना है। अगर इस संदर्भ में देखें, तो अब बिहार के दरभंगा जिले में ‘वंडर ऐप’ को एक शानदार सफलता के रूप में देखा जाना चाहिए, जो गर्भवती माताओं के जीवन को बचाने के लिए वास्तव में एक अद्भुत डिजिटल उपकरण बन चुका है।
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