स्कूलों में सही तरीके से सेक्स एजुकेशन देने में आगे है केरल की राजधानी
- Muskan Khandelwal
- Published on 31 Jul 2023, 2:42 pm IST
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हाइलाइट्स
- तिरुवनंतपुरम के डीसी आईएएस अधिकारी गेरोमिक जॉर्ज ने एक एनजीओ के साथ मिलकर शुरू किया है प्रोजेक्ट एक्स
- इस प्रोजेक्ट ने स्कूली स्टूडेंट्स के लिए शुरू किया है व्यापक सेक्स एजुकेशन, जिसका लक्ष्य है-ह्यूमन सेक्सुअलिटी को सही से समझाना
- ट्रेनर 'अच्छे-बुरे' टच के बजाय 'सुरक्षित-असुरक्षित' स्पर्श जैसे शब्दों का करेंगे उपयोग
केरल की सुंदर राजधानी और तिरुवनंतपुरम जिले में 2015-बैच के आईएएस अधिकारी गेरोमिक जॉर्ज ने ‘प्रोजेक्ट एक्स’ नाम से एक अनोखी पहल शुरू की है। डीसी यानी जिला कलेक्टर के रूप में उनका नजरिया व्यापक यौन शिक्षा के साथ-साथ युवा दिमागों को सशक्त बनाना है। शुरू में 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों को टारगेट करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत चालू वर्ष में 50 पब्लिक और सरकारी सहायता पाने वाले स्कूलों के 5,000 छात्रों तक पहुंचने का लक्ष्य है।
प्रोजेक्ट एक्स
इस साल 25 जुलाई को शुरू हुई पहल का मुख्य उद्देश्य जेंडर और सेक्सुअलिटी को लेकर दिमाग साफ करना है। विशेष रूप से सहमति और व्यक्तिगत सीमाओं के महत्व पर जोर देना है। श्री जॉर्ज इस तरह की जागरूकता की जरूरत को गहराई से जानते हैं। खासकर युवा लड़कियों के लिए, ताकि उनमें यह समझ पैदा हो सके कि उनके शरीर पर अंतिम कंट्रोल उनका ही होना है। इस मजबूत इरादे के साथ उन्होंने इस क्षेत्र में एक अनुभवी एनजीओ-कनाल फाउंडेशन- का समर्थन मांगा। फिर सीएसआर और केरल सरकार दोनों से फंडिंग का इंतजाम किया।
करिकुलम
प्रोजेक्ट एक्स में सोचे-समजे पाठ्यक्रम यानी करिकुलम के तहत स्टूडेंट्स दो घंटे के सेशन में भाग लेंगे। इसमें आवश्यक विषयों को शामिल किया जाएगा। यह प्रोग्राम दरअसल सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से जेंडर के कॉन्सेप्ट की पड़ताल करता है। अधिकारी ने इंडियन मास्टरमाइंड्स को बताया, “इसका उद्देश्य जेंडर और सेक्सुअलिटी की व्यापक समझ को बढ़ावा देना है। यह स्वीकार करते हुए कि अलग-अलग लोगों के पास इन पहलुओं की अनूठी सोच हो सकती हैं।”दूसरे, करिकुलम रिश्तों के भीतर सहमति और तनाव की पहचान करने और उनसे निपटने के तरीके पर केंद्रित है। स्वस्थ संबंध बनाने के लिए समझदारी से भरे नजरिये को बढ़ावा देने से स्टूडेंट संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से समझ सकेंगे।इसके अलावा, यह सेगमेंट पॉक्सो (POCSO) कानून के दायरे में आने वाले बाल यौन अपराधों पर प्रकाश डालता है। प्रोजेक्ट का उद्देश्य स्टूडेंट्स को हेल्पलाइन और महिला व बाल विभाग की ओर से उपलब्ध सहायता पर जोर देते हुए ऐसे अपराधों की पहचान करने, रिपोर्ट करने और सहायता लेने के बारे में शिक्षित करना है।
क्यों ‘एक्स’
यह पूछने पर कि इसका नाम ‘प्रोजेक्ट एक्स’ क्यों है, अधिकारी ने बताया कि सबसे पहले इसका प्रतीकात्मक महत्व है। यह पुरुषों और महिलाओं यानी दोनों में पाए जाने वाले एक्स क्रोमोसोम के लिए है- जो सभी जेंडर और सेक्सुअलिटी की नींव है। उन्होंने कहा, “इसे सोच-समझकर चुना गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इससे गलतफहमी न हों। इसके बजाय खुली बातचीत और सवालों को आमंत्रित किया जा सके।”
चुनौतियां
जैसे ही श्री जॉर्ज और उनकी टीम ने प्रोजेक्ट एक्स लॉन्च किया, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। एक महत्वपूर्ण बाधा पैरेंट्स-टीचर असोसिएशनों और स्कूलों से जुड़े अन्य लोगों से समर्थन जुटाना था। उन्हें इस तरह की पहल के महत्व के बारे में समझाने के लिए लगातार प्रयासों की आवश्यकता है।एक और महत्वपूर्ण चुनौती कंटेंट को इस तरह से डिजाइन करना था, जो तीखा न होते हुए फिर भी संदेश को प्रभावी ढंग से व्यक्त कर सके। अधिकारी ने बताया, “इसके लिए फोटो और आइकनों के चुनाव में सावधानी बरती गई। इसलिए कि संवेदनशील दृष्टिकोण बनाए रखते हुए कंटेंट समझने लायक रहे।”चुनौतियों के बावजूद शिक्षा विभाग ने ऐसे समसामयिक और ज्वलंत मुद्दों को खुल कर समर्थन दिया है।
सुरक्षित-असुरक्षित स्पर्श
स्टूडेंट्स के बीच बात साफ-साफ रखने के लिए ट्रेनर ‘अच्छे स्पर्श’ और ‘बुरे स्पर्श’ के बजाय ‘सुरक्षित-स्पर्श’ और ‘असुरक्षित-स्पर्श’ जैसे शब्दों का उपयोग करेंगे। अधिकारी ने बताया कि यह नजरिया लड़कियों के स्कूलों में अधिक जरूरी है, ताकि उन्हें कम उम्र से ही शारीरिक गोपनीयता और एकांत की समझ पैदा हो सके। यह समझ उन्हें किसी भी विपरीत स्थिति की पहचान करने और उसका जवाब देने में सक्षम बनाएगी, जिससे वे अपनी सुरक्षा कर सकेंगी।
योजनाएं आगे की
प्रोजेक्ट एक्स की भविष्य की योजनाएं महत्वाकांक्षी हैं। अधिकारी का लक्ष्य जिले के सभी स्कूलों में इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह सफल बनाना है। यदि मॉडल सफल रहा, तो इसे अन्य जिलों में भी लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य तिरुवनंतपुरम जिले में अधिक से अधिक स्कूलों को कवर करना है।”प्रोजेक्ट एक्स के प्रभाव का आकलन करने के लिए टीम प्रोग्राम से पहले और बाद में स्टूडेंट्स की सोच की तुलना करते हुए व्यवहार संबंधी सर्वे करने की भी योजना बना रही है। यह मूल्यांकन जेंडर, सेक्सुअलिटी और सहमति से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर उनकी सोच को बनाने में मदद करेगा।
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