भागवत कथा : जिनकी सलाह से यूपीएससी में 650 से अधिक उम्मीदवारों को मिल चुकी है सफलता!
- Ajay
- Published on 10 Oct 2021, 10:28 am IST
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हाइलाइट्स
- एक सेवारत आईपीएस अधिकारी की अविश्वसनीय कहानी, जिसने सफलता की राह पर सैकड़ों यूपीएससी उम्मीदवारों को ला खड़ा किया।
- उनकी उपलब्धियों को सिर्फ एक शब्द में अभिव्यक्त किया जा सकता है- चमत्कार।
- अब तक 650 से अधिक यूपीएससी परीक्षार्थी उनके मार्गदर्शन में भारत की सबसे कठिन परीक्षा में सफल हो चुके हैं।
- देश भर के हजारों यूपीएससी अभ्यर्थी उनसे जुड़े हुए हैं और आईपीएस भागवत उनकी शख्सियत निखार रहे हैं, लेकिन सवाल है कैसे?
- आईपीएस महेश मुरलीधर भागवत, राचकोंडा पुलिस आयुक्त
शायर कैफ अहमद सिद्दीकी ने लिखा था कि ‘कितनी मेहनत से पढ़ाते हैं हमारे उस्ताद, हम को हर इल्म सिखाते हैं हमारे उस्ताद।’ एक और शायर रासिख अजीमाबादी लिखते हैं- ‘शागिर्द हैं हम ‘मीर’ से उस्ताद के ‘रासिख’, उस्तादों का उस्ताद है उस्ताद हमारा।’
अगर आप सोच रहे हैं कि नफासत भरी उर्दू जबान में शायरी क्यों कर रहे हैं और क्या किसी शायर अधिकारी की बात करने जा रहे हैं, तो रुक जाइए। दरअसल हम जिस शख्सियत की कहानी लेकर आए हैं, उनके बारे में दोनों शेर बिल्कुल सटीक बैठते हैं। यूपीएससी अभ्यर्थियों में उन्हें उस्तादों के उस्ताद का रुतबा मिला हुआ है जो उन्हें हर इल्म सिखाता है और उनके लिए सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। सालों से अपनी पेशेवर और साथ-साथ व्यक्तिगत जिंदगी में बिना किसी स्वार्थ के हजारों छात्रों की मदद कर रहे हैं।
…तो मिलिए आधुनिक युग के गुरु द्रोणाचार्य से!
जी हां, आपको यह जानकर भले ही अचंभा लगे और आप खुद को भरोसा न दिला पाएं, लेकिन यह सच है। एक नहीं-दो नहीं, बल्कि 650 से अधिक यूपीएससी उम्मीदवारों को अकेले ही मेंटर करके सफलता दिलाई है। मिलिए आधुनिक युग के गुरु द्रोण तेलंगाना के राचकोंडा क्षेत्र के पुलिस आयुक्त महेश मुरलीधर भागवत से… उन्होंने अकेले ही ऐसे कारनामे को अंजाम दिया है जो शायद पहली बार में सुनने में सच नहीं मालूम होता, लेकिन अपनी जिद और मेहनत से भागवत ने इस अविश्वसनीय काम को हकीकत में साकार कर दिखाया है।
सफलता का अप्रतिम परचम
इस बास यूपीएससी-2020 के आए परीक्षा परिणामों में 131 से अधिक सफल उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्हें भागवत की सलाह और मार्गदर्शन की वजह से सफलता मिली है। भारत की सबसे कठिन और सपनीली परीक्षा में शुमार यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा की गहनता और सालों की हाड़तोड़ मेहनत के बाद भी उसमें सफलता परिणामों के अनुपात के बारे में अगर आप जानते हैं, तो समझ पाएंगे कि भागवत की उपलब्धि कितनी बड़ी है। और इतना ही नहीं, वह इस सफलता की दर को पिछले छह वर्षों से दोहरा रहे हैं। हर साल, बिना असफल हुए।
यूपीएससी के टॉप 100 सफल अभ्यर्थियों में रैंक 3, 8, 14, 18, 19, 20 और 21 सहित 19 ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन्हें महेश भागवत ने मेंटर किया। इनमें दिल्ली की दो सगी बहनें अंकिता जैन (रैंक 3) और वैशाली जैन (रैंक 21), आंध्र-प्रदेश के दो भाई – रल्लापल्ली जगत साई (रैंक 32) और रल्लापल्ली वसंत कुमार (रैंक 170), तेलंगाना की टॉपर पी श्रीजा (रैंक 20) शामिल हैं।
सिर्फ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार, असम, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, असम और पश्चिम बंगाल सहित देश भर के यूपीएससी उम्मीदवार उनके व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल हैं।
वहीं, 2019 के यूपीएससी परीक्षा परिणामों में 125 सफल उम्मीदवारों ऐसे थे, जिन्हें भागवत ने ज्ञान और गाइडेंस देकर परीक्षा में उनकी मदद की थी। पूर्व मिस इंडिया फाइनलिस्ट ऐश्वर्या श्योराण भी उन यूपीएससी सफल उम्मीदवारों में शामिल हैं जो भागवत को अपनी सफलता का श्रेय देते हैं। वहीं, कुछ अन्य सफल परीक्षार्थी मंदार पाटकी (रैंक -22), निधि बंसल (23), पेद्दिती धात्री रेड्डी (46), दीपक बाबूलाल करवा (48), यशनी नागराजन (57), मल्लवरापु सूर्यतेजा (76) सहित यह सूची काफी लंबी है।
इतना ही नहीं, उनकी कामयाबी का अंदाजा इससे लगाइए कि साल 2016 में 84 और साल 2017 में 93 छात्रों ने उनकी गाइडेंस से इंटरव्यू पास किया था। महाराष्ट्र में टॉप और देश भर में 20 वीं रैंक पाने वाले गिरीश बडोले और केरल में टॉप करने वाली शिखा सुरेन्द्रन भी उनके व्हाट्सग्रुप से जुड़ी हुई थीं।
भागवत का रहस्य
लेकिन भागवत ऐसा क्या खास ऐसा करते हैं जो इतनी कठिन और अनिश्चितताओं से भरी परीक्षा में भी उनकी सफलता की दर इतनी बेहतर है? जाहिर है कि खुद 1995 बैच के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से बेहतर यूपीएससी में सफलता के गुर कौन सिखा सकता है! लेकिन फिर भी कड़ी प्रतिस्पर्धा के इस दौर में, देश की सबसे कठिन परीक्षा में हर साल 100 से अधिक विजेताओं के नाम सुनिश्चित करना एक आश्चर्यजनक उपलब्धि है। तो ऐसा क्या है जो भागवत को प्रेरित करता है…और उनकी सफलता के पीछे क्या खास नुस्खा है? इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए हमने उनके साथ विस्तार से बातचीत की।
इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए वो कहते हैं, “प्रौद्योगिकी मेरे लिए एक बड़ी मदद रही है। पहले मैं सिर्फ कुछ ही छात्रों को पढ़ा सकता था। लेकिन अब व्हाट्सऐप के माध्यम से, मैं सैकड़ों के साथ बातचीत कर सकता हूं और उन्हें सिखा सकता हूं।” भागवत किसी भी वक्त अपने बनाए कई व्हाट्सएप ग्रुप्स के माध्यम से बड़ी संख्या में छात्रों के लिए उपलब्ध रहते हैं। सोचिए जरा कि यह कितना दिलचस्प है कि वो एक ऐसे तरीके से उम्मीदवारों को जागरूक कर रहे हैं, जिसपर समाज में समरसता खराब करने और युवाओं को इसका आदी बनाकर बर्बाद करने के इल्जाम लगते हैं।
लेकिन भागवत ने डिजिटल युग के इस क्रांतिकारी ऐप व्हाट्सएप को ही सफलता का हथियार बना लिया और उसके जरिए परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने लगे। वह ग्रुप के सदस्यों को देश-विदेश की तमाम महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में बताते हैं, उन्हें सरकार की नीतियों और योजनाओं से जुड़ी जानकारियों को तथ्यपरक ढंग से समझाते हैं। साथ ही सियासी और राजनयिक गतिविधियां, सरकारी महकमों के तौर तरीके, पुलिस और न्याय व्यवस्था के क्रिया-कलाप और कार्यान्वयन और सफलता के लिए जरूरी तर्कसंगत सामान्य बातों जैसा बुनियादी ज्ञान भी सरल शब्दों में उम्मीदवारों को प्रदान करते हैं।
भागवत हर रोज छात्रों के साथ वर्चुअल (आभाषी – इंटरनेट के माध्यम से) कक्षाओं को आयोजित करते हैं और उन्हें कुछ बेहद जरूरी सबक सिखाने के लिए अपना कीमती समय निकालते हैं। छात्रों के लिए ये वो पाठ होता है, जिसकी यूपीएससी में उन्हें सख्त जरूरत होती है। यह अब भागवत के साथ एक रिवाज या दस्तूर सा बन गया है कि हर रोज वह अपने पुलिस कमिश्नर जैसे बड़ी जिम्मेदारी वाले ओहदे की नौकरी से बेहद व्यस्त और कीमती समय निकालकर भारत के सभी हिस्सों से आए यूपीएससी उम्मीदवारों के साथ जुड़ते हैं।
भागवत कहते हैं, “आप कह सकते हैं कि उन्हें मेंटर करना मेरा जुनून बन गया है और यह मुझे अपने निजी जीवन में भी आगे बढ़ाता है।” वो हर सुबह उठकर पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जरूरी जानकारी इकठ्ठा कर नोट्स तैयार करते हैं और फिर अभ्यर्थियों की जरूरत के हिसाब से व्हाट्सऐप पर उन्हें भेजते हैं। और अगर जरूरी हो तो फोन भी करते हैं।
व्यक्तित्व में ही सब है!
भागवत ने सिविल सेवा की तैयारी कर रहे लोगों को सफलता दिलाने के लिए कई सफल और अनोखी रणनीतियां बनाई हैं। इनमें से एक जाहिर तौर पर उनकी पसंदीदा है – पर्सनालिटी प्रोफाइलिंग (व्यक्तित्व रूपरेखा)। यह एक बेहद विश्वसनीय तरीका है जो अंतिम साक्षात्कार के वक्त बहुत काम आता है।
उदाहरण के लिए, वह बताते हैं, “महाराष्ट्र के बीड जिले से एक यूपीएससी अभ्यर्थी था। मैंने उसे बताया कि उनसे बीड को लेकर इन मुद्दों के बारे में पूछा जा सकता है; यह क्षेत्र देश में किसानों की आत्महत्याओं की संख्या के मामले में अव्वल है, जन्म से पहले लिंग जांच के रैकेट का एक बड़ा केंद्र है और ग्रामीण आबादी के बड़े स्तर पर पलायन से प्रभावित है। इसी तरह, एक उम्मीदवार राहुल से मैंने उनके नाम से संबंधित प्रश्नों के लिए तैयार रहने को कहा। साथ ही उसे बताया कि उसके मामले में कई सवाल कांग्रेस नेता राहुल गांधी या गौतम बुद्ध के बेटे राहुल से संबंधित भी हो सकते हैं।”
यूपीएससी पास करने के लिए युवा पुरुषों और महिलाओं को दी जाने वाली उनकी सबसे महत्वपूर्ण सलाह क्या है? इस पर भागवत जवाब देते हुए कहते हैं, “धैर्य, इस संघर्ष में धैर्य रखना सबसे अहम है, सिविल सेवाओं को पास करने का फलसफा धैर्य और सतत प्रयासों में छुपा है। कई बार यह धैर्य कई वर्षों तक चलेगा और आपके कई प्रयास मांगेगा। आपको बस लगे रहना है, कड़ी मेहनत और पूरे भरोसे के साथ।”
लेकिन इस महत्वपूर्ण सलाह के साथ एक जरूरी चेतावनी भी है। किसी भी यूपीएससी उम्मीदवार के लिए इस रास्ते पर चलने से पहले एक पेशेवर डिग्री प्राप्त कर लेना बेहतर रहता है। भागवत कहते हैं, “सच्चाई यही है कि
यूपीएससी के परिणाम बहुत अप्रत्याशित हो सकते हैं। यह परीक्षा बहुत अनिश्चितताओं से भरी हुई है। 2019 में ही देख लीजिए, 11 लाख उम्मीदवारों में से सिर्फ 829 ही अंतिम सूची मे जगह बना पाए। इसलिए यह जरूरी है प्लान-बी को हमेशा अपने हाथ में रखा जाए।
आत्म-विश्लेषण
यूपीएससी की दुनिया में अब बेहद मशहूर मेंटर बन चुके भागवत की खास बात यही है कि वो जो कुछ सिखाते या पढ़ाते हैं, उसमें हमेशा उनका खुद का अनुभव शामिल होता है। उन्हें हमेशा पता होता है कि वे क्या और किसलिए बता रहे हैं। पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से डिग्री लेकर उन्होंने खुद 1990 में एक सिविल इंजीनियर के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी।
लेकिन ग्रामीण विकास का विषय हमेशा से उनके दिल के करीब था। उनकी पहली निजी नौकरी में भी पश्चिमी घाटों का विकास कार्य शामिल था। लेकिन उन्हें और बड़ा मंच चाहिए था जहां से वो और बेहतर कर सकें। वो उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, “मैं एक बड़े मंच की तलाश में था, जहां मैं वास्तव में बड़ी संख्या में लोगों के लिए कुछ कर सकूं। 1993 में, मैं मुंबई चला गया और उसी साल मई में टाटा मोटर्स में काम करने लगा।”
टाटा मोटर्स के साथ काम करने का मौका उनके लिए बहुत लाभकारी रहा। वास्तव में कई लोग अपना पूरा जीवन इतने बड़े और भरोसेमंद भारतीय ब्रांड के साथ काम करने में व्यतीत कर देंगे। लेकिन भागवत के सपने अलग थे और वे एक बड़े मंच की तलाश में थे। जून 1994 में, उन्होंने यूपीएससी प्रीलिम्स की तैयारी शुरू करने के लिए टाटा मोटर्स की नौकरी छोड़ दी। वो कहते हैं कि यह एक बड़ा जोखिम था, लेकिन मैंने फिर भी लिया। और अगले ही साल उन्हें आईपीएस के लिए चुन लिया गया।
सच्चाई यही है कि हमारे बीच में से कितने लोग एक बाहर से दिखने वाली आकर्षक लेकिन अर्थहीन 9 से 5 नौकरी को छोड़ ऐसा फैसला लेंगे?
छात्रों का चयन
भागवत के पास आम तौर पर सात व्हाट्सऐप ग्रुप्स हैं, जिनके माध्यम से वह यूपीएससी के उम्मीदवारों को विशेष मार्गदर्शन देते हैं। इनमें से दो समूह साक्षात्कार पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तीन प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पर, एक भारतीय वन सेवा और एक अर्धसैनिकों पर।
एक छात्र को अपने यहां भर्ती करने से पहले वह उससे एक फॉर्म भरवाते हैं, जहां छात्रों को अपने शौक और प्राथमिकताओं के बारे में बताना होता है। भागवत के अनुसार, “यह दृष्टिकोण उम्मीदवारों के पर्सनालिटी प्रोफाइल को बनाने में मेरी मदद करता है और इससे उनके व्यक्तित्व का खाका खींचने में आसानी होती है। मैं उसी के अनुसार उन्हें अपनी सलाह देता हूं या मेंटर करता हूं।”
व्हाट्सऐप ग्रुप्स के माध्यम से शिक्षा के इस कार्य में भागवत के साथ उनकी सहायता के लिए कुछ अन्य मेंटर भी हैं। उनमें सुप्रिया देवस्थली आईसीएएस, समीर उन्हाले, नीतीश पथोड़े आईआरएस, मुकुल कुलकर्णी आईआरएस, नीलकंठ अवध आईएएस, सतीश पाटिल, प्रविमल अभिषेक आईएएस, साधु नरसिम्हा रेड्डी आईआरएस और ज्ञानप्रभोदिनी पुणे के डॉ. विवेक कुलकर्णी शामिल हैं।
हो सकता है कि यह बात युवा छात्रों के कुछ अभिववावकों को पसंद न आए, लेकिन भागवत स्कूली और कॉलेज की शिक्षा के परिणामों को ज्यादा महत्व नहीं देते हैं। वो कहते हैं, “ये परिणाम मायने नहीं रखते। मैंने यूपीएससी में 12 वीं फेल छात्रों को भी देखा है। यहां बस उनकी कड़ी मेहनत और तैयारी करने का तरीका मायने रखता है।”
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पुरस्कार और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता
सिविल सेवाओं के लिए छात्रों को सटीक तरीके से जरूरी मार्गदर्शन, तर्कसंगत सामान्य ज्ञान और व्यक्तित्व बदलाव जैसी अचूक सहायता ने एक आईपीएस अधिकारी के रूप में उनके अपने कैरियर में भी बहुत मदद की है। उनकी उपलब्धियों से उनके समान कई पद-प्रतिष्ठा वाले व्यक्तित्व भी प्रेरणा पाते हैं।
भागवत को ‘वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक’, ‘मेधावी सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक’, ‘मणिपुर पुलिस विशेष कर्तव्य पदक’ और दिसंबर 2016 में गृह मंत्री राजनाथ सिंह से ‘आंध्र प्रदेश और केंद्रीय गृह मंत्री कमेंडेशन डिस्क के लिए पुलिस आंतरिक सुरक्षा पदक’ (ग्रेहाउंड्स ट्रेनिंग सेंटर के लिए) मिल चुका है।
तस्करी के घिनौने क्षेत्र में भागवत के गंभीर कार्यों ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। उन्हें 27 जून, 2017 को वाशिंगटन डीसी में ‘2017 स्टेट ट्रैफिकिंग इन पर्सन रिपोर्ट हीरो अवार्ड ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट’ से सम्मानित किया जा चुका है।
तस्वीर बोलती है!
अनगिनत शब्दों पर उनकी यह तस्वीर भारी है। इस तस्वीर में वो ईंट-भट्ठा पर काम कर रहे बंधुआ मजदूरों के बच्चों के साथ हैं। इन बच्चों को 2017 में भागवत ने राचकोंडा में बचाया था। वो कहते हैं, “हमने 350 बच्चों को बचाया, लेकिन हमें उस वक्त एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा। ओडिशा के मजदूरों के बच्चे होने की वजह से उन्हें सिर्फ ओड़िया भाषा आती थी। इसके बाद हमने उन्हें आश्रय दिया और उनकी शिक्षा के लिए व्यवस्था की।” बच्चों को बचाने के अनुकरणीय कार्य के लिए, भागवत को आईसीएपी, यूएसए से व्यक्तिगत क्षमता क्षेत्र में ‘नागरिक और मानवाधिकार पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
इतनी उपलब्धियों और सम्मान के बाद क्या किसी को जीवन में इससे ज्यादा कुछ और चाहिए…? शायद नहीं… लेकिन भागवत को उनके काम और काम करने के तरीके से जानने के बाद, हमें यकीन है कि इस अद्भुत व्यक्तित्व से ऐसा और बहुत कुछ बेहतरीन देखने को मिलेगा जो समाज में नए सकारात्मक बदलाव का वाहक होगा।
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